जम्मू-कश्मीर: जस्टिस नीलकंठ गंजू हत्याकांड की दोबारा जांच होगी। जिसकी जिम्मेदारी राज्य जांच एजेंसी (SIA) को दी गई है। 33 साल पहले आतंकियों ने जस्टिस नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी थी। 4 नवंबर 1989 को श्रीनगर हाई स्ट्रीट मार्केट के समीप उच्च न्यायालय के पास उनपर बंदूक से ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी। ये हत्या जेकेएलएफ के सरगना यासीन मलिक के इशारे पर हुई थी।
जज नीलकंठ गंजू ने ही पुलिस अधिकारी अमर चंद की 1966 में हुई हत्या के मामले में आतंकी मकबूल भट्ट को मौत की सजा सुनाई थी। जिसके बाद से आतंकी संगठन में खलबली मच गई थी। जेकेएलएफ के सरगना यासीन मलिक के इशारों पर उनकी हत्या हुई। इस्लामी आतंकवादियों ने कोर्ट के बाहर उनपर गोलियों की बौछार कर दी थी। जिसमें उनकी मौत हो गई थी।
बतादें, जिस समय नीलकंठ गंजू ने यह फैसला सुनाया था, उस दौरान वे स्पेशल जज थे और बाद में हाई कोर्ट के जज के रूप में रिटायर हुए थे।
वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी ने रिटायर जज नीलकंठ गंजू हत्याकांड में बड़ी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए आम लोगों से मदद मांगी है, और उन्होंने नंबर के साथ ईमेल आईडी जारी करते हुए कहा है कि जानकारी साझा करने वाले की पहचान को गुप्त रखा जाएगा साथ ही प्रासंगिक जानकारी देने वाले को पुरस्कृत भी किया जाएगा। पब्लिक से आग्रह किया गया है कि इस हत्याकांड से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए इस नंबर- 8899004976 इस ईमेल sspsia-kmr@jkpolice.gov.in पर संपर्क कर सकते हैं।
रिटायर जज नीलकंठ गंजू की हत्या
वर्ष 1990 का वो मंजर जो भारत के इतिहास के एक काले पन्ने में दर्ज है जब कश्मीरी पंडितों का घाटी से पलायन हुआ था। कश्मीरी पंडितों की हत्या की शुरुआत साल 1989 से ही हो गई थी। जिसमें सबसे नृशंस हत्या रिटार्यड जज नीलकंठ गंजू की थी। 4 नवंबर 1989 को हाईकोर्ट के पास उनकी गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद दो घंटे तक उनका शव सड़क पर ही पड़ा रहा था। उनकी हत्या के बाद, रेडियो कश्मीर पर एक घोषणा हुई थी जिसमें बताया गया था कि अज्ञात हमलावरों ने श्रीनगर के महाराज बाजार में एक पूर्व सत्र न्यायाधीश की गोली मारकर हत्या कर दी है। बाद में यासीन मलिक ने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी लेते हुए इसे आतंकी मकबूल भट की मौत का बदला बताया था।
जानिए कौन था मकबूल भट ?
जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (JKLF) का संस्थापक था मकबूल भट। उसने साल 1966 में सीआईडी सब इंस्पेक्टर अमर चंद की हत्या कर दी थी। जिसके बाद अगस्त 1968 में मकबूल भट को तत्कालीन सेशन जज नीलकंठ गंजू ने फांसी की सजा सुनाई थी। जिसके बाद उसे तिहाड़ जेल भेज दिया गया था, जहां से वो भाग गया था और पाकिस्तान में रहने लगा था। साल 1976 में उसने कश्मीर के कुपवाड़ा में स्थित एक बैंक में डाका डाला था और वहां के मैनेजर की हत्या कर दी थी। इस दौरान पुलिस उसे पकड़ने में सफल रही। जिसके बाद कोर्ट ने दोबारा उसे फांसी की सजा सुनाई। मकबूल के आतंकी संगठन ने उसे जेल से छुड़ाने की कई बार कोशिश की, इस बार उन्होंने इंग्लैंड स्थित भारतीय उच्चायोग रविंद्र म्हात्रे का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी। जिसके बाद साल 1984 में उसे फांसी पर लटका दिया गया था।
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