आज भी देश के कुल विदेश व्यापार (2022-23) के 16 खरब डॉलर हो जाने से, हमारे 3.4 खरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद में विदेश व्यापार का अंश 48 प्रतिशत हो गया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर विश्व में सर्वोच्च होने के साथ ही आज हमारा निर्यात उससे भी दोगुनी दर से एवं सेवाओं का निर्यात लगभग चार गुना दर से बढ़ रहा है। नयी ‘विदेश व्यापार नीति : 2023-28’ में तो 2030 के लिए 20 खरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य और भी महत्वाकांक्षी है। पीएचडी चैम्बर आफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्रीज के अनुसार 2024-25 में ही देश को निर्यात के 10 खरब डॉलर हो जाने की उम्मीद है। आज भी देश के कुल विदेश व्यापार (2022-23) के 16 खरब डॉलर हो जाने से, हमारे 3.4 खरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद में विदेश व्यापार का अंश 48 प्रतिशत हो गया है।
मन्दी को झुठलाते निर्यात कीर्तिमान
पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में हमारा निर्यात 14.7 प्रतिशत से बढ़ कर 775.87 अरब डॉलर रहा था, और चालू वित्त वर्ष 2023-24 में इसके 16 प्रतिशत से बढ़ कर 900 अरब डॉलर होने की उम्मीद है। हमारी 7.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर की तुलना में 14.7 प्रतिशत की निर्यात वृद्धि दर दोगुनी रही है। चालू वर्ष 2023-24 की 6.2 प्रतिशत की अपेक्षित कुल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर की तुलना में 16 प्रतिशत की निर्यात वृद्धि दर ढाई गुना रहेगी। विगत वित्त वर्ष 2022-23 में हमारे सेवाओं का निर्यात 26.79 प्रतिशत बढ़कर 332 अरब डॉलर का हो गया था। सेवाओं के निर्यात की 26.79 प्रतिशत वृद्धि हमारी 7.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर के चार गुना से कुछ ही कम थी।
निर्यात में भारत की नई मंजिल
सेवाओं के वैश्विक निर्यात में भारत का अंश आज 4.9 प्रतिशत हो गया है जो 2005-06 में मात्र 2 प्रतिशत ही था। वस्तुओं के व्यापार में भी भारत का हिस्सा 2005 में 0.6 प्रतिशत था जो आज 1.8 प्रतिशत है। सेवाओं के व्यापार में 2005 में चीन का अंश 3 प्रतिशत से बढ़कर 5.4 प्रतिशत ही हुआ है, वहीं सेवाओं के व्यापार में भारत का अंश 2 प्रतिशत से लगभग ढाई गुना बढ़कर 4.9 प्रतिशत हो गया। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं जिस गति से चीन से भारत में अपने केन्द्र स्थानान्तरित कर रही हैं, उसे देखते हुए सेवाओं के अन्तरराष्ट्रीय व्यापार में भारत का अंश इसी दशक में चीन से ऊंचा हो जाएगा।
जुलाई 2022 में रिजर्व बैंक द्वारा भारतीय रुपये में अन्तरराष्ट्रीय व्यापार भुगतान की अनुमति देने के बाद 35 न्तरराष्ट्रीय व्यापार का भुगतान भारतीय मुद्रा रुपयेमें करने में रुचि दिखायी है।
सेवाओं के निर्यात में सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात का सर्वाधिक 46 प्रतिशत योगदान है, दूसरा स्थान व्यावसायिक सेवाओं का है, जिनका योगदान 2022-23 में 24 प्रतिशत रहा। अनुसन्धान प्रधान कम्पनियों के ‘ग्लोबल कैपेबिलिटी केन्द्रों’ का भी सेवा निर्यात में अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान है। देश की सूचना प्रौद्योगिकी में इनका 25 प्रतिशत तक का योगदान है। भारत की उच्च तकनीकी सामर्थ्य युक्त प्रतिभा के बल पर आज विश्व के 40 प्रतिशत ग्लोबल कैपेबिलिटी केन्द्र भारत में केन्द्रित हैं।
दिसम्बर 2022 तक देश में 1636 ऐसे केन्द्र कार्यरत थे। ये सभी उन्नत केन्द्र उच्च मूल्य संवर्धन एवं ज्ञान केन्द्रित परियोजनाओं के विकास और निर्यात में संलग्न हैं। इनमें डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स, मशीन लर्निंग, चिप डिजाइन, सिस्टम डिजाइन, रोबोटिक्स और नयी पीढ़ी के प्रौद्योगिकी समाधान जैसे कार्यों की प्रधानता है।
इन सब सेवाओं की वैश्विक तकनीकी बाजार में सर्वोच्च मांग है। इसलिए इस वर्तमान मन्दी के बाद भी भारत का इन तकनीकी सेवाओं का निर्यात द्रुत गति से बढ़ेगा और इससे उच्च पारिश्रमिक युक्त रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे। जापान, दक्षिण कोरिया व जर्मनी आदि पश्चिम यूरोपीय देश गिरती जन्म दरों के चलते प्रतिभा अभाववश भारत से तकनीकी सेवाओं के आयात पर अधिकाधिक निर्भर होंगे।
विश्व में सर्वाधिक द्रुतगति से बढ़ने के साथ देश का विदेश व्यापार, महानुमाप उत्पादन आदि भी तेजी से बढ़ रहा है। अब भारत अमेरिका से भी आगे बढ़ जाएगा। गोल्डमैन सैश के अनुसार 2075 तक भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। तब तीसरे स्थान पर अमेरिका, चौथे स्थान पर यूरोप और पांचवें स्थान पर जापान होगा। गोल्डमैन सैश के पूर्वानुमान के अनुसार 2075 तक भारत की जीडीपी 52.5 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगी।
नयी विदेश व्यापार नीति
‘नयी विदेश व्यापार नीति : 2023-28’ में खुलेपन के साथ निर्यात के सरलीकरण पर बल दिया गया है। नवीन विदेश व्यापार नीति-2023 में निर्यातकों के लिए निर्यात व्यवसाय करने की सुगमता बढ़ाने व उसे सरल बनाने के लिए प्रॉसेस री-इंजीनियरिंग तथा आटोमेशन पर बल है। इस नीति का फोकस स्कोमेट के तहत ड्यूल यूज हाई एंड टेक्नोलॉजी आइटम्स जैसