दिल्ली में एक वरिष्ठ अधिकारी पर जिस प्रकार दुष्कर्म का आरोप लगा और जिस प्रकार मीडिया एवं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रश्न उठाए जाने पर आनन-फानन में उसे पद से हटाया गया और राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा कदम उठाए जाने के बाद दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल आपे से बाहर हुईं, इसे लेकर सोशल मीडिया पर अच्छा खासा विमर्श हो रहा है।
चर्चा इस बात की हो रही है कि आखिर क्यों स्वाति मालीवाल को दिल्ली में हो रहा एक बच्ची पर इतना बड़ा अत्याचार नहीं दिखाई दिया और वह भी तब जब वह दिल्ली सरकार में अधिकारी है। इस विषय में जो हैरान करने वाली बात है वह यह कि स्वाति मालीवाल को अब पीड़िता से मिलने जाना है और वह भी तब जब मीडिया में स्वाति मालीवाल से प्रश्न पूछे गए ? इस विषय में जहां स्वाति मालीवाल का वह चरित्र दिखाई दे रहा है, जिसमें दिल्ली महिला आयोग को उन्होंने राजनीतिक हितों को साधने का एक माध्यम बना लिया था।
स्वाति मालीवाल से भारतीय जनता पार्टी के नेता तो प्रश्न पूछ रहे हैं मगर आम जनता भी पूछ रहा है कि आखिर आप क्या कर रही थीं ? 13 अगस्त को एफआईआर दर्ज हुई थी। क्या कोई भी व्यक्ति सहज यह कल्पना कर सकता है कि एक नाबालिग लड़की के साथ सरकार का ही एक अधिकारी दुष्कर्म करता रहे और उसी सरकार का महिला आयोग उस मामले को तो छोड़ दीजिये, बल्कि एफआईआर पर भी सोता रहे ? वह तब जागे जब मीडिया में उससे प्रश्न किए जाएं और इन प्रश्नों के बाद वह पुलिस पर ठीकरा फोड़े और उसके बाद वह अस्पताल में जाकर पीड़िता से मिलने का नाटक करें।
इस मामले में जो सबसे गंभीर तथ्य उभर कर आ रहे हैं, वह यह कि इस बच्ची के पिता की मृत्यु वर्ष 2020 में हो गई थी और उसके बाद से ही वह अधिकारी उस बच्ची का यौन शोषण करता रहा। बताया जा रहा है कि बच्ची अपने पिता की मृत्यु के बाद उक्त अधिकारी अर्थात प्रेमोदय खाखा से चर्च में मिली थी, आरोपित अधिकारी समर्पित ईसाई है। वह उस समय डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्य कर रहा था। फिर वह उसे अपने घर ले आया और नवम्बर 2020 से लेकर जनवरी 2021 तक कई बार दुष्कर्म किया। लड़की की मानसिक स्थिति बिगड़ गयी थी क्योंकि उसे गर्भपात की दवाई दी जा रही थीं। बच्ची ने बहुत काउंसलिंग के बाद अपने साथ हुई घटना को बताने का साहस किया था, और चूंकि बच्ची के पिता की मृत्यु कोरोना से हुई थी, तो इस पर एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि अधिकारियों के पास ही यह डेटा आएगा कि किन बच्चों के पिता की मृत्यु हुई तो उस डेटा का मिसयूज किया गया, और जिस अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है उसके पास ही यह तमाम विवरण अपलोड करने की जिम्मेदारी थी तो यह मानव तस्करी का भी मामला है।
उन्होंने साफ तरीके से दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को झूठा बताया। उन्होंने यह भी ट्वीट करके कहा कि दिल्ली सरकार का राज्य बाल आयोग बच्ची से मिलकर काउंसलिंग रिपोर्ट बना चुका है। चूंकि यह मामला पौक्सो कानून के अंतर्गत आता है तो इसकी निगरानी का कार्य राज्य बाल आयोग का है।
आज स्वाति मालीवाल अस्पताल में जाकर पीड़िता से मिलने का नाटक कर सकती हैं, परन्तु उन्हें यह तो बताना ही होगा कि एफआईआर दर्ज होने के इतने दिनों तक वह सोती क्यों रहीं ? क्या वह अपनी ही सरकार के आरोपी अधिकारी के विषय में बोलने से डरती थीं ? या फिर उन्हें लगा कि मामला समय के साथ शांत हो जाएगा ? क्योंकि यह अधिकारी उन्हीं की सरकार में कार्यरत है।
