देहरादून। उत्तराखंड में मानसून का कहर जारी है। पिछले 24 घंटे में चार लोगों की जान चली गई है। राज्य में 133 सड़कें मलबा आने से बंद पड़ी हैं। वर्षा की वजह से हवाई सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। अगले दो दिन भी उत्तराखंड के चार जिलों में भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की गई है।
उत्तराखंड के ऋषिकेश नीलकंठ क्षेत्र में बादल फटने के दौरान रिकॉर्ड 434 मिमी बारिश हुई है। बारिश की वजह से यहां हुई भूस्खलन में दो लोगों की मौत हो गई है। इस मानसूनी बारिश के कहर से मई से अभी तक 136 लोगों की जान चली गई है। एसडीआरएफ के कमांडर मणिकांत मिश्र के मुताबिक बारिश भूस्खलन की घटनाओं में अभी तक 1226 लोगों को एसडीआरएफ ने रेस्क्यू किया है। अभी भी 18 लोग गौरीकुंड से लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। पिछले एक दिन में कालसी में 173, हरिपुर में 144, टनकपुर में 125, देहरादून में 122, रायवाला में 123, मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है।
भारी बारिश की वजह से जॉली ग्रांट एयरपोर्ट पर उतरने वाली तीन फ्लाइट को हवा में आधे घंटे तक रहना पड़ा। विजिबिलिटी नहीं होने के कारण हवाई जहाज को उतरने में दिक्कत आ रही थी। थोड़ा बादल छटने के बाद रनवे की लाइट ऑन करने के बाद लखनऊ, दिल्ली और जयपुर से आए जहाज लैंड हुए। मुंबई की उड़ान भी रद्द करनी पड़ी। कुमायूं में वर्षा से थोड़ी राहत मिली है, यहां हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास गौला नदी ने रेलवे पटरी तक पहुंचना शुरू कर दिया है। प्रशासन ने पानी का रुख मोड़ने के लिए उपाय शुरू कर दिए हैं।
133 सड़कें बंद
अभी भी पहाड़ी क्षेत्र की 133 छोटी बड़ी सड़कें बंद हैं। कहीं सड़क बह गई है तो कहीं भूस्खलन का मलबा गिरा हुआ है। गौरीकुंड के पास 60 मीटर की सड़क बह गई है। यहां पिछले एक हफ्ते से लगातार भूस्खलन हो रहा है। यहीं 20 लोग भी लापता हुए थे, जिनमें से 18 की खोज एसडीआरएफ कर रही है। देहरादून, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी जिलों में अगले दो दिन भारी बारिश होने की चेतवानी जारी की गई है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बिजली पानी का भी संकट है, जिसे दूर करने में प्रशासन लगा हुआ है।
सीएम ने की समीक्षा
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के आपदा हालात की समीक्षा की है। मौसम खराब होने की वजह से वे आपदा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने नहीं जा पाए हैं, वो वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी डीएम के साथ रोजाना संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बचाव दल बराबर काम कर रहे हैं। राहत शिविर लगाए गए हैं। सबसे बड़ी प्राथमिकता जानमाल की सुरक्षा की है। उन्होंने कहा कि आपदा काल में स्वयंसेवी संस्थाएं भी मदद के लिए आगे आएं।
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