हमें क्रिप्टो करेंसी को विनियमित करने के लिए वैश्विक मानक विकसित करने होंगे। साइबर सिक्योरिटी के लिए भी वैश्विक सहयोग और फ्रेमवर्क की जरूरत है
चन्द्रयान की सफलता सिर्फ भारत की नहीं, पूरी मानवजाति की उपलब्धि है। इससे हमारी युवा पीढ़ी को विज्ञान में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। इससे मानव कल्याण होगा।
हमारी साझेदारी को और अधिक सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए मैं छह मुख्य क्षेत्रों में सहयोग के प्रस्ताव रखना चाहता हूं।
पहला है-कनेक्टिविटी। त्रिपक्षीय राजमार्ग और उनके विस्तार पर हम पहले से काम कर रहे हैं। मेरिटाइम सहयोग पर हमारे साझा वक्तव्य का मैं स्वागत करता हूं। मेरा विजन है कि एक ऐसा बहु-विधि संपर्क और आर्थिक गलियारा तैयार किया जाए जो दक्षिण-पूर्व एशिया से लेकर कर भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप को जोड़े। इसमें लॉजिस्टिक्स, आपूर्ति शृंखला, बुनियादी ढांचा, स्वच्छ ऊर्जा और सौर ग्रिड जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
दूसरा क्षेत्र है-डिजिटल कायाकल्प। डिजिटल अर्थव्यवस्था हमारे भावी विकास की उत्प्रेरक है। भारत में विकसित ‘डिजिटल इंडिया स्टैक’ आप सबके साथ साझा करने में हमें खुशी होगी। मैं इस संदर्भ में ‘डिजिटल भविष्य के लिए आसियान-भारत निधि’ की स्थापना की घोषणा करता हूं।
तीसरा बड़ा क्षेत्र है-व्यापार एवं आर्थिक गतिविधि। पिछले वर्ष ‘आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते’ में हुई प्रगति का स्वागत है। हमें इसकी समीक्षा को समयबद्ध तरीके से पूरा करना होगा। साथ में ‘आसियान-भारत स्टार्टअप महोत्सव’ और ‘नवाचार सम्मेलन’ जैसी पहलों को भी आगे बढ़ाना चाहिए।
चौथा क्षेत्र है-समकालीन चुनौतियों का सामना। ग्लोबल साउथ आज कई चुनौतियों से जूझ रहा है, जैसे- खाद्य, उर्वरक, र्इंधन और जलवायु परिवर्तन। हमें बहुपक्षीय मंचों पर ग्लोबल साउथ की साझा चिंताओं को साथ मिलकर उठाना होगा। भारत में डब्लूएचओ द्वारा ‘ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन’ बनाया जा रहा है। मिशन लाइफ, यानी पर्यावरण के लिए जीवनशैली जैसी पहलों पर हमें मिलकर काम करना चाहिए।
पांचवां है –व्यक्ति से व्यक्ति का संपर्क। इस संदर्भ में हमें शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, शोध, पर्यटन और युवाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी है कि भारत ने तिमोर लेस्ते में अपना दूतावास खोलने का निर्णय लिया है।
छठा क्षेत्र है- हमारे रणनीतिक जुड़ाव को सशक्त बनाना। हिंद-प्रशांत की शांति, सुरक्षा, समृद्धि और प्रगति में हमारे साझा हित हैं। हमने इस साल समुद्री अभ्यास शुरू किया है। दक्षिण चीन सागर सहित अन्य वैश्विक समुद्री मार्गों में शांति, स्थिरता, नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता तथा अबाध विधिसम्मत वाणिज्य को सुनिश्चित करना जरूरी है। दक्षिण चीन सागर के लिए कोई भी आचार संहिता, सागर के कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप होनी चाहिए।
आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए एक गंभीर खतरा है। हमें आतंकवाद, आतंक वित्तपोषण और साइबर कुसूचना के विरुद्ध निर्णायक प्रयास करने होंगे। हमें आपदा प्रबंधन और मेरिटाइम डोमेन जागरुकता के क्षेत्र में भी सहयोग करना चाहिए।
सत्र 1: पर्यावरण की सुरक्षा
