बिहार में मुंगेर को प्रतिमाओं का शहर कहा जाता है। यहां हर चौराहे पर किसी न किसी महान व्यक्ति की प्रतिमा लगी है। दानवीर कर्ण का कर्ण चौरा और मुंगेर योगस्थली आज भी इसकी समृद्ध विरासत का गवाह है। उसी मुंगेर में जिहादियों के डर से जिला प्रशासन महापुरुषों की प्रतिमाओं को ढकने की तैयारी कर रहा था। 2 सितंबर को मुंगेर जिला प्रशासन के निर्देश पर शहर के सभी महापुरुषों की मूर्तियों को बांस लगाकर ढक भी दिया गया था। महात्मा गांधी, चंद्रशेखर आजाद, लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल, पंडित दीनदयाल उपाध्याय समेत कई महापुरुषों की प्रतिमाओं की चारों ओर बांस भी बांध दिए गए थे। ऐसा चेहल्लुम के अवसर पर निकलने वाले जुलूस से बचाव के लिए किया गया। इस कार्रवाई को मुंगेर के लोग ठीक नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि राज्य सरकार जिहादी तत्वों के सामने नतमस्तक है। स्थानीय भाजपा विधायक प्रणव कुमार ने इसे तालिबानी फैसला बताया। उन्होंने इस मामले में प्रदर्शन की घोषणा भी की। मुंगेर प्रशासन के निर्णय को गलत बताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एवं पुस्तक प्रकाशक गौरव अग्रवाल इसे सर्वथा अनुचित बताते हैं। उनके अनुसार दुर्गा पूजा में प्रतिमा विसर्जन के समय बेवजह गोली बरसाने वाली पुलिस के हथियार में क्या जंग लग गया है? जिहादियों को औकात में रखने के बजाय प्रशासन बिहार की विभूतियों की प्रतिमाओं को ही ढकने में व्यस्त है।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष मुंगेर में चेहल्लुम के अवसर पर अखाड़ा द्वारा डीजे के साथ जुलूस निकाला गया था। प्रतिबंधित समय में भी डीजे बजता रहा। डीजे के शोर के कारण ड्यूटी पर तैनात दो हवलदार को हृदयाघात (हार्ट अटैक) हो गया था। दीनदयाल चौक के पास जुलूस के दौरान कासिम बाजार थाना क्षेत्र में पदस्थापित हवलदार मो. शकिम और पुलिस लाइन में तैनात हवलदार शंकर यादव की ड्यूटी के दौरान हृदयाघात हुआ था। इलाज के दौरान मो. शाकिम की मृत्यु सदर अस्पताल में हो गई। मुंगेर पुलिस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र यादव के अनुसार तेज ध्वनि के कारण दोनों की तबीयत बिगड़ी थी। कुछ वर्ष पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा पर जिहादियों ने पत्थरबाजी की थी।
बता दें कि चेहल्लुम का त्योहार 6 सितंबर, 2023 को मनाया जाएगा। चेहल्लुम हजरत इमाम हुसैन की शहादत के ठीक 40 दिन के बाद मनाया जाता है। यह एक गम का त्योहार है। इसे मुस्लिम समुदाय के लोग शहादत के रूप में मनाते हैं। पाकिस्तान जैसे इस्लामी देश में भी चेहल्लुम एक वैकल्पिक अवकाश है, लेकिन बिहार में चेहल्लुम पर अनिवार्य अवकाश होता है।
बिहार की तथाकथित सेकुलर सरकार का अजूबा निर्णय सबको हैरत में डाल रहा है। अभी 29 अगस्त को देर शाम बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के. के. पाठक ने बिहार के विद्यालयों की शिक्षा—व्यवस्था ठीक करने के नाम पर 14 छुट्टियां रद्द की हैं। यह एक प्रकार से हिंदू पर्वों में कटौती थी। पहले 30 अगस्त से 31 दिसंबर तक 25 छुट्टी निर्धारित थी, लेकिन शिक्षा विभाग के निर्णय के बाद 11 छुट्टी ही निश्चित की गई। रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और गुरु नानक जयंती जैसे पर्वों पर अब छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। तीज और जितिया से लेकर नवरात्रि तक के अवकाशों में कटौती हुई है, लेकिन चेहल्लुम जैसे सामान्य मुस्लिम पर्वों पर छुट्टियां यथावत रखी गई हैं।
इन 11 छुट्टियों में 3 दिन रविवार हैं। एक प्रकार से अब 8 छुट्टियां ही मिलेंगी। इन 8 छुट्टियों में चेहल्लुम, पैगंबर साहब जयंती और क्रिसमस की छुट्टी भी शामिल है। और 1 दिन महात्मा गांधी जयंती की छुट्टी है। इस प्रकार से हिंदुओं को दुर्गा पूजा में नवमी और दशमी, चित्रगुप्त पूजा/ भैया दूज और छठ पर्व के पारण के दिन ही कार्य दिवस का लाभ मिलेगा। यह फैसला 29 अगस्त को देर शाम को लिया गया था। इस निर्णय की तीखी प्रतिक्रिया होने पर भी मुख्यमंत्री ने इस निर्णय को वापस लेने से मना कर दिया। अब मुंगेर जिला प्रशासन के निर्णय से आम जन हतप्रभ है। वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि बिहार सरकार राज्य में शरिया कानून लागू करना चाहती है।
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