हेमंत सोरेन ईडी की जांच से बचने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे फंसते जा रहे हैं। आने वाले दिन उनके लिए मुश्किल भरे हो सकते हैं।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आने वाले दिनों में भी राहत मिलती नहीं दिख रही है। हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा भेजे गए समन के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी, जो 18 सितंबर को खारिज हो गई है। बता दें कि इससे पहले इस याचिका पर 15 सितंबर को सुनवाई होनी थी, लेकिन हेमंत के वकील की तबीयत अचानक खराब होने की वजह से यह सुनवाई 18 सितंबर को हुई। न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और न्यायाधीश बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ ने सुनवाई की। पीठ ने सोरेन को फटकार लगाते हुए कहा कि पहले याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाना चाहिए था। उच्च न्यायालय अगर उन्हें राहत नहीं देता या याची को लगता है कि उच्च न्यायालय का फैसला उसके लिए सही नहीं है, तब वह उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है। लिहाजा आप झारखंड उच्च न्यायालय जाइए।
ईडी ने मुख्यमंत्री को कब-कब भेजा समन?
जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूछताछ के लिए पहला समन 8 अगस्त को भेजकर 14 अगस्त को बुलाया था। उस वक्त मुख्यमंत्री ने इस पर आपत्ति जताते हुए ईडी से समन वापस लेने का आग्रह किया था। इसके बाद ईडी ने सोरेन को दूसरा समन 19 अगस्त भेजकर 24 अगस्त को हाजिर होने को कहा था। इसके बाद भी वे ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए। 23 अगस्त को वे सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गए। इसके बाद भी ईडी ने तीसरा समन 01 सितंबर भेजा और 9 सितम्बर को हाजिर होने के लिए कहा। ईडी ने सोरेन को चौथा समन 17 सितंबर को भेजा है, जिसमें उन्हें 23 सितंबर को रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में सुबह 10:30 बजे हाजिर होने का निर्देश दिया है।
क्या है इसके पीछे की कहानी?
इसी वर्ष जमीन घोटाला मामले में ईडी ने 13 और 26 अप्रैल को कई जगहों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी के दौरान 13 अप्रैल को राजस्व कर्मचारी भानुप्रताप के घर से एक बक्सा मिला था, जिसमें जमीन से जुड़े कई दस्तावेज भी बरामद किए गए थे। ईडी ने दस्तावेज में छेड़छाड़ सहित अन्य बिंदुओं के सिलसिले में मिली सूचनाओं को पीएमएलए की धारा 66 (2) के तहत सरकार से साझा किया था। सरकार के आदेश पर रांची के सदर थाने में प्राथमिकी (272/23) दर्ज कराई गई थी। यही वह प्राथमिकी है जिसके आधार पर हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय समन भेज रहा है। इसके अलावा रांची और जमशेदपुर में 5 ठिकानों पर ईडी ने छापा मारा था। यहां भी बड़ी संख्या में जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित दस्तावेज बरामद हुए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री के कई करीबी लोग और अधिकारियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा चुका है। इसी जमीन घोटाला मामले में प्रेम प्रकाश और छवि रंजन से पूछताछ की जा चुकी है।
क्या होगा इसका असर ?
अगर चौथे समन पर भी मुख्यमंत्री ईडी के समक्ष प्रस्तुत नहीं होते हैं तो उन्हें पांचवां या उससे ज्यादा समन भी कर सकती है। इसके साथ ही ईडी को यह भी अधिकार है कि तीसरे समन के बाद भी हाजिर नहीं होने पर ईडी कभी भी मुख्यमंत्री के खिलाफ न्यायालय जाकर जांच में सहयोग न करने की बात बता सकती है। इसके बाद न्यायालय से जमानती वारंट जारी हो सकता है। इसके बाद भी उपस्थित नहीं होने पर गैर—जमानती वारंट भी निकलवा सकती है। इसके बाद भी हाजिर नहीं होने पर कुर्की जब्ती आदि की कार्रवाई तक का अधिकार है। वर्तमान में दाहू यादव के मामले में ईडी यह प्रक्रिया अपना चुकी है।
इस मामले पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि हेमंत सोरेन महंगे वकीलों के दम पर मामले को और कितने दिनों तक लटकाएंगे! बेहतर होगा कि वे हिम्म्त जुटाकर जांच का सामना करें। अगर वे ग़लत नहीं हैं तो कोई क्या कर लेगा? और अगर ग़लत किया है तो फिर उन्हें जेल जाने से कौन बचा सकता है?
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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