हमारा वैश्विक व्यवहार ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ यानी विश्व एक परिवार के मूल भाव पर आधारित है। विश्व को एक परिवार मानने का यही भाव हर भारतीय को एक पृथ्वी के दायित्व-बोध से भी जोड़ता है।
एक पृथ्वी की भावना से भारत ने पर्यावरण मिशन के लिए जीवनशैली की शुरुआत की है। भारत के आग्रह पर पूरा विश्व इस साल अंतरराष्ट्रीय अनाज दिवस मना रहा है और यह भी जलवायु सुरक्षा की भावना से जुड़ा हुआ है। इसी भावना के साथ, सीओपी-26 में भारत ने ‘ग्रीन ग्रिड इनीशिएटिव-एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ लॉन्च किया था।
भारत के करोड़ों किसान प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं। यह मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पृथ्वी का स्वास्थ्य सुरक्षित रखने का भी बहुत बड़ा अभियान है। हमने भारत में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भी लॉन्च किया है। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने वैश्विक हाइड्रोजन इकोसिस्टम बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
जलवायु की चुनौती को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा ट्रांजिशन इक्कीसवीं सदी के विश्व की बहुत बड़ी आवश्यकता है। समावेशी ऊर्जा ट्रांजिशन के लिए अरबों डॉलर की जरूरत है। भारत के साथ-साथ ग्लोबल साउथ के सभी देशों को खुशी है कि विकसित देशों ने 2023 में एक अहम सकारात्मक पहल की है। विकसित देशों ने जलवायु वित्तपोषण के लिए अपने 100 अरब डॉलर के संकल्प को पूरा करने की इच्छा पहली बार जाहिर की है। ‘हरित विकास संधि’ को अपना कर जी-20 ने सतत और हरित विकास के प्रति अपने दायित्वों का भी निर्वहन किया है।
आज समय की मांग है कि सभी देश ईंधन मिश्रण के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करें। हमारा प्रस्ताव है कि पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण को वैश्विक स्तर पर 20 प्रतिशत तक ले जाने के लिए पहल की जाए। इस सन्दर्भ में आज हम वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन लॉन्च कर रहे हैं। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए दशकों से कार्बन क्रेडिट की चर्चा चल रही है। यह एक नकारात्मक नजरिया है। ग्रीन क्रेडिट हमें सकारात्मक रास्ता दिखाता है। मेरा प्रस्ताव है कि जी-20 के देश एक ‘ग्रीन ग्रीन पहल’ पर काम की शुरुआत करें।
आप सभी भारत के मून मिशन ‘चंद्रयान’ की सफलता से परिचित हैं। इससे उपलब्ध होने वाला डेटा पूरी मानवता के काम आने वाला है। इसी भावना से भारत ‘जी 20 सैटेलाइट मिशन फॉर एन्वायरनमेंट एंड क्लाइमेट आब्जर्वेशन’ लॉन्च करने का प्रस्ताव भी रख रहा है। इससे मिलने वाले जलवायु और मौसम डेटा सभी देशों, विशेषकर ग्लोबल साउथ के देशों के साथ साझा किए जाएंगे।
भारत के करोड़ों किसान प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं। यह मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पृथ्वी का स्वास्थ्य सुरक्षित रखने का भी बहुत बड़ा अभियान है। हमने भारत में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन भी लॉन्च किया है। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने वैश्विक हाइड्रोजन इकोसिस्टम बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
सत्र-2: चुनौतियां एवं सहयोग
हमें खुशी है कि नई दिल्ली जी-20 नेतृत्व शिखर सम्मेलन घोषणापत्र पर सहमति बनी है। मैं इस घोषणापत्र को अंगीकार करने की घोषणा करता हूं।
हमारे यहां हजारों वर्ष पूर्व रचित वेदों में कहा गया है –
एको अहम् बहुस्याम!
