कनाडा की जस्टिन त्रूदो सरकार शायद अपना विवेक खो चुकी है और खालिस्तानी तत्वों के हाथों का खिलौना बन चुकी है। मीडिया के एक वर्ग ने तो इसे त्रूदो सरकार के ढहते जाने का संकेत तक बता दिया है। भारतीय राजनयिक को देश से बाहर जाने को कहने के बाद, त्रूदो सरकार ने अपने नागरिकों से एक एडवाइजरी जारी करके उन्हें भारत के जम्मू-कश्मीर की यात्रा करने से बचने की सलाह दे दी है। कनाडा को वहां ‘आतंकवाद और अपहरण का खतरा’ व्यक्त किया है।
त्रूदो सरकार को कथित रूप से भारी मात्रा में पैसा उपलब्ध कराने वाले खालिस्तानी तत्व अब शायद वहां की नीतियां संचालित कर रहे हैं, जिसके बदले में कनाडा की सरकार उन्हें उनके उग्रपंथी एजेंडे को अमल में लाने की खुली छूट दे रही है। ताजा ‘ट्रैवल एडवाइजरी’ में सरकार ने कहा है कि ‘अप्रत्याशित सुरक्षा स्थिति के कारण’ केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश का सफर न करें। वहां आतंकवाद, उग्रवाद, अशांति तथा अपहरण का खतरा है। त्रूदो सरकार की इस एडवाइजरी में लद्दाख की यात्रा को लेकर कुछ नहीं कहा गया है।
कुख्यात खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के संदर्भ में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाकर त्रूदो सरकार अपना दिमागी दीवालियापन साबित कर ही चुकी है। तिस पर कनाडा स्थित भारतीय गुप्तचर प्रमुख को देश से जाने को कहने के बाद उसने दोनों देशों के बीच अनचाहा कूटनीतिक तनाव पैदा किया है। इतना ही नहीं, विदेश मामलों को लेकर त्रूदो सरकार ने अपनी अपरिपक्व सोच तब और जाहिर कर दी जब उसने कल देर शाम नई दिल्ली के अपने दूतावास में कार्यरत भारत के नागरिकों को निकाल बाहर कर दिया।
कनाडा के आम नागरिक अधिकांशत: इस प्रकरण में त्रूदो को ही गलत बता रहे हैं। कनाडा के अखबार तक हैरानी जताते हुए लिख रहे हैं कि भारत जैसे ताकतवर देश से उलझना त्रूदो सरकार के लिए अच्छा नहीं रहने वाला। ‘टोरंटो सन’ ने इस मामले में बेबाक टिप्पणी करते हुए लिखा है कि मोदी जैसे ताकतवर नेता को नाराज करके त्रूदो सही नहीं कर रहे हैं। खालिस्तानी तत्वों से कथित रूप से संचालित हो रही त्रूदो सरकार की यह ‘ट्रैवल एडवाइजरी’ वाली हरकत को कई देशों में शरारत माना गया है। सब जानते हैं कि मोदी सरकार की नीतियों की वजह से ही आज जम्मू—कश्मीर आतंकवाद के पुराने दिनों को पीछे छोड़कर विकास के रास्ते पर बढ़ चला है।
त्रूदो सरकार अपना दिमागी दीवालियापन साबित कर ही चुकी है। तिस पर कनाडा स्थित भारतीय गुप्तचर प्रमुख को देश से जाने को कहने के बाद उसने दोनों देशों के बीच अनचाहा कूटनीतिक तनाव पैदा किया है। इतना ही नहीं, विदेश मामलों को लेकर त्रूदो सरकार ने अपनी अपरिपक्व सोच तब और जाहिर कर दी जब उसने कल देर शाम नई दिल्ली के अपने दूतावास में कार्यरत भारत के नागरिकों को निकाल बाहर कर दिया।
इसलिए त्रूदो की एडवाइजरी सिर्फ और सिर्फ उक्त केन्द्र शासित प्रदेश को लेकर दुष्प्रचार करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। इस एडवाइजरी में ‘आतंकवाद, उग्रवाद, नागरिक अशांति तथा अपहरण’ जैसे शब्दों को इस्तेमाल करना शरारत की तरफ ही संकेत करता है। जी20 में शामिल होेने नई दिल्ली आए प्रधानमंत्री त्रूदो शायद भारत की उस फटकार से आहत हुए थे जिसमें उन्हें उनके यहां मौजूद भारत विरोधी खालिस्तानी आतंकवादियों को काबू करने को कहा गया था।
हालांकि दुनिया भर से लानतें मिलने के बाद, कल प्रधानमंत्री त्रूदो ने यह जरूर कहा था कि कनाडा सिख अलगाववादी नेता की हत्या से जुड़े के संदर्भ में भारत को उकसाने का प्रयास नहीं कर रहा है बल्कि हम तो इतना चाहते हैं कि भारत इस मुद्दे पर गंभीरता से गौर करे।
कनाडा में इसी साल जून में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या की गई थी। कनाडा में सर्रे के गुरुद्वारे के पास दो अज्ञात हमलावरों ने निज्जर पर गोली चलाई थी। इस हमले में निज्जर मारा गया था।
आतंकवादी निज्जर भारत की नजर में ‘भगोड़ा’ अपराधी था। खालिस्तान टाइगर फोर्स का सरगना निज्जर गुरु नानक सिख गुरुद्वारे का अध्यक्ष तथा कनाडा में उग्रपंथी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) का बड़ी आतंकी माना जाता था।
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