‘‘जब भारत पर संकट आया, 2005 से लेकर 2014 तक चीन सरकार ने कांग्रेस को पैसा दिया।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘2008 में जब ओलंपिक (चीन में) हुआ, तब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आमंत्रित किया गया था और 2017 में डोकलाम के समय ये (कांग्रेस नेता) चीनी लोगों के साथ बात कर रहे थे।’’
गलवान में जून 2020 को भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में चीन के कम से कम 38 सैनिक मारे गए थे। इसके बाद चीनी हमले का तरीका बदल गया। अब भारत पर चीनी हमला भारत के अपने मीडिया, भारत के अपने बुद्धिजीवियों और भारत के अपने राजनीतिक नेताओं के माध्यम से हो रहा है।
भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर खुला आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी को चीन से धन मिल रहा है तथा चीन द्वारा एक सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय प्रचार टूलकिट चलाया जा रहा है। जवाब में कांग्रेस और राहुल गांधी की ओर से कोई सफाई तक नहीं दी गई। संसद में भी भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया, ‘‘जब भारत पर संकट आया, 2005 से लेकर 2014 तक चीन सरकार ने कांग्रेस को पैसा दिया।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘2008 में जब ओलंपिक (चीन में) हुआ, तब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आमंत्रित किया गया था और 2017 में डोकलाम के समय ये (कांग्रेस नेता) चीनी लोगों के साथ बात कर रहे थे।’’
लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रचार टूलकिट के सदस्य दूसरों को गोदी मीडिया कैसे कहते हैं? जनता जानती है कि गोदी मीडिया कौन है और क्या है। स्वयं चीन की गोद में बैठा यह असली गोदी मीडिया नफरत फैलाने का भी काम करता है।
चीन भारतीय राजनीति और भारतीय मीडिया में कहां तक पहुंच गया है? हाल में उठा यह सवाल न्यूजक्लिक घोटाले का है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और भारत की मीडिया के बीच संबंध हाल के समय में उजागर हुए हैं। अमेरिकी अरबपति नेविल रॉय सिंघम को चीन समर्थक नहीं, चीन की पैरोकारी करने वाले प्रचार नेटवर्क में एक केंद्रीय व्यक्ति के रूप में पहचाना गया है। प्रवर्तन निदेशालय ने 9 फरवरी, 2021 को आनलाइन समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक के कार्यालय पर छापेमारी की थी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में की गई थी। ईडी ने लगभग आठ परिसरों पर छापे मारे गए, जिनमें न्यूजक्लिक और दक्षिण दिल्ली के सैदुलाजाब, गुड़गांव और कुछ अन्य क्षेत्रों में इसके प्रमोटरों के परिसर शामिल थे। जांच कुछ संदिग्ध विदेशी वित्तपोषण और पिछले दो साल से बंद एक ‘निष्क्रिय कंपनी’ की भूमिका से जुड़ी है, जिसका इस्तेमाल कथित तौर पर 38 करोड़ रुपये से अधिक के फंड के लेन-देन के लिए किया गया था।
यह रिश्ता क्या कहलाता है?
दरअसल, यह सिर्फ मीडिया की नहीं, बल्कि राजनीतिक नेताओं की भी कहानी है। 15 जून, 2020 को चीनी सैनिकों के साथ गलवान में हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। गलवान झड़प के तुरंत बाद राहुल गांधी ने न सिर्फ प्रधानमंत्री से प्रश्न किया, बल्कि खुद चीनी राजदूत से भी बातचीत की। इससे पहले, 8 जुलाई, 2017 को जब भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ रहा था, तब उस समय कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी भारत में चीनी दूत लुओ झाओहुई से मिलने पहुंचे थे। कांग्रेस पार्टी घंटों तक इसका जोरदार खंडन करती रही थी। लेकिन शाम को जब खुद चीनी दूतावास ने इसकी घोषणा कर दी, तो कांग्रेस को इसे स्वीकार करना पड़ा।
चीनी दूतावास की वेबसाइट पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई, जिसमें लिखा था, ‘‘8 जुलाई को राजदूत लुओ झाओहुई ने कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। दोनों पक्षों ने वर्तमान चीन-भारत पर विचारों का आदान-प्रदान किया। काउंसलर झोउ युयुन ने बैठक में भाग लिया।’’ हालांकि बाद में चीनी वेबसाइट से यह विज्ञप्ति हटा ली गई। यह रिश्ता क्या कहलाता है? मई 2022 को राहुल गांधी एक ‘निजी मित्र’, जो नेपाल में भारत विरोधी और चीन समर्थक कार्यक्रमों की मुख्य कर्ताधर्ता है, के विवाह में काठमांडू गए। रात को एक नाइट क्लब ‘लॉर्ड आफ ड्रिंक्स’ में राहुल गांधी एक वीडियो में चीनी राजदूत होउ यांकी के साथ देखे गए। यह चीन और कांग्रेस के कनेक्शन की एक बानगी है। चीन और भारतीय मीडिया का कनेक्शन क्या है?
