वास्तव में भारत की राजनीति और मीडिया पर दूसरे देशों का, खासतौर पर चीन का बढ़ता प्रभाव चिंता का विषय बनता जा रहा है। षड्यंत्र बड़ा है और इसकी परतें भी खुलती जा रही हैं। यह देश के कानूनों का, देश में मौजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था का लाभ देश के शत्रुओं द्वारा उठाने की स्थिति है। सरकार कई पहलुओं से इस संजाल को तोड़ने के प्रयास कर रही है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में विपक्ष से कहा कि आप कहते हैं कि हमें नागपुर से निर्देश मिलते हैं। एक क्षण के लिए मान लिया कि हमें नागपुर से निर्देश मिलता है। लेकिन नागपुर तो भारत में ही है। आपको तो रूस और चीन से निर्देश मिलता है। आपको तो देशभक्ति की बात ही नहीं करनी चाहिए।
यह मौका था राज्यसभा में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पर बहस के उत्तर का। गृहमंत्री की टिप्पणी भले ही भारत की कम्युनिस्ट पार्टियों के लिए रही हो, लेकिन यह टिप्पणी कुछ और विपक्षी दलों पर भी लागू होती है। वास्तव में भारत की राजनीति और मीडिया पर दूसरे देशों का, खासतौर पर चीन का बढ़ता प्रभाव चिंता का विषय बनता जा रहा है। षड्यंत्र बड़ा है और इसकी परतें भी खुलती जा रही हैं। यह देश के कानूनों का, देश में मौजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था का लाभ देश के शत्रुओं द्वारा उठाने की स्थिति है। सरकार कई पहलुओं से इस संजाल को तोड़ने के प्रयास कर रही है। इस कड़ी में गृहमंत्री द्वारा संसद में रूस और चीन को नाम लेकर इंगित करना न अनायास था, न मात्र संयोग।
अगर सारे घटनाक्रम पर विहंगम दृष्टि डालें, तो केंद्र सरकार द्वारा विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) में संशोधन, कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन का एफसीआरए लाइसेंस रद्द करना इस दिशा में केंद्र सरकार की सक्रियता का अच्छा खासा संकेतक था। इसी तरह, चीनी एप पर रोक लगाने के बाद सरकार ऐसे चीनी उपकरणों के आयात पर रोक लगा रही है, जिनका संबंध देश की सूचना सुरक्षा से है।
आतंकवाद और विध्वंसकारी गतिविधियों पर सरकार की दृष्टि है और अब वह मसौदे में भी है। मसौदे के बाहर क्या है? न्यूजक्लिक नाम के वेबपोर्टल को चीनी फंडिंग का मामला अब सामने आया है, लेकिन इस कथित समाचार पोर्टल, इसके संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ सहित इसके प्रमोटरों पर प्रवर्तन निदेशालय ने सितंबर 2021 में ही छापा मारा था। कांग्रेस और कांग्रेस के युवराज के चीन से संबंधों का मामला 2017 से सार्वजनिक जानकारी में है। क्या है इस सबका रहस्य?
इसके बाद केंद्र सरकार ने लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023 पेश किया। विधेयक में पहली बार आतंकवादी गतिविधियों और संगठित अपराधों को जोड़ा गया है। यह एक विस्तृत विधेयक है, जो फिलहाल संसद की स्थायी समिति के विचाराधीन है, लेकिन इसके कुछ बिंदुओं पर विमर्श आवश्यक है। पहला, प्रस्तावित विधेयक ने औपचारिक रूप से आतंकवाद को विशिष्ट अपराध के रूप में परिभाषित किया है, जो एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरों के खिलाफ भारत की लड़ाई में महत्वपूर्ण प्रगति है। बिल की नई धारा 111 में ‘आतंकवादी कृत्य का अपराध’ शामिल है।
इसमें उन तमाम हरकतों की एक विस्तृत शृंखला की रूपरेखा है, जो देश के कानूनी ढांचे के भीतर आतंकवाद के दायरे में आती हैं। मसौदा कानून के अनुसार, धारा 111 का मुख्य फोकस राष्ट्र को उन कृत्यों से बचाना है, जो जनता की सुरक्षा को खतरे में डालते हैं, भय पैदा करते हैं और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करते हैं। धारा 195 के तहत भारत की संप्रभुता, सुरक्षा को खतरे में डालने वाली ‘फर्जी खबर या भ्रामक जानकारी’ फैलाने वालों को तीन वर्ष तक कैद की सजा का भी प्रावधान है। अब चीन प्रायोजित पोर्टल क्या करेंगे?
दूसरा यह कि विधेयक में न केवल देश के भीतर, बल्कि भारत के बाहर स्थित घोषित अपराधियों की संपत्तियों की कुर्की और जब्ती का भी प्रावधान है। अब आइए एक अन्य बिंदु पर। प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता में एक नया खंड जोड़ा गया है, जिसमें पुलिस को अदालत की अनुमति से धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों को छोड़कर अपराध से अर्जित संपत्ति को जब्त और संलग्न करने का अधिकार दिया गया है।
घोषित अपराधी की संपत्ति के माध्यम से मुआवजे का प्रावधान जोड़ा गया है। क्या यह सारे नियम उन परिस्थितियों से निपटने की दिशा में नहीं हैं, जो बेहद संगठित ढंग से बनाई जा रही हैं और भारत की कानूनी कमजोरियों का लाभ उठाती हैं? जैसे-नए विधेयक में संगठित अपराध और अंतरराष्ट्रीय गिरोहों के मामले में सजा का प्रावधान सख्त किया गया है। इसका असर क्या होगा, यह समझा जा सकता है। पहचान छिपाकर महिलाओं का यौन शोषण अपराध माना जाएगा। इस प्रावधान से लव जिहाद जैसे मामलों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
आतंकवाद और विध्वंसकारी गतिविधियों पर सरकार की दृष्टि है और अब वह मसौदे में भी है। मसौदे के बाहर क्या है? न्यूजक्लिक नाम के वेबपोर्टल को चीनी फंडिंग का मामला अब सामने आया है, लेकिन इस कथित समाचार पोर्टल, इसके संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ सहित इसके प्रमोटरों पर प्रवर्तन निदेशालय ने सितंबर 2021 में ही छापा मारा था। कांग्रेस और कांग्रेस के युवराज के चीन से संबंधों का मामला 2017 से सार्वजनिक जानकारी में है। क्या है इस सबका रहस्य?
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