आस्ट्रेलिया के विरुद्ध जीत दर्ज कर भारतीय टीम ने विश्व कप क्रिकेट में अपने अभियान की शानदार शुरुआत की। एक तरह से देखा जाए तो भारत ने आस्ट्रेलिया से न केवल लड़ते हुए जीत दर्ज की, बल्कि खुद को विश्व कप के सशक्त दावेदारों में भी शामिल कर लिया। आस्ट्रेलिया सर्वाधिक पांच बार का विश्व चैंपियन है और इस बार भी खिताब का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। आस्ट्रेलिया को हराना किसी भी टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए काफी होता है। और भारतीय टीम ने जिस अविश्वसनीय अंदाज में जीत दर्ज की, वह टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए काफी है।
चेन्नई के विकेट पर सबसे पहले तो भारतीय तेज गेंदबाजों और स्पिनरों ने आस्ट्रेलिया को 199 के मामूली स्कोर पर ढेर कर दिया। गेंदबाजों के कमाल के प्रदर्शन के बाद आस्ट्रेलियाई टीम से संघर्ष की पूरी उम्मीद थी। लेकिन आस्ट्रेलिया ने शुरुआती दो ओवरों में ही भारत के तीन शीर्षस्थ बल्लेबाजों को खाता खोले बिना पवेलियन भेजकर मेजबान टीम को बैकफुट पर धकेल दिया। गेंदबाजों को भरपूर मदद दे रहे विकेट पर मात्र 2 रन के स्कोर पर 3 विकेट खो देने के बाद कोई भी टीम सपने में भी आस्ट्रेलिया को हराने की नहीं सोच सकती है। लेकिन यह धाकड़ भारतीय टीम है जो अंतिम दम तक संघर्ष का माद्दा रखती है। विराट कोहली (85) और के एल राहुल (नाबाद 97) ने यादगार पारियां खेलते हुए एक तरह से आस्ट्रेलिया के जबड़े से जीत छीन ली। इस जीत से यह तय हो गया कि टीम के सशक्त संयोजन, अपने घरेलू मैदानों पर विश्व कप के मुकाबले खेलना, हजारों की संख्या में स्टेडियम के अंदर और करोड़ों की संख्या में क्रिकेटप्रेमियों का भरपूर समर्थन और सबसे बड़ी बात कि खिलाड़ियों में जीत की प्रबल इच्छाशक्ति के दम पर भारत ने विश्व कप जीतने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।
भारतीय गेंदबाजों जसप्रीत बुमराह व मोहम्मद सिराज सहित स्पिनर रवीन्द्र जडेजा, कुलदीप यादव और रविचंद्रन अश्विन की तिकड़ी ने आस्ट्रेलिया जैसी दमदार टीम को कभी भी राहत की सांस नहीं लेने दी। इसके बाद बड़े मुकाबले में कई बार जो देखने को मिलता है, वो हुआ और भारत ने अपने तीन शीर्षस्थ बल्लेबाजों को मात्र 2 रन के कुल स्कोर पर गंवा दिया। हालांकि कप्तान रोहित शर्मा जोस हेजलवुड की काफी अच्छी गेंद पर आउट हुए, लेकिन ईशान किशन और श्रेयस अय्यर ने अति उत्साह में या फिर स्टारडम हासिल करने के प्रयास में खाता खोले बिना अपने विकेट एक तरह से आस्ट्रेलिया को गिफ्ट कर दिये। विश्व कप जैसे महामंच पर इस तरह की गलती और वह भी सबसे मजबूत टीम के सामने स्वीकार नहीं की जा सकती है। इसके बाद किंग कोहली और के एल राहुल ने अपने अनुभव और जुझारू क्षमता के दम पर चौथे विकेट के लिए 165 रनों की साझेदारी कर टीम को जीत दिला दी।
मौका तीसरी बार विश्व कप जीतने का
विश्व कप क्रिकेट के इतिहास पर नजर डालें तो कपिल देव के नेतृत्व में 1983 और महेन्द्र सिंह धोनी के नेतृत्व में 2011 में भारत विश्व विजेता बना था। पहली बार तो भारतीय टीम ने अजेय समझी जाने वाली वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड जैसी मजबूत टीम को मात देते हुए ऐतिहासिक विश्व कप जीता था। इसके बाद 2011 में धोनी के पास संभवतः अब तक की सबसे मजबूत भारतीय टीम थी और घरेलू मैदानों का पूरा फायदा उठाते हुए टीम ने दमदार प्रदर्शन करते हुए खिताब जीता। इस बार फिर से भारतीय टीम पूरी तरह से संतुलित और विश्व कप जीतने को प्रतिबद्ध दिख रही है।
संतुलित है टीम
