इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक पहल करते हुए पत्नी को दुर्घटना में घायल पति का संरक्षक नियुक्त किया है. यह भी कहा है कि इलाज के लिए आवश्यकता पड़ने पर पत्नी, अपने पति की सम्पत्ति को बेच सकती है. पत्नी को यह अधिकार होगा कि उन परिस्थितियों में वह पति की सम्पत्ति को बेच सके.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा कि दादरी तहसील के गांव इलाभान स्थित याची के पति की खरीदी गई भूमि को अधिकतम मूल्य पर बेचा जाए. धनराशि को महानिबंधक के माध्यम से अधिकतम ब्याज पर बैंक में एफडी कराया जाए. याची के बैंक खाते में प्रतिमाह 50 हजार रुपये जमा करने की व्यवस्था की जाय ताकि उक्त धनराशि से याची अपने पति का इलाज और बच्चे की देखभाल में कर सके. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि यदि किसी रिश्तेदार या मित्र को ऐसा लगता है कि संपत्ति से अर्जित धन इलाज में खर्च करने के बजाय कहीं और पर खर्च किया जा रहा है तो वह उच्च न्यायालय में याची को संरक्षक बनाने के आदेश को खत्म करने की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र दाखिल कर सकता है. उच्च न्यायालय ने इस संबंध में किसी कानून के नहीं होने से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए तमाम कानून व न्यायालय के निर्णयों पर विचार करके यह फैसला लिया है.
टिप्पणियाँ