देहरादून। बहुत कम लोगों को मालूम है कि उत्तराखंड में गंगा नगरी हरिद्वार की तरह एक और तीर्थ स्थली हरिपुर भी हुआ करती थी, जो यमुना जी के किनारे बसी हुई थी। एक बार आई प्रलयकारी बाढ़ में बह गई थी। ये तीर्थ स्थली देहरादून जिले में ही है और यहां चार नदियों का संगम बनाती हुई यमुना हिमाचल की तरफ बढ़ती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिपुर तीर्थ स्थल पर जमुना जी का घाट बनाने की योजना का शिलान्यास करेंगे। इसके लिए तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है और हरिपुर कालसी में उत्सव जैसा माहौल है। बताया जाता है कि सीएम धामी को हरिपुर तीर्थ स्थल के बारे हाल ही में मथुरा से भगवान राधा कृष्ण से जुड़ी संस्थाओं द्वारा दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने इस बारे में जानकारियां जुटाई।
हरिपुर स्थान, पछुवा देहरादून में कालसी के पास है, जहां चार नदियों का महासंगम है। यहां यमुना जी में टोंस, नौरा और अमलवा नदियां मिलती हैं। जानकारी के मुताबिक हिमालयन गजेटियर में इस महासंगम और हरिपुर का जिक्र करते हुए कहा गया है कि कभी ये बड़ा शहर हुआ करता था और यहां हरिघाट से श्रद्धालु स्नान करके यमुनोत्री की यात्रा शुरू करते थे। बताया गया है कि चार नदियों का महा संगम उत्तराखंड तो क्या पूरे उत्तराभारत में कहीं और नहीं है। पुराने जमाने में श्रद्धालु यमुना जी नदी मार्ग के किनारे बनी पगडंडियों कच्चे पैदल मार्ग या फिर सड़क से ही यमुनोत्री धाम की यात्रा किया करते थे।
हरिद्वार की तरह हरिपुर का हरिघाट भी आस्था का बड़ा केंद्र हुआ करता था। मथुरा वृंदावन के कृष्ण भक्ति आस्था जमुना जी से जुड़ी हुई रहती आई है, इसलिए यहां के लोग पूर्व में यहीं से चारधाम की यात्रा करते हुए पहले यमनोत्री जाया करते थे। जमुना जी के साथ ही महाभारत का इतिहास जुड़ा हुआ है और हरिपुर से ही कुछ किमी आगे लाखामंडल यानि लाक्षागृह भी है। कहा जाता है कि पांडवो को इसी लाक्षागृह में जीवित जलाने का षड्यंत्र रचा गया था।
हरिपुर के बारे में जब खोज की गई तो यहां कालपी ऋषि की तपस्थली के विषय में भी जानकारी आई जिसमें ये मालूम हुआ उनके द्वारा कि गुरु नानक काल से तपस्या शुरू की थी और दशम गुरु गोविंद सिंह की गोद में उन्होंने प्राण त्यागे थे, उल्लेखनीय है कि दशम गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षा दीक्षा युद्ध कला प्रशिक्षण भी यहीं हरिपुर के समीप जमुना किनारे ही पौंटा साहिब में हुआ।
क्या कहते हैं सीएम धामी
“पाञ्चजन्य” से बातचीत में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हरिपुर के बारे में उन्हे मथुरा के भगवान राधाकृष्ण से जुड़ी संस्थाओं से जानकारी मिली थी, साथ ही नए संसद भवन में अखंड भारत के नक्शे में कालसी का उल्लेख किया गया तो पता चला कि कालसी के पास ही हरिपुर है हमने एक टीम लगा कर हरिपुर हरिघाट की आध्यात्मिक जानकारी हासिल की। हरिपुर के बारे में ये भी पता चला है कि ये तीर्थ स्थल जौनसार बावर क्षेत्र का भी पावन स्थल रहा है। यमुना घाटी में हिमाचल और उत्तराखंड जौनसारी जनजाति के लोग रहते हैं और यमुना जी को अपनी आराध्य देवी मानते हैं, उनका जीना मरना इसी के साथ है। सीएम धामी ये भी कहते हैं कि यमुना जी मथुरा वृंदावन ब्रज में तो आराध्य हैं, परंतु उत्तराखंड में जहां से ये अवतरित हो रही हैं वहां क्यों उपेक्षित रहीं इस बारे में सोचते हुए हमने इस पर काम शुरू करवा दिया है।
यमुना जी में बनेंगे घाट, होगी आरती
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि यमुना जी के तीर्थस्थल हरिपुर, बड़कोट और गगनानी में घाटों का निर्माण कर वहां आरती शुरू कराई जाएगी और इसके लिए नमामि गंगे योजना से मदद ली जाएगी। सीएम धामी कहते हैं कि यमुनोत्री में भी प्रसादम योजना के तहत घाट का निर्माण होगा और वहां भी यमुना जी की पावन आरती शुरू करवाई जाएगी। सीएम ने कहा कि दिल्ली यमुनोत्री एनएच के जरिए लाखों तीर्थ यात्री यहां पहुंचेंगे इसलिए हम पावन यमुना जी के हरिपुर तीर्थ स्थल को पुनः स्थापित करना चाहते हैं। शायद यमुना जी ने भगवान राधा कृष्ण ने हमे ये सनातन सेवा कार्य करने का अवसर दिया है।
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