पिछले दिनों न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक बड़ा खुलासा प्रकाशित किया था, जिसमें अमेरिकी कारोबारी नेविल रॉय सिंघम की कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइना और भारत के बड़े मीडिया प्रकाशक न्यूजक्लिक के बीच संबंध दिखाए गए थे। सिंघम न केवल भारत में बल्कि रूस, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका जैसे देशों में भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का प्रचार-प्रसार कर रहा है। यह सिद्धांत सिंघम के ग्रुप ने ही फैलाया था कि कोरोना वायरस का निर्माण अमेरिकी सेना द्वारा किया गया था। विभिन्न देशों में मीडिया को फंडिंग करना और उनका इस्तेमाल अपने देश में चीनी प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए करना, यह पिछले कुछ वर्षों से चीन की एक सोची-समझी रणनीति रही है।
सिंघम की कंपनी में कॉमरेड!
नेविल रॉय सिंघम एक अमेरिकी तकनीकी उद्यमी है, जिसने थॉटवर्क्स नाम से एक प्रौद्योगिकी कंसल्टेंसी फर्म बनाई थी। 2017 में उसने कंपनी लगभग 79 करोड़ डॉलर में एक ब्रिटिश कंपनी को बेच दी। सिंघम की कंपनी में कर्मचारी एक-दूसरे को कॉमरेड कहकर बुलाते थे। कॉमरेड बनना कौन चाहता है? खासतौर पर तब, जब आप एक पूंजीवादी देश में रहकर पूंजीवाद से पैसा कमा रहे हैं। ठीक उसी तरह, जैसे कई लोग पाकिस्तान की बात करते हैं, जिन्हें भारत में बहुत डर लगता है, लेकिन वे भारत छोड़कर पाकिस्तान नहीं जाना चाहते।
अमेरिकी व्यवसायी सिंघम के चीन सरकार से कई तरह के संबंध हैं। 2008 में वह हुआवेई में तकनीकी सलाहकार था। नेविल रॉय सिंघम ने शंघाई लुओवेइक्सिंग और गोंडवाना फूड्स जैसी चीनी कंपनियों में भी निवेश किया हुआ है। वह शंघाई शिनॉन्ग कंपनी का कानूनी प्रतिनिधि भी रहा है। सिंघम की पत्नी जोडी इवांस ने नारीवादी संगठन ‘कोड पिंक’ बनाया, जिसने 2021 में ‘चीन हमारा दुश्मन नहीं है’ नाम से एक अभियान शुरू किया था। इस अभियान का मूल उद्देश्य अमेरिका में चीनी प्रोपेगेंडा फैलाना था। ये लोग अपने पैसों, संसाधनों और अलग-अलग संस्थाओं का इस्तेमाल करके पूरी दुनिया में उइगरों के उत्पीड़न से साफ इनकार की तरह चीन का विमर्श फैला रहे थे।
ईडी के अनुसार, माकपा के आईटी सेल के बप्पादित्य सिन्हा और भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी शहरी नक्सली गौतम नवलखा और अमेरिका स्थित वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग एलएलसी न्यूजक्लिक के शेयरधारक हैं।
फिर न्यूजक्लिक पर लौटें। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी सिंघम के जरिए भारत में न्यूजक्लिक नामक मीडिया प्लेटफॉर्म को फंडिंग कर रही थी। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने सिंघम को और फिर उसने आगे न्यूजक्लिक को 39 करोड़ रुपये दिए। रिपोर्ट में सिंघम और न्यूजक्लिक के सह-संस्थापक गौतम नवलखा के संबंधों का खुलासा हुआ है। गौतम नवलखा याद आया? वही एनआईए का आरोपी, नक्सलियों का साथी, भीमा कोरेगांव दंगों के समय दंगे भड़काने का आरोपी, जिसके जाहिर तौर पर पाकिस्तान से भी संबंध हैं, जिस पर कश्मीर में भी अलगाववाद और आतंक फैलाने व भारतीय सेना के विरुद्ध दुष्प्रचार करने के आरोप हैं।
उधर, नेविल रॉय सिंघम के पिता आचीर्बाल्ड सिंघम कम्युनिस्ट आंदोलन के ‘चीन गुट’, सीलोन कम्युनिस्ट पार्टी के साथ जुड़े हुए थे। ईडी की जांच के अनुसार, माकपा के आईटी सेल के बप्पादित्य सिन्हा और भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी शहरी नक्सली गौतम नवलखा न्यूजक्लिक के शेयरधारक हैं। पोर्टल में शेयर रखने वाले अन्य लोगों में अमेरिका स्थित वर्ल्डवाइड मीडिया होल्डिंग एलएलसी शामिल है, जिसका 100 प्रतिशत स्वामित्व सिंघम की कार्यकर्ता पत्नी जोडी इवांस द्वारा प्रबंधित निगम के पास था।