परन्तु प्रश्न यह भी तो उठता है कि जब एफआईआर 13 अगस्त को हुई तो तब से लेकर अब तक स्वाति मालीवाल और अरविंद केजरीवाल सहित पूरी आम आदमी पार्टी एकदम चुप रही। भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष कपिल मिश्रा ने वह पत्र twitter के माध्यम से साझा किया कि वह अधिकारी दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में ओएसडी के रूप में नियुक्त हुआ था
जहां दिल्ली सरकार में कार्यरत यह अधिकारी कई महीनों से दिल्ली में रहकर और सरकार में रहकर इस जघन्य कार्य को कर रहा था, उसी समय स्वाति मालीवाल का दिल्ली महिला आयोग राजनीति का अखाड़ा बनकर उन राज्यों में महिलाओं के मामलों में बोल रहा था, जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। स्वाति मालीवाल मणिपुर जाकर महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाती हैं, मगर वह दिल्ली में अपनी ही सरकार के अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर नहीं बोलती हैं।
क्या ऐसा हो सकता है कि कोई अधिकारी इतने महीने तक बच्ची के साथ यह कुकृत्य करता रहा हो और किसी को पता न चला हो? राजनीतिक कारणों से बृजभूषण सिंह पर बार-बार बयान देने वाली स्वाति मालीवाल इस मामले पर एफआईआर के बाद मौन साध गयी थीं और अब अस्पताल में जाकर हंगामा कर रही हैं। ऐसा क्या कारण है कि अब उन्हें उस बच्ची से मिलना है?
यद्यपि पूर्व में भी स्वाति मालीवाल अपनी नौटंकी पूर्ण कृत्यों एवं बयानों के चलते चर्चा में रह चुकी हैं, जिनमें सबसे बड़ा बयान उनका अपने ही पिता के विरुद्ध था जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके पिता ने भी उनके साथ यौन शोषण किया था।
इतना ही नहीं स्वाति मालीवाल का दिल्ली महिला आयोग उस महिला की मृत्यु के विषय में भी बहुत अधिक मुखर नहीं रहा था, या कहें चुप ही रहा था जिसकी मृत्यु किसान आन्दोलन के दौरान हुई थी। उस महिला के साथ बलात्कार किया गया था और मीडिया के अनुसार उस युवती के पिता ने उसकी मृत्यु के बाद जिन लोगों का नाम लिया था उनमें से कई लोग कथित रूप से आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए थे।
उस समय स्वाति मालीवाल ने उस महिला की मृत्यु का सच जानने के लिए धरना किया हो, ऐसा स्मरण में नहीं आता!
स्वाति मालीवाल मगर अब इस मामले मामले पर अस्पताल में धरने पर बैठी हैं, और दिल्ली पुलिस पर आरोप लगा रही हैं कि बहुत कुछ छिपाया जा रहा है, मगर सोशल मीडिया पर जनता उन्हीं से पूछ रही है कि आखिर इतने दिनों तक छिपाया क्यों गया?
ऐसे में एक और प्रश्न उठता है कि क्या महिला आयोग जैसी संस्थाओं को राजनीतिक हितों के लिए प्रयोग में लाया जाएगा, जैसा विशेषकर आम आदमी पार्टी की सरकार वाले आयोग में देखा गया है कि मणिपुर जाने की जल्दी स्वाति मालीवाल को होती है, उत्तर प्रदेश की किसी घटना को बिना जांच के उठाने की जल्दी होती है और जब पुलिस जांच करके सत्य सामने लाए तो सफाई की भी जरूरत स्वाति मालीवाल को नहीं होती है और स्वाति मालीवाल राजस्थान नहीं जाती हैं, जब एक बच्ची को बलात्कार के बाद भट्टी में जला दिया जाता है, ऐसे में महिला आयोग का राजनीतिक कठपुतली बनना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जा सकता है।
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