यानी, मैं एक हूं, अब मुझे कई बनना है।
हमें सृजन, नवाचार और व्यवहार्य समाधानों के लिए ‘आई’ से ‘वी’ की तरफ बढ़ना होगा।
‘आई’ से ‘वी’,
यानी स्व से समष्टि की सोच,
अहं से वयं का कल्याण,
इस पर हमें बल देना होगा।
हमें दुनिया के हर वर्ग, हर देश, हर समाज, हर क्षेत्र को जोड़ना होगा। और यही एक परिवार की भावना है। हमें परिवार के भीतर सहयोग की ही तरह एक वैश्विक सहयोग प्रणाली का निर्माण करना होगा। किसी का सुख हमें सुखी करे, किसी का भी दुख हमें उतना ही दुखी करे, यह भाव हममें आना चाहिए। परिवार के तौर पर हम यह भी ध्यान रखते हैं कि हर सदस्य को कैसे सशक्त किया जाए।
भारत में हमने विकास को समावेशी और सतत बनाने के लिए प्रौद्योगिकी को एक ब्रिज के रूप में अपनाया है।
भारत ने जैम (जनधन-आधार-मोबाइल) ट्रिनिटी से समावेशन का, पारदर्शिता का, लक्षित हस्तक्षेप का नया मॉडल विकसित किया है। यह मॉडल पूरे वैश्विक परिवार के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। एक परिवार के रूप में भारत की युवा प्रतिभा भी एक प्रकार से वैश्विक बेहतरी के लिए है। दुनिया का विकास बनाए रखने के लिए एक बड़ा कौशलयुक्त युवा प्रतिभा पूल बहुत जरूरी है। हमें ‘वैश्विक कौशल मैपिंग’ की तरफ बढ़ना चाहिए।
एक परिवार की बात करते हुए हमें अपने वैश्विक परिवार के सामने आ रही चुनौतियों को भी ध्यान में रखना होगा। कोविड की वैश्विक चुनौती के मद्देनजर आज हमें ऐसी वैश्विक आपूर्ति शृंखला बनानी है, जो विश्वास और पारदर्शिता को बढ़ावा दे।
हम देशों को, मानवता को सिर्फ बाजार के रूप में नहीं देख सकते। हमें संवेदनशील और दीर्घकालिक दृष्टिकोण की जरूरत है। इसलिए भारत ने जिस मैपिंग फ्रेमवर्क का प्रस्ताव रखा है, उससे मौजूदा आपूर्ति शृंखला को सशक्त करने में मदद मिलेगी। हमें लघु व्यवसायों की सक्रिय भूमिका को भी स्वीकार करना होगा।
एक परिवार के मंत्र पर चलते हुए हमें संवेदनशीलता के साथ विकासशील देशों के ऋण संकट का भी निस्तारण करना है। मुझे खुशी है कि ‘सतत विकास लक्ष्यों को त्वरित करने के लिए कार्ययोजना’ के अंतर्गत वित्त को बढ़ाने पर सहमति बनी है।
एक परिवार का दृष्टिकोण ‘सर्वांगीण स्वास्थ्य और आरोग्य’ प्रणाली के लिए भी उतना ही जरूरी है। भारत में बन रहे डब्लूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडीशनल मेडिसिन से पूरी दुनिया में आरोग्य को बढ़ावा देने पर बल मिलेगा। हम शीघ्र ही परंपरागत औषधियों का वैश्विक कोष बनाने का प्रयास करेंगे। दुनिया के हर समाज में मां परिवार की चालक शक्ति होती है। आज के भारत में महिला नेतृत्व हर क्षेत्र में दिख रहा है। आज भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में अनेक महत्वपूर्ण मिशन को हमारी महिला वैज्ञानिक संचालित कर रही हैं। आज भारत के गांव-गांव में 9 करोड़ महिलाएं स्वयंसहायता समूह अभियान से जुड़कर छोटे-छोटे व्यवसाय को आगे बढ़ा रही हैं। मेरा विश्वास है कि महिला नीत विकास इक्कीसवीं सदी में बहुत बड़े बदलाव का वाहक बनेगा।
‘एक परिवार’ सत्र में तीन सुझाव
पहला, दुनिया की शीर्ष खेल लीग्स अपनी कमाई का 5 प्रतिशत हिस्सा ग्लोबल साउथ के देशों में महिलाओं के लिए खेल बुनियादी ढांचा में निवेश करें। दूसरा, जिस तरह सभी देश अलग-अलग श्रेणियों के वीजा जारी करते हैं, हम ‘जी20 प्रतिभा वीजा’ की एक विशेष श्रेणी बना सकते हैं। तीसरा, हम डब्लूएचओ की देख-रेख में वैश्विक बायो-बैंक बनाने के बारे में सोच सकते हैं।
सत्र-3: भविष्य के मुद्दों पर नजर
मुझे संतोष है कि आज जी-20 ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य‘ के दृष्टिकोण को लेकर आशावादी प्रयासों का मंच बना है। एक ऐसा भविष्य, जिसमें देशों के केवल हित ही नहीं जुड़े हों, बल्कि हृदय भी जुड़े हों। मैंने जीडीपी केंद्रित दृष्टिकोण के बजाय मानव केंद्रित दृष्टिकोण पर निरंतर आपका ध्यान आकर्षित किया है। आज भारत जैसे अनेक देशों के पास ऐसा कितना कुछ है, जो हम पूरे विश्व के साथ साझा कर रहे हैं।
