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नेपाल : चीन के चंगुल में फंसता नेपाल

नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड की चीन यात्रा में हुए समझौते और संयुक्त वक्तव्य साफ करते हैं कि वे चीन के दबाव में आ गये। ताइवान पर चीन को समर्थन और पोखरा हवाईअड्डा चीन को सौंपना नेपाल की कमजोरी को दशार्ता है जबकि कई समझौते नेपाल में चीन की बढ़ती घुसपैठ को जाहिर करते हैं

by पंकज दास
Oct 12, 2023, 08:41 am IST
in भारत
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करते नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचंड

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करते नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचंड

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बातचीत में मुख्यत: नेपाल की ओर से बीआरआई कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर, जीएसआई और जीडीआई में नेपाल की सक्रियता पर बातचीत हुई।

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ की चीन यात्रा के फलितार्थ नेपाल के चीन के चंगुल में फंसने को स्पष्टता से जाहिर करते हैं। यूं तो अपने पिछले दो कार्यकाल के विपरीत इस बार प्रचंड ने अपने कार्यकाल की शुरुआत भारत के दौरे से की परंतु चीन यात्रा के दौरान हुए समझौते और संयुक्त वक्तव्य साफ करते हैं कि अपने शुरुआती विदेश दौरे में भारत और अमेरिका को तरजीह देने की उनकी कूटनीति बेमायने रह गयी और घरेलू मोर्चे पर भी उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बातचीत में मुख्यत: नेपाल की ओर से बीआरआई कार्यान्वयन समझौते पर हस्ताक्षर, जीएसआई और जीडीआई में नेपाल की सक्रियता पर बातचीत हुई। चीनी राष्ट्रपति की असल चिंता नेपाल में पश्चिमी देशों के बढ़ते प्रभाव और तिब्बत पर पश्चिमी राजदूतों की सक्रियता पर थी। हालांकि बीआरआई समझौते पर चीन के दबाव के बावजूद नेपाल ने हस्ताक्षर नहीं किए।

राष्ट्रपति से बातचीत के बाद प्रधानमंत्री ली कियांग के साथ द्विपक्षीय बैठक में हस्ताक्षरित हुए 12 समझौते में 5 समझौते दिखने में सामान्य परंतु दूरगामी परिणाम वाले हैं। इनमें एक समझौते के अनुसार चीन नेपाल को चीनी विचारधारा के साहित्य का नेपाली अनुवाद देगा। यानी चीन की विचारधारा का नेपाल में प्रचार-प्रसार होगा और चीन नेपाल में अपने अनुकूल बौद्धिक जमात खड़ा कर सकेगा।

भारत के सीमावर्ती जिलों में लीज पर कृषि भूमि प्राप्त करने की दृष्टि से है। यह चीन की नेपाल में भू-आधिपत्य को लेकर खतरनाक रणनीति है। इससे भारत तक चीन की पहुंच हो सकती है। इसलिए भारत को रणनीति एवं सुरक्षा की दृष्टि से सावधान रहने की जरूरत है। इसके अलावा एक समझौता उद्योग क्षेत्र में चीन के आधिपत्य को बढ़ाने के लिए है।

इसी तरह माध्यमिक से विश्वविद्यालय तक चीनी भाषा की पढ़ाई के लिए चीन के खर्च पर शिक्षक रखे जाएंगे जिससे चीन को नेपाल से जनस्तर पर संपर्क बढ़ाने में सहूलियत होगी। इससे चीन की सांस्कृतिक विस्तारवाद की नीति पुष्टि होगी।
सामान्य सा दिखने वाला एक समझौता प्राकृतिक औषधि बनाने के नाम पर जड़ी-बूटी के निर्यात के लिए है। जड़ी-बूटी की पहचान, प्रयोगशाला जांच, अन्वेषण तथा उसके विकास करने के लिए उन्हीं जंगलों में चीन की ओर से प्रयोगशाला से लेकर प्रशोधन, पैकेजिंग, ब्रांडिंग की फैक्ट्री लगाई जाएगी। इस समझौते की उपधारा से स्पष्ट है कि चीन 99 साल के पट्टे की आड़ में नेपाल के पहाड़ों एवं जंगलों पर एकाधिपत्य जमाने के जुगत में है।

नेपाल के कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने के नाम पर किया गया एक समझौता भारत के सीमावर्ती जिलों में लीज पर कृषि भूमि प्राप्त करने की दृष्टि से है। यह चीन की नेपाल में भू-आधिपत्य को लेकर खतरनाक रणनीति है। इससे भारत तक चीन की पहुंच हो सकती है। इसलिए भारत को रणनीति एवं सुरक्षा की दृष्टि से सावधान रहने की जरूरत है। इसके अलावा एक समझौता उद्योग क्षेत्र में चीन के आधिपत्य को बढ़ाने के लिए है।

संयुक्त वक्तव्य में तीन बिंदु भारत के लिए सावधान करने वाले हैं। पहले तो नेपाल ने पहली बार ताइवान के मुद्दे पर चीन का समर्थन कर दिया है। इसे नेपाल का चीन के सामने घुटने टेकना माना जा रहा है जिसका दूरगामी असर नेपाल को भुगतना पड़ सकता है। संयुक्त वक्तव्य में पोखरा हवाईअड्डे का संचालन चीनी कंपनी को देने की बात कही गयी है। यह विमानस्थल चीन के पास जाना, भारत की सुरक्षा और रणनीति की दृष्टि से चिंता का विषय है। विमानस्थल पर लगे सुरक्षा उपकरण एवं रडार के अधीन भारत के उत्तर प्रदेश के कुछ सैन्य एवं वायुसेना कैंट भी आते हैं।

नेपाल के साथ चीन के समझौतों को देखते हुए भारत को अपनी कूटनीति एवं सुरक्षा रणनीति पर गंभीर रूप से विचार करने और जरूरत पड़ने उसे बदलने की जरूरत है।

Topics: नेपाल चीन के चंगुल मेंnepalप्रचंडPrachandaराष्ट्रपति शी जिनपिंगPresident Xi Jinpingपुष्पकमल दाहालपोखरा हवाईअड्डेChinaPushpakamal DahalPokhara Airport
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