विस्तारवादी चीन आए दिन अपने पड़ोसियों की जमीनों पर कब्जा करने की फिराक में लगा रहता है। इसी क्रम में वो लंबे समय से भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश पर अपना अधिकार मानता है। वो अरुणाचल को अवैध रूप से कब्जाए गए तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा मानता है। हालाँकि, यहाँ के लोग अपने आपको पूरी तरह से भारतीय मानते हैं। चीन की विस्तारवादी नीतियों से लोग नाराज हैं। उनका कहना है कि अरुणाचल हमेशा भारत का ही रहेगा। चीन की सीमा से लगते खरसेनेंग गाँव के लोगों ने स्पष्ट कहा है कि वो भारतीय हैं और भारतीय सेना के कारण ही यहाँ पर पूरी तरह से सुरक्षित माहौल में जी रहे हैं।
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स्थानीय लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की नीतियों की तारीफ करते हैं। ऐसे ही खेरसेंनेंग इलाके के वाले स्थानीय संगे दोरजी ने मोदी सरकार की तारीफ की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और राज्य की पेमा खांडू सरकार ने इस क्षेत्र काफी विकास के कार्य किए हैं। पहले यहाँ पर कनेक्टिविटी की काफी दिक्कतें थीं, लेकिन वर्तमान सरकार ने कंक्रीट की पक्की सड़कें बनवाकर यहाँ पर कनेक्टिविटी को आसान कर दिया है। गाँव में ज्यादातर लोग किसान हैं और सरकार इनकी मदद कर रही है।
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इसी तरह ग्रेगखार गाँव के निवासी कारचुंग ने दो टूक कहा कि वो भारतीय सेना और भारत सरकार के साथ हैं। कारचुंग कहते हैं कि उन्हें भारतीय होने पर गर्व है। अरुणाचल प्रदेश शुरू से भारत का था, है और रहेगा। हम चीन के सामने झुकने वाले नहीं हैं, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर चीन से लड़ने के लिए भारतीय सेना में भी शामिल होंगे।
चीन ने नक्शे में अरुणाचल को बताया था अपना
गौरतलब है कि चीन ने इसी साल अगस्त में अपना नया नक्शा जारी किया था, जिसमें उसने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बता दिया था। चीन के नए मैप को लेकर भारत सरकार ने अपना विरोध भी जताया था। उल्लेखनीय है कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले की सीमा चीन से लगती है। इस जिले के अंतर्गत आने वाले सेंगनुप, खारसेनेंग और ग्रेंगखार गाँवों के लोगों का कहना है कि वो भारत के साथ खुश हैं। इसी साल 15 फरवरी को केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को हरी झंडी दी थी। इस योजना के तहत देश के सभी सीमावर्ती इलाकों में सड़कों और बुनियादी ढाँचे को सुधारना था।
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