करात-सिंघम का ईमेल संवाद
खैर, मार्च 2020 से भेजे गए ईमेल की एक शृंखला में सिंघम ने प्रबीर पुरकायस्थ, सृजना, प्रशांत और विजय प्रसाद का परिचय अपने चीनी संपर्कों से कराया था। इन ईमेल का विषय चीन और उसके वुहान वायरस पर तीन लेखों की शृंखला थी। सिंघम और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या सीपीएम के वरिष्ठ नेता और पार्टी के पूर्व महासचिव प्रकाश करात के बीच ईमेल पर हुए संवाद का एक और सेट है। ये मेल भारतीय प्रेस में चीनी प्रभाव की अंधेरी दुनिया पर प्रकाश डालते हैं।
28 दिसंबर, 2020 को भेजे गए एक मेल में सिंघम माकपा नेता प्रकाश करात से कहता है, ‘‘मैं यहां शंघाई में एक नई मीडिया टीम बनाने पर काम कर रहा हूं, ताकि वैश्विक प्रगतिशील ताकतों के साथ तालमेल और संपर्क पर ध्यान किया जा सके। यह (टीम) चीन में वीबो, वीचैट और गुआंचा में चर्चित महत्वपूर्ण और लोकप्रिय कहानियों का एक नया अलग मासिक डाइजेस्ट बनाने के लिए वैश्विक संपादकों के साथ काम करने के शुरुआती चरण में है। हमें उम्मीद है कि यह आप जैसे महत्वपूर्ण नेताओं के लिए मूल्यवान होगी।’’
मेल में चीनी पत्रिका गुआंचा में सीपीएम पर प्रकाशित एक अंश का अनुवाद भी है, जो सीपीएम की चमकदार प्रोफाइल और सीपीएम पर माओत्से तुंग के विशाल प्रभाव का चित्रण करता है। फिर 1 जनवरी, 2021 को नेविल रॉय सिंघम ने करात को एक और मेल भेजा, जिसमें चीन के इंटरनेट एकाधिकार के नियमों के बारे में बात की गई है। इसमें कहा गया है, ‘‘यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि पूंजी समाजवाद को चुनौती नहीं दे सकती और उसे समाज को नष्ट करने के लिए राजनीतिक स्थान नहीं दिया जाएगा।’’ मेल यह कहते हुए समाप्त होती है, ‘‘चीन में व्यापक दर्शकों के लिए लोकप्रिय प्रारूप में चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका का कवरेज बढ़ाने की उम्मीद है।’’
1 जनवरी, 2021 को एक मेल के जवाब में करात दो बड़ी चीनी कंपनियों एएनटी और अलीबाबा के खिलाफ चीन के कदमों की सराहना करते हुए कहते हैं, ‘सीपीआई (एम) पर (चीनी पत्रिका) गुआंचा (में प्रकाशित) लेख काफी विस्तृत था। वहां इस तरह की कवरेज देखना अच्छा है, ऐसे समय में जब सीमा समस्या के बाद से यहां मीडिया में चीन विरोधी भावनाएं भड़काई जा रही हैं। दुर्भाग्य से इसका बड़ा प्रभाव पड़ा है। भारत सरकार चीन से निवेश और आयात पर प्रतिबंध लगा रही है, जिससे हमारे देश को और अधिक नुकसान होने वाला है।’’
अब टाइमिंग देखिए, करात का यह मेल तब का है, जब बमुश्किल 6 महीने पहले, 15 जून को पूर्वी लद्दाख के गलवान में चीनी सैनिकों से झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे और 76 अन्य घायल हो गए थे। लेकिन करात को उससे सरोकार नहीं था, उसे तो उन्होंने ‘सीमा समस्या’ बता दिया था। यह वही समय था, जब भारत वुहान वायरस से जूझ रहा था और अपनी अर्थव्यवस्था को भारी कीमत चुकाते हुए भारतीयों की जान बचाने के लिए उसे व्यापक लॉकडाउन लगाना पड़ा था। लेकिन उस समय भी करात भारत में चीनी निवेश और निर्यात पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों से चिंतित थे। करात की चिंता यह थी कि भारत चीन के साथ अपने विशाल और प्रतिकूल व्यापार घाटे से निपटने के लिए कुछ प्रयास कर रहा है।
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