4 नवंबर, 1994 को अदालत में 10,000 पन्नों वाला प्राथमिक आरोप-पत्र दाखिल किया गया, जिसमें 189 लोग आरोपी थे। 19 नवंबर को जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी गई।
दिसंबर 1992 में अयोध्या में हुई कारसेवा का बदला लेने के लिए 1993 में बम धमाकों की साजिश रची गई। 12 मार्च, 1993 को मुंबई में दो घंटे के भीतर एक के बाद एक 12 बम विस्फोट किए गए। इन बम धमाकों का मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम था। इसमें 257 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 1,400 घायल हुए थे। इस हमले में मेमन परिवार के कई लोग शामिल थे।
4 नवंबर, 1994 को अदालत में 10,000 पन्नों वाला प्राथमिक आरोप-पत्र दाखिल किया गया, जिसमें 189 लोग आरोपी थे। 19 नवंबर को जांच की जिम्मेदारी केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी गई। 19 अप्रैल, 1995 को मुंबई की टाडा अदालत में सुनवाई शुरू हुई, जो सितंबर 2003 तक चली। इस दौरान 600 लोगों की गवाही हुई। 2006 में अदालत ने मुख्य आरोपी टाइगर मेमन के भाई याकूब मेमन और संजय दत्त सहित 100 लोगों को दोषी ठहराया, जबकि 23 लोगों को बरी कर दिया गया। निचली अदालत के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।
1 नवंबर, 2011 को शीर्ष न्यायालय में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई, जो दस महीने चली। 21 मार्च, 2013 को सर्वोच्च न्यायालय ने संजय दत्त के अलावा दाऊद इब्राहिम और याकूब मेमन को दोषी करार दिया। अब तक 99 दोषियों को सजा सुनाई गई। इनमें 14 को फांसी की सजा और अबू सलेम सहित 22 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। 2015 में याकूब मेमन को फांसी दे दी गई। अब्दुल कय्यूम जून 2017 में रिहा हो गया, जबकि टाइगर मेमन और दाऊद सहित 27 आरोपी फरार हैं।
संसद पर आतंकवादी हमला
13 दिसंबर, 2001 को संसद पर आतंकवादी हमला हुआ। इसमें नौ सुरक्षाकर्मियों ने अपना बलिदान देकर इस हमले को विफल कर दिया। इस हमले के मुख्य षड्यंत्रकारी अफजल को फांसी की सजा हुई थी। उसकी सजा को रुकवाने के लिए सेकुलरों ने रात में सर्वोच्च न्यायालय के दरवाजे खुलवाए थे। फिर भी अफजल को फांसी पर लटकाया गया।
दल-बदल विरोधी कानून
52वें संविधान संशोधन के बाद 15 फरवरी, 1985 को देश में ‘दल-बदल विरोधी कानून’ पारित किया गया। ऊपरी तौर पर इस कानून का मुख्य उद्देश्य भारतीय राजनीति में ‘दल-बदल’ की प्रथा को समाप्त करना था, लेकिन व्यवहार में यह माना गया था कि राजीव गांधी अपनी सत्ता को लेकर सशंकित थे और यह कानून पारित करके उन्होंने कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं के प्रधानमंत्री बनने के मंसूबों पर पानी फेर दिया था।
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