सेना के शासन तले किसी तरह खुद को संभालने में जुटे म्यांमार में पाकिस्तानी जिहादी नजर पड़ने से फौजी अधिकारी होशियार हो गए हैं। वहां दो पाकिस्तानी पकड़ में आए हैं जो उस देश में अवैध रूप से जा घुसे थे। इनके पकड़े जाने के बाद पाकिस्तान को लेकर म्यांमार शासन सतर्क हो गया है। बताया गया है कि ये दोनों पाकिस्तानी रोहिंग्याओं के साथ मिलकर किसी बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम देने वहां गए थे।
इसमें संदेह नहीं है कि आज पाकिस्तान आतंकवाद का पर्याय बन गया है। जहां आतंकवाद या जिहाद सुनाई दे लोग समझ जाते हैं उसको कोई न कोई संबंध पाकिस्तान और वहां चल रहीं आतंकी फैक्ट्रियों से होगाा। मजहबी उन्मादी पाकिस्तान ही है जिसने न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में जिहादी भेजकर शांति भंग कर रहा है, उपद्रव मचा रहा है, सभ्य समाज को त्रस्त कर रहा है।
अब संभवत: इसके जिहादियों की नजर म्यांमार तक भी पहुंच गई है क्योंकि वहां कट्टर मजहबी और हिंसक मानी जाने वाली रोहिंग्या उग्रपंथी जमातें हैं, जिनकी मदद से संभवत: पाकिस्तानी जिहादी वहां भी ‘शरिया का राज’ लाना चाहते हैं। लेकिन अब दो पाकिस्तानी घुसपैठियों के पकड़ में आने के बाद वहां की फौजी हुकूमत चौकन्नी हो गई है।
फौजी हुकूमत अथवा जुंटा इन पाकिस्तानी घुसपैठियों की गिरफ्तारी होने के बाद, पाकिस्तान की हरकतों पर बारीक नजर रख रहा है। बताया जा रहा है कि दोनों पाकिस्तानी म्यांमार में रोहिंग्या आतंकियों के साथ तालमेल बैठाकर आतंकी हरकतों की संभावनाएं तलाशने पहुंचे थे।
फौजी हुकूमत अथवा जुंटा इन पाकिस्तानी घुसपैठियों की गिरफ्तारी होने के बाद, पाकिस्तान की हरकतों पर बारीक नजर रख रहा है। बताया जा रहा है कि दोनों पाकिस्तानी म्यांमार में रोहिंग्या आतंकियों के साथ तालमेल बैठाकर आतंकी हरकतों की संभावनाएं तलाशने पहुंचे थे।
इन दो पाकिस्तानी घुसपैठियों की गिरफ्तारी के बाद म्यांमार स्थित पाकिस्तानी दूतावास आनन—फानन में इनको छुड़ाने की कोशिश में लग गया है। इस वजह से म्यांमार के फौजी शासन को पाकिस्तानी हरकतों पर शक और गहरा गया है।
इन दो पाकिस्तानी घुसपैठियों की गिरफ्तारी के बाद म्यांमार स्थित पाकिस्तानी दूतावास आनन—फानन में इनको छुड़ाने की कोशिश में लग गया है। इस वजह से म्यांमार के फौजी शासन को पाकिस्तानी हरकतों पर शक और गहरा गया है।
एक प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट है कि अपने इन घुसपैठियों को छुड़ाने के लिए पाकिस्तान के दूतावास अधिकारी इस कोशिश में म्यांमार के अफसरों के चक्कर काट रहे हैं कि इन दोनों घुसपैठियों के विरुद्ध अदालत में कार्रवाई न शुरू हो पाए क्योंकि तब छुड़ाने के आसार धुंधला जाएंगे और पाकिस्तान की कथित ओछी करतूत दुनिया के सामने उजागर हो जाएगी।
म्यांमार में रोहिंग्याओं के दबदबे के आतंकवादी गुटों, अकामुल मुजाहिदीन और हरकतुल-जिहाद इस्लामी अराकान के बीच तो पाकिस्तान में ही पड़े थे। ये पाकिस्तान में भी आतंक फैलाते देखे गए हैं। म्यांमारी रोहिग्याओं के ‘जिहाद’ को यह मदद करता है। म्यांमार के पास इस हरकत के पुख्ता सबूत बताए जाते हैं। बताया यह भी गया है कि इन गुटों का सरगना अब्दुस कादूस बर्मी रोहिंग्या मूल का है पर पाकिस्तान का नागरिक है। बेशक, यह आतंकी सरगना हाफिज सईद और दूसरे कई जिहादियों से नजदीकी से जुड़ा हुआ है।
रोहिंग्या इतने हिंसक हैं कि दशकों से म्यांमार में बौद्धों को सताते आ रहे हैं। उनके घर जलाना, लूटना, बहू—बेटियों के साथ जोर—जबरदस्ती करना आदि में यही शामिल रहे हैं। अति होने पर अहिंसक बौद्धों ने सख्त रुख अपनाना शुरू किया तो रोहिंग्याओं की एक बड़ी संख्या उस देश से पलायन करने को मजबूर हो गई। अब वही रोहिंग्या नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और भारत में उत्पातों और अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। वहां एक बड़ा सिरदर्द बनते जा रहे हैं।
इन अपराधी प्रवृत्ति के ‘शरणार्थियों’ से बांग्लादेश इतना त्रस्त है कि उन्हें वापस म्यांमार भेजने के लिए कई बड़े देशों से मदद मांग चुका है। अहिंसक बौद्धों से डरे—सहमे रोहिंग्या वापस नहीं जाना चाहते क्योंकि ‘शरण’ देने वाले देशों को लूटने और वहां हिंसा फैलाने में अब उन्हें ‘रोजगार’ दिखाई दे रहा है।
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