उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल टाइगर रिजर्व में पेड़ों की कटाई और अवैध निर्माण के मामले में सीबीआई ने केस दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश के बाद केंद्रीय जाँच एजेंसी ने विजिलेंस से दस्तावेजों को ले लिया है। इस मामले में पूर्व वन मंत्री और कॉन्ग्रेस नेता हरक सिंह रावत भी लपेटे में हैं। उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
दरअसल, पीएम मोदी ने एक बार जिम कॉर्बेट का दौरा किया था और उसकी तारीफ की थी। इसके बाद तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत ने इसे पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर इसका जोरो-शोरों से प्रचार किया और यहाँ के पोखरो क्षेत्र में टाइगर सफारी शुरू करवाना चाहते थे। पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर साल 2019 में आनन फानन में वनों की कटाई और निर्माण कार्यों को शुरू कर दिया गया। इस परियोजना के लिए वन अधिनियमों की अनदेखी, बिना एनटीसीए, एनजीटी की अनुमति के आलीशान गेस्ट हाउस बना दिया गया। खास बात ये रही है जिसे पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया वो तो किसी भी तरह से पीएमओ के संज्ञान में ही नहीं है।
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बताया जाता है कि ये सारी कारस्तानी हरक सिंह रावत की थी। गेस्ट हाउस बनने के बाद सड़क बनाने के नाम पर हजारों पेड़ों की अंधाधुन कटाई की गई। उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट ने अनु पंत की जनहित याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया था, लेकिन जब किसी भी तरह की संतोषजनक कारवाई नहीं हुई तो ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।
गौरतलब है कि सीबीआई की जाँच शुरू होने से पहले मामले की जाँच विजिलेंस डिपार्टमेंट कर रहा था। अपनी जाँच के दौरान विजिलेंस ने पूर्व मंत्र हरक सिंह रावत कुछ ठिकानों पर छापेमारी की थी। जिसमें कॉर्बेट के फंड से खरीदे गए 2 जनरेटर बरामद हुए थे। इस मामले में वन विभाग के कई अफसर भी नपे हैं। कई आईएफएस अधिकारियों पर इसकी गाज गिरी। एक पूर्व आईएफएस किशन चंद और उनके सहयोगी अधिकारी इस वक्त जेल में हैं, जबकि विजलेंस जाँच में पूर्व वन मंत्री सहित कई अन्य अधिकारी भी आरोपी हैं।
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बता दें कि उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल पहले इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाना चाहते थे, लेकिन पीएमओ का नाम शामिल होने के कारण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसकी इजाजत नहीं दी। जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले में पीएमओ का नाम आने पर शुरू से ही नाराज थे।
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