शिवहर के पूर्व सांसद अनावरूल हक के रिश्तेदारों ने एक लड़की के साथ दुष्कर्म किया, लेकिन समय पर एफआईआर भी दर्ज नहीं हुई। हंगामेे के बाद एफआईआर दर्ज हुई तो कार्रवाई नहीं हो रही है।
बिहार में ‘सुशासन’ की सेकुलर सरकार चल रही है। यही कारण है कि यहां जिहादी तत्वों के विरुद्ध कोई कार्रवाई सहजता से नहीं होती है। मामला चाहे जितना भी गंभीर क्यों न हो? बिहार के पूर्व सांसद और राजद नेता के परिजन पर एक लड़की के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है। पीड़िता के साथ जबरदस्ती की गई। उसे बेहोश किया गया और उसके अभिभावक को जान से मारने की धमकी तक दी गई। घटना के एक सप्ताह बाद पुलिस ने काफी दबाव के बाद प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन एक माह होने पर भी अभियुक्तों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
यह घटना शिवहर जिले के परसौनी तैयब थाना की है। यहां एक लड़की के साथ जबरदस्ती की गई है। इस नाबालिग लड़की को मो. राजा, अब्बा मो. नसीम अख्तर तथा मो. जावेद अब्बा मो. नैमुद्दीन ने इसी जिले के गड़हिया गांव की रहने वाली लड़की को बेहोश किया। ये दोनों शिवहर के पूर्व सांसद और राजद नेता अनवारूल हक के परिजन बताए जा रहे हैं। अनवारूल हक की मृत्यु 2016 में ही हो गई, लेकिन उनके परिवारवालों का दबदबा अभी भी है।
पता चला है कि इस लड़की को एक लड़के के माध्यम से 27 अगस्त को अगवा किया गया था। रात भर लड़की बेहोशी अवस्था में थी। सुबह लड़की को जब होश आया तो उसने अपने चाचा को कॉल किया। कॉल की आवाज सुनकर अभियुक्त सतर्क हुए। पीड़िता को बोलेरो से गढ़वा से परसौनी जाने के रास्ते में एक पुल के समीप उतार दिया गया। जाते—जाते अभियुक्तों ने उसके पिता को जान से मारने की धमकी भी दी। बाद में पीड़िता के परिवार वाले उसे अपने घर ले आए।
पीड़िता के परिजन जब प्राथमिकी दर्ज करने गए तो थाने से उन्हें भगा दिया गया। उल्टे लड़की के चरित्र पर ही प्रशासन के लोग सवाल उठाने लगे। काफी दबाव के बाद 2 सितंबर को प्राथमिकी दर्ज हुई। फिर भी न तो लड़की का बयान लिया गया और न ही उसकी मेडिकल जांच कराई गई।
देश में यौन हिंसा और उत्पीड़न पर सख्त कानून है। प्राथमिकी के बाद त्वरित कार्रवाई होती है। लेकिन बिहार के मानक अलग हैं। यहां अभियुक्तों को देखकर कार्रवाई होती है। अगर मामला मुस्लिम से जुड़ा हो और पीड़ित पक्ष हिंदू हो तो स्वाभाविक तौर पर ढीला ढाला रवैया अपनाया जाता है। शायद यही सेकुलरवाद है।
टिप्पणियाँ