चुनौतियां और कीर्तिमान सत्र में इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट डीके श्रीवास्तव ने दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को बनाने में आयी चुनौतियों के बारे में बताया। बुनियादी ढांचा निर्माण क्षेत्र में 40 वर्ष का अनुभव रखने वाले डीके श्रीवास्तव ने बताया कि शुरुआत में तो बहुत मुश्किल लग रहा था।
जब दिल्ली सीमा से डासना तक वह 4 लेन सड़क होती थी तो ये सोचा नहीं जा सकता था कि इसका भविष्य कब सुधरेगा। किनारे बहुत आबादी बस चुकी थी। यातायात बड़ी चुनौती थी। यूटिलिटीज बड़ी चुनौती थीं। ढेर सारी ट्रांसमिशन लाइनें थीं। तो पहली चुनौती तो यही थी कि यह परियोजना कैसे की जाएगी?
दरअसल यूटिलिटीज को एकबारगी खत्म नहीं किया जा सकता था, क्योंकि वे जनता की जीवनरेखा थीं। तो उसको चालू रखते हुए एक समय सीमा में काम भी पूरा करना है, यह सबसे बड़ी चुनौती थी। उस समय यूटिलिटीज को स्थानांतरित करने का रास्ता लंबा था। मुख्य समस्याएं दिल्ली सीमा से डासना तक की थीं। उसमें एक चुनौती यह भी थी कि उस रास्ते से एक रेलवे लाइन गुजर रही थी। बहुत कड़ी योजना बनानी पड़ी और परियोजना को फेज वार शुरू किया गया।
इस परियोजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वहां कोई अतिरिक्त भूमि अधिग्रहीत नहीं की गयी। वहां 19 मीटर का जो आरओडब्लू था, उसी के भीतर परियोजना की गयी और 14 लेन का एक्सप्रेसवे बनाया गया। यह भारत में पहली बार हुआ था। उन्होंने चार चरणों में समय पर परियोजना को पूरा किया। हालांकि कोविड और एनजीटी प्रतिबंधों के कारण परियोजना में 8 से 9 महीने लंबित हुई। ल्ल
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