अब तक विश्व कप के लिए भारतीय टीम के चयन पर सवाल उठाए जाते रहे। लेकिन ऐसा पहली बार है कि टीम चयन पर किसी विशेषज्ञ या क्रिकेट प्रशंसकों को अंगुली उठाने का मौका नहीं मिला। हिटमैन रोहित शर्मा के नेतृत्व में 15 सदस्यीय भारतीय दल में सात बल्लेबाज, तीन ऑलराउंडर और पांच गेंदबाजों को शामिल किया गया है। सबसे अच्छी बात है कि ये सभी खिलाड़ी पूरी लय में हैं और जब भी टीम को इनकी जरूरत पड़ेगी, शत-प्रतिशत प्रदर्शन करने में सक्षम भी। इनमें से रोहित शर्मा, शुभमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर और के एल राहुल के रूप में पांच विशुद्ध बल्लेबाजों का खेलना काफी हद तक तय है। इसके बाद ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या व रवीन्द्र जडेजा बल्ले व गेंद से कभी भी मैच का रुख बदलने का माद्दा रखते हैं। इन शुरुआती सात खिलाड़ियों का ज्यादातर मैचों में खेलने की पूरी संभावना है। हां, परिस्थति या विपक्षी टीम को देखते हुए टीम प्रबंधन अगर कोई बदलाव करने की सोचता है तो जबरदस्त फॉर्म में चल रहे ईशान किशन, सूर्यकुमार यादव और शार्दुल ठाकुर को अंतिम एकादश में शामिल किया जा सकता है। आठवें नंबर से चार विशेषज्ञ गेंदबाजों को अंतिम एकादश में मौका मिलेगा। उनमें ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (जो तरूप का इक्का साबित हो सकते हैं), कुलदीप यादव, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और मोहम्मद शमी जैसे धुरंधर टीम में शामिल हैं। ये पांचों गेंदबाज मैच विनर की भूमिका निभा सकते हैं और चोट के बाद दमदार वापसी करने वाले जसप्रीत बुमराह की अगुआई में भारतीय टीम आग उगलने को तैयार है। तीनों तेज गेंदबाज अनुभवी और परिस्थितियों को भांपने में माहिर हैं, जबकि विश्वास मानें अश्विन और कुलदीप यादव की फिरकी को पढ़ पाना किसी भी विपक्षी टीम के लिए कभी भी आसान नहीं होगा।
शीर्ष पर भारतीय टीम
विश्व कप शुरू होने से ठीक पहले भारतीय क्रिकेट टीम का इस खेल के तीनों प्रारुपों (टेस्ट, वनडे और टी20) की रैंकिंग में शीर्ष पर आना टीम के लिए टॉनिक का काम करेगी। टीम का मनोबल बढ़ा होने के पीछ सबसे बड़ा कारण है हर खिलाड़ी का अलग-अलग मौकों पर बेहतरीन प्रदर्शन। पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कभी भारतीय टीम में विदेशी धरती पर जीतने का विश्वास जगाया था, जबकि हर विपक्षी टीम को उसी की भाषा में जवाब देते हुए हराने का जज्बा पैदा किया था। आज शुरुआती पांच बल्लेबाजों में शामिल होने के लिए ईशान किशन और सूर्यकुमार यादव जैसे विस्फोटक बल्लेबाजों को इंतजार करना होगा। क्योंकि लंबे समय से भारतीय टीम की समस्या यह थी कि नंबर चार और पांच पर बल्लेबाजी कौन करेगा। इस दौरान ईशान और सूर्यकुमार ने अपना मजबूत दावा ठोका तो चोटिल चल रहे अनुभवी व सशक्त बल्लेबाज श्रेयस अय्यर और के एल राहुल ने शतकीय पारियां खेलते हुए टीम प्रबंधन का मुश्किल आसान कर दिया। फिर गेंदबाजी पर गौर करें तो जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और मोहम्मद शमी अपनी कहर बरपाती गेंदों के आगे किसी भी धुरंधर टीम को घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ता है। हार्दिक पांड्या व रवीन्द्र जडेजा विपक्षी टीमों का सिरदर्द बढ़ाने के लिए काफी हैं। और चूंकि भारतीय टीम को ज्यादातर लीग मैच स्पिनरों को मदद करने वाली विकेट पर खेलने हैं तो रविचंद्रन अश्विन और कुलदीप की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी। इन दोनों ने पिछले दिनों एशिया कप जीतने या आस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन वनडे मैचों की सीरीज 2-1 से जीतने के दौरान करिश्माई प्रदर्शन करते हुए आगाह कर दिया है कि भारतीय टीम के विश्व कप जीतने के दावे में काफी दम है।
विश्व कप में भारत का प्रदर्शन
विश्व कप में खिताब जीतने के आधार पर भारत को अब तक दो बार ही प्रतिष्ठित कप जीतने का मौका मिला है। लेकिन कुल प्रदर्शन के आधार पर भारत को एक मजबूत टीम माना जाता है। भारत ने 1975 से लेकर अब तक कुल 89 विश्व कप मैच खेले हैं जिनमें से भारत को 53 में जीत और 33 में हार मिली है। तीन मैच या तो टाई रहे या उनका कोई नतीजा नहीं निकला। उनमें से उल्लेखनीय हैं –
- 1983 – विजेता
- 1987 – सेमीफाइनलिस्ट
- 1996 – सेमीफाइनलिस्ट
- 1999 – सुपर सिक्स
- 2003 – उपविजेता
- 2011 – विजेता
- 2015 – सेमीफाइनलिस्ट
- 2019 – सेमीफाइनलिस्ट
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