भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के नागरिकों को संबोधित करते हैं। इस कार्यक्रम का पहला प्रसारण 3 अक्तूबर 2014 को किया गया। 30 अप्रैल, 2023 को मन की बात का 100 वां भाग प्रसारित हुआ।
मन की बात आकाशवाणी पर प्रसारित किया जाने वाला एक कार्यक्रम है, जिसके जरिये भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत के नागरिकों को संबोधित करते हैं। इस कार्यक्रम का पहला प्रसारण 3 अक्तूबर 2014 को किया गया। 30 अप्रैल, 2023 को मन की बात का 100 वां भाग प्रसारित हुआ।
कार्यक्रम का उद्देश्य प्रधानमंत्री के विचारों और कार्यों को भारत के आम लोगों तक पहुंचाना है। चूंकि टेलीविजन कनेक्शन अभी भी भारत में हर जगह उपलब्ध नहीं है, विशेष रूप से ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में। इसलिए रेडियो को इसकी व्यापक पहुंच के कारण कार्यक्रम के लिए चुना गया। कुल भारतीय आबादी का अनुमानित 90 फीसद इस माध्यम से पहुंचा जा सकता है।
दूरदर्शन की डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा मुफ्त डिश 20 मिनट लंबे एपिसोड के फीड को टेलीविजन और रेडियो चैनलों पर प्रसारित करती है। मन की बात आल इंडिया रेडियो के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत बन गया। 2015 में, आल इंडिया रेडियो पर सामान्य विज्ञापन स्लॉट 500 रुपए-1,500 प्रति 10 सेकंड में बिके, लेकिन मन की बात के लिए 10 सेकंड के विज्ञापन स्लॉट की कीमत 2 लाख रुपए थी।
तीन तलाक की समाप्ति
तीन तलाक कानून 19 सितंबर 2018 से लागू हुआ है। कानून बनने के बाद 19 सितंबर 2018 के बाद तीन तलाक से संबंधित मामलों का निपटारा इसी कानून के तहत किया जा रहा है। जिसमें मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से संरक्षण देने के साथ ऐसे मामलों में दंड का भी प्रावधान किया गया है।
कानून बन जाने के बाद तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत गैर कानूनी हो गया है। इसे संज्ञेय अपराध माना गया। पुलिस ऐसे व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ़्तार कर सकती है, जिसने तीन तलाक लिया हो। साथ ही इसमें तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। इस कानून के तहत मजिस्ट्रेट को पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार होगा। मुकदमे से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है।
पीड़िता, उसके रक्त संबंधी और विवाह से बने उसके संबंधी ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं। पति-पत्नी के बीच यदि किसी प्रकार का आपसी समझौता होता है तो पीड़िता अपने पति के खिलाफ दायर किया गया मामला वापस ले सकती है।
मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा। एक बार में तीन तलाक की पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट द्वारा तय किये गए मुआवजे की भी हकदार होगी। इस कनून के तहत लिखित या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक विधि से एक साथ तीन तलाक कहना अवैध तथा गैर-कानूनी है।
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