अमेरिका में कुछ वर्ष पहले अश्वेतों के अधिकारों को लेकर आरम्भ हुए आन्दोलन ब्लैक लाइव्स मैटर (बीएलएम) का सभी को ध्यान होगा। यह भी ध्यान होगा कि कैसे भारत में भी उसी तर्ज पर एक वर्ग को भड़काने का प्रयास किया गया था। इतना ही नहीं वह उस आन्दोलन में दंगे भी हुए थे। इसका समर्थन करने वाले एक बड़े वर्ग का कहना था कि यह आन्दोलन अश्वेतों को न्याय दिलाने के लिए है। और यह आन्दोलन अभी तक चल रहा है। परन्तु बीएलएम शिकागो इन दिनों चर्चा में है और अब कुछ लोग जो इसका समर्थन करते रहे थे, वह कह रहे हैं कि क्या यही इसकी सच्चाई है? ऐसा क्या किया है बीएलएम वालों ने? दरअसल इस समय पूरी दुनिया इजरायल पर हमास के आतंकियों के हमले को देखकर और उसकी नृशंसता देखकर स्तब्ध है। लोग कल्पना नहीं कर पा रहे हैं कि क्या कोई व्यक्ति इतना क्रूर हो सकता है कि बच्चों के गले काट दे? क्या ऐसे क्रान्ति हो सकती है?
यह सभी ने देखा था कि कैसे पैराग्लाइडर पर आकर हमास के आतंकियों ने इजरायल में पार्टी कर रहे लोगों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं। बीएलएम शिकागो ने उसी तस्वीर को फिलिस्तीन का समर्थन करने के लिए प्रयोग किया और अपने twitter (अब X) पर पोस्ट किया कि वह फिलिस्तीन का समर्थन करते हैं।
जैसे ही यह ट्वीट वायरल हुआ, लोगों ने विरोध करना आरम्भ कर दिया। वोक्नेस के विरुद्ध अभियान चला रहे हैंडल end wokeness ने लिखा कि बीएलएम का मुखौटा आज उतर गया है। हमने हमेशा ही इसे घरेलू आतंकी समूह कहा है और अब खुशी है कि वह इसे स्वीकार कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि यह ध्यान दिया जाए कि एक भी बीएलएम समर्थक अभी तक एक दिन के लिए भी फिलिस्तीन या गाजा पट्टी नहीं गया है। एक यूजर ने लिखा कि कई लेफ्टिस्ट की तरह बीएलएम उन सभी निर्दोष लोगों की हत्या करने के पक्ष में है, जिन्हें वह पसंद नहीं करते हैं। अब खुद से पूछें: क्या वह आपको पसंद करते हैं? जब तक आप चरमपंथी नहीं हैं, तब तक वह आपको शायद ही पसंद करें। इसे अपने परिवार का भविष्य मानकर चलिएगा।
सबसे रोचक बात इस ट्वीट की यह थी कि X (twitter) के मालिक एलन मस्क ने लिखा “exactly!”
यह सही है कि ब्लैक लाइव्स मैटर आन्दोलन एक अन्याय के विरोध में आरम्भ हुआ था, परन्तु उससे भी बड़ा दुर्भाग्य यह है कि यह आन्दोलन अश्वेतों को न्याय दिलाने के स्थान पर श्वेतों और अन्य समूहों के अनर्गल विरोध का अड्डा बन गया और लोगों को यह भी याद होगा कि कैसे लन्दन में इसके कार्यकर्ताओं ने वर्ष 2020 में महात्मा गांधी की प्रतिमा को भी विकृत किया था।
सभी को वह दौर याद होगा जब एक अश्वेत जॉर्ज फ्लोयेड की पुलिस का हाथों मृत्यु हो गयी थी और इस मृत्यु का लाभ उठाने में यह संगठन आगे रहा था। अश्वेतों के अधिकारों के नाम पर इसने लोगों से ही नहीं बल्कि कॉर्पोरेट से धन एकत्र किया था और यह भी लोगों को याद होगा कि कैसे इस आन्दोलन को चलाने वाले लोगों पर लाखों डॉलर्स के घोटाले के आरोप लगे थे।
ब्लैक लाइव्स मैटर ग्लोबल नेटवर्क फाउन्डेशन के नेता शालोम्याह बोवेर्स पर आरोप लगा था कि उन्होंने आन्दोलन के लिए इकट्ठा हुए धन को अपने व्यक्तिगत व्यय के लिए खर्च कर लिया था। इस आन्दोलन को और गंभीरता से देखने पर यह वही कम्युनिस्ट आन्दोलन दिखता है और दरअसल है भी, जिसका उद्देश्य समाज में व्याप्त असमानताओं का अपने एजेंडे के लिए लाभ उठाना और फिर विभाजनकारी विमर्श उत्पन्न करना है। समाज में विकृतियों को बढ़ावा देना है। बीएलएम अर्थात ब्लैक लाइव्स मैटर कहीं से भी अश्वेतों के लिए न्याय का आन्दोलन नहीं है, क्योंकि उसकी ओर से अफ्रीका में इस्लामिक कट्टरपंथियों का शिकार हो रहे अपने अश्वेत साथियों के लिए समर्थन का स्वर सहज दिखाई नहीं देता है।
हालांकि हर ओर से विरोध के बाद बीएलएम शिकागो ने वह चित्र और पोस्ट हटा दी और उसने इसलिए यह पोस्ट हटाई क्योंकि न्यूयॉर्क पोस्ट के अनुसार ब्लैक लाइव्स मैटर ग्लोबल नेटवर्क फाउन्डेशन ने यह स्पष्ट किया कि वह शिकागो शाखा या ब्लैक लाइव्स मैटर ग्रासरूट समूह के साथ सम्बद्ध नहीं है, जो अभी हमास के हमलों को लेकर पोस्ट को लेकर प्रश्नों के घेरे में है। मगर बीएलएम शिकागो ने बाद में जो पोस्ट किया वह भी उसी का विस्तार था जो उसने हमास के समर्थन में तस्वीर के माध्यम से पोस्ट किया गया। उसने लिखा कि “हम फिलिस्तीन और उन लोगों के साथ हैं, जिन्हें मुक्त रहना चाहिए। हमारे दिल, उनके साथ हैं, शोक मनाती हुई माओं के साथ, मलबे से निकलते बच्चों के साथ और जिनपर मिट जाने का खतरा है उनके साथ!”
पूरे विश्व में कम्युनिस्ट वर्ग की यही नीति है। भारत में भी ऐसा एक बहुत बड़ा वर्ग है जिसने हमास के आतंकियों द्वारा इजरायल पर किए गए हमलों की निंदा नहीं की। बच्चों के साथ हुई नृशंसता के विषय में एक भी शब्द नहीं कहा, और न ही महिलाओं के साथ हुए बलात्कार और उसके बाद हत्या पर कुछ कहा! हाँ, उस हमले को विरोध का स्वर बताकर उचित ठहराने का प्रयास अवश्य किया गया। परन्तु जैसे भारत में इन कम्युनिस्ट का विरोध हुआ और लोगों की आँखें खुलीं और लोगों ने देखा कि कैसे मानवता के विमर्श के नाम पर अमानवीय विमर्श चलाया जा रहा है, वैसे ही बीएलएम के इस पोस्ट के बाद लोगों ने कहा कि उनसे गलती हुई कि इस आन्दोलन को उन्होंने न्याय का आन्दोलन माना था।
इसी क्रम में ओपेनहाइमेर के एक्जीक्युटिव निर्माता जेम्स वुड ने बीएलएम की संस्थापक पैट्रिस कलर्स का वर्ष 2015 का वीडियो भी साझा किया जिसमें वह कह रही हैं कि फिलिस्तीन हमारी पीढी का दक्षिण अफ्रीका है। —— यदि हम इजरायल नामक पूंजीवादी परियोजना को समाप्त करने के लिए साहस के साथ खड़े नहीं होंगे तो हम बर्बाद होंगे।
सोशल मीडिया पर लोगों ने अब उन कॉर्पोरेट्स से प्रश्न पूछने आरम्भ कर दिए हैं, जिन्होनें इस आन्दोलन को धन दिया था, जिन्होनें इसके पनपने में सहायता की थी। कम्युनिस्ट आन्दोलनों की यही रणनीति है कि वह पूंजीपतियों से धन लेकर समाज में अस्थिरता उत्पन्न करते हैं एवं उन लोगों के विरुद्ध विमर्श उत्पन्न करते हैं जो लोक से जुड़े होते हैं, जो जड़ों से जुड़े होते हैं या कहा जाए कि जो अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं।
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