भारत ने प्रौद्योगिकी को समावेशी विकास, आखिरी छोर तक डिलीवरी के लिए उपयोग किया है। मुझे खुशी है कि भारत की अध्यक्षता में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा के लिए मजबूत फ्रेमवर्क पर सहमति बनी है। इसी तरह, ‘विकास के लिए डेटा उपयोग पर जी-20 सिद्धांत’ को भी स्वीकार किया गया है। ग्लोबल साउथ के लिए ‘डेटा फॉर डेवलपमेंट कैपेसिटी बिल्डिंग इनीशिएटिव’ को लॉन्च करने का निर्णय भी लिया है। भारत की अध्यक्षता में स्टार्टअप 20 इंगेजमेंट ग्रुप का गठन भी एक बड़ा कदम है।
मानव केंद्रित एआई शासन
आज हम नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकी में अकल्पनीय पैमाने और रफ्तार के गवाह बन रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उदाहरण हमारे सामने है। 2019 में जी20 ने ‘एआई पर सिद्धांत’ अपनाए थे। आज हमें उससे एक कदम और आगे बढ़ने की जरूरत है। मेरा सुझाव है कि अब हम उत्तरदायी मानव केंद्रित एआई शासन के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार करें। हमारा प्रयास होगा कि सामाजिक-आर्थिक विकास, वैश्विक कार्यशक्ति और अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में सभी देशों को एआई का लाभ मिले।
आज कुछ अन्य ज्वलंत समस्याएं भी हमारे विश्व के सामने हैं, जो हम सभी देशों के वर्तमान और भविष्य, दोनों को प्रभावित कर रही हैं। साइबर सुरक्षा और क्रिप्टो करेंसी की चुनौतियों से हम परिचित हैं। क्रिप्टो करेंसी का क्षेत्र, सामाजिक व्यवस्था, मौद्रिक और वित्तीय स्थिरता सबके लिए एक नया विषय बनकर उभरा है। इसलिए हमें क्रिप्टो करेंसी को विनियमित करने के लिए वैश्विक मानक विकसित करने होंगे।
आज हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए सुधार करना आवश्यक है। इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है। इसी तरह, हमें बहुपक्षीय विकास बैंक के मैंडेट का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले तत्काल भी होने चाहिए और प्रभावी भी।
इस दिशा में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसी प्रकार, साइबर सुरक्षा के लिए भी वैश्विक सहयोग और फ्रेमवर्क की जरूरत है। साइबर जगत से आतंकवाद को नए माध्यम, फंडिंग के नए तौर-तरीके मिल रहे हैं। यह हर देश की सुरक्षा और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है। जब हम हर देश की सुरक्षा, हर देश की संवेदना का ध्यान रखेंगे, तभी एक भविष्य का भाव सशक्त होगा।
विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के लिए यह जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएं वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों। ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ का मुद्दा इसमें प्रासंगिक है। आज हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए सुधार करना आवश्यक है। इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है। इसी तरह, हमें बहुपक्षीय विकास बैंक के मैंडेट का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले तत्काल भी होने चाहिए और प्रभावी भी।
तेजी से बदलते विश्व में हमें कायाकल्प के साथ-साथ सततता और टिकाऊपन की भी उतनी ही जरूरत है। आइए! हम प्रण लें कि हरित विकास संधि, एसडीजी पर कार्ययोजना, भ्रष्टाचार विरोध उच्च स्तरीय सिद्धांत, डिजिटल बुनियादी ढांचा और एमडीबी सुधारों के अपने संकल्पों को सिद्धि तक लेकर जाएंगे।
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