कहते हैं कि यदि आपकी जुबान गंदी होगी तो आपके जीवन में परेशानियों को आने से कोई भी रोक नहीं सकता है। यही दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ हो रहा है। वे अपने ‘व्यंग्यात्मक’ और ‘अपमानजनक’ बयानों के कारण घिरते दिख रहे हैं। इस बार केजरीवाल ऐसे घिरे हैं कि दिग्गज वकील और कांग्रेसी नेता अभिषेक मनु सिंघवी के तर्क भी सर्वोच्च न्यायालय में उन्हें नहीं बचा पा रहे हैं। 25 अगस्त को सिंघवी ने अरविंद केजरीवाल को कठघरे में खड़े होने से बचाने के लिए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के सामने अनेक तर्क दिए, पर उनकी एक नहीं चली। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा कि जब आरोपित न्यायालय में हाजिर होगा तो वहां अपनी सभी बात रख सकता है। इसलिए आरोपित को कठघरे में जाने दीजिए। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने 25 अगस्त को गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अरविंद केजरीवाल की याचिका पर विचार करने से मना कर दिया। इसके बाद कानूनविद् मान रहे हैं कि जल्दी ही अरविंद केजरीवाल गुजरात में न्यायालय के कठघरे में खड़े हो सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षिणक योग्यता को लेकर केजरीवाल की टिप्पणी से जुड़ा है। बता दें कि इस मामले में 11 अगस्त को गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर रोक लगाने के केजरीवाल के अनुरोध को खारिज कर दिया था। इसके बाद केजरीवाल ने राहत पाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उल्लेखनीय है कि अरविंद केजरीवाल ने आर.टी.आई. के जरिए गुजरात विश्वविद्यालय से प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी मांगी थी, लेकिन गुजरात विश्वविद्यालय ने यह कहते हुए जानकारी देने से मना कर दिया था कि पूरी जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसके बाद केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने गुजरात विश्वविद्यालय को केजरीवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री के बारे में जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया था। बाद में यह मामला गुजरात उच्च न्यायालय पहुंचा। उच्च न्यायालय ने इस वर्ष 31 मार्च को सीआईसी के आदेश पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही यह भी कहा था कि आआपा प्रमुख की आरटीआई याचिका को देखने से यह “सुखद सार्वजनिक हित विचारों” पर आधारित होने के बजाय “राजनीतिक रूप से परेशान करने वाली और प्रेरित” प्रतीत होती है।
इसके बाद भी अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने अनेक बार प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता को लेकर बहुत ही हल्की बातें कहीं।
इन सबको देखते हुए गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के विरुद्ध मानहानि का मामला दायर कराया था। पीयूष पटेल द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और ट्विटर हैंडल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर विश्वविद्यालय को निशाना बनाते हुए “अपमानजनक” बयान दिए थे। शिकायतकर्ता का कहना है कि गुजरात विश्वविद्यालय को निशाना बनाने वाली उनकी टिप्पणियां अपमानजनक थीं और इससे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची, जिसने जनता के बीच अपना एक स्थान बनाया है। पटेल ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है कि दोनों नेताओं के बयान व्यंग्यात्मक थे और जानबूझकर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए दिए गए थे।
इससे पहले गुजरात की एक मेट्रोपॉलिटन अदालत ने इस मामले में अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने को कहा है। इस मामले पर 31 अगस्त को सुनवाई होने वाली है। इसके विरुद्ध अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने सत्र न्यायालय में अर्जी लगाई थी। वहां भी इन दोनों को राहत नहीं मिली। सत्र न्यायालय में 16 सितंबर को सुनवाई होगी।
अभी केजरीवाल केवल उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे थे, लेकिन वहां उन्हें जोरदार झटका मिला है। इसे देखते हुए लोग कह रहे है कि 29 जुलाई को गुजरात उच्च न्यायालय में होने वाली सुनवाई अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है।
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