वाराणसी । चंद्रयान 3 के बाद अब भारत के वैज्ञानिक आदित्य एल -1 मिशन को सफल बनाने में लगे हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अभिषेक कुमार श्रीवास्तव ने आदित्य-एल1 के अंतरिक्ष मौसम प्रयोगों को संस्तुति देने के लिए इसरो की राष्ट्रीय स्तर की अध्ययन समिति ’आदित्य-एल1 अंतरिक्ष मौसम निगरानी और भविष्यवाणी योजना (एएसडब्ल्यूएमपी)’ में सदस्य के रूप में कार्य किया है। वह आदित्य-एल1 के पराबैंगनी दूरबीन की विज्ञान टीम (एसयूआईटी विज्ञान प्रबंधन पैनल) के सदस्य भी हैं। वह सौर वायुमंडल की भौतिकी को समझने वाले सक्रिय शोधकर्ता हैं, और आदित्य-एल1 विज्ञान से संबंधित वैज्ञानिक टीम की गतिविधि में शामिल हैं।
सौर भौतिक विज्ञानी डॉ. बी.बी. करक भी आईआईटी (बीएचयू) से हैं जो सूर्य के वायुमंडल की आंतरिक संरचना और उसके चुंबकत्व का अध्ययन करते हैं। डॉ अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि आदित्य एल-1 के प्राथमिक विज्ञान लक्ष्यों में से एक सीएमई का निरीक्षण करना और बहु-तरंगदैर्ध्य पर सौर हवा की उत्पत्ति की जांच करना है। आदित्य एल-1 पर रिमोट-सेंसिंग और इन-सीटू दोनों उपकरणों के साथ, हम सौर हवा की उत्पत्ति, सुपरसोनिक गति में इसके त्वरण, सीएमई के विकास और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने में सक्षम होंगे।
इसरो सितंबर 2023 के पहले सप्ताह में एल-1 बिंदु पर आदित्य-एल1 लॉन्च करेगा, जो सूर्य-पृथ्वी रेखा पर 15 लाख किलोमीटर दूर है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण संतुलित है। यह बिंदु हमें लगातार 24 घंटे सौर वातावरण की निगरानी करने में सुविधा प्रदान करता है। आदित्य-एल1 एल-1 बिंदु पर दूसरा सौर अंतरिक्ष है, जबकि सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) द्वारा एल-1 पर लॉन्च किया गया पहला था। आदित्य-1 एक स्वदेशी अंतरिक्ष मिशन है जिसमें 07 उपकरण भारतीय सौर भौतिकी समुदाय के भीतर विकसित किए गए हैं।
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि आदित्य-एल1 पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन है जिसे इस साल सूर्य की लगातार निगरानी के लिए लैग्रेंज वन (एल-1) बिंदु पर लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में संस्थान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस मिशन के लांच होने से देश ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में अध्ययन कर रहे शिक्षाविदों एवं शोधार्थियों को काफी मदद मिलेगी वहीं, संस्थान के इस विषय के छात्रों को सौर अनुसंधान के नए आयाम से जुड़ने का अवसर भी मिलेगा।
टिप्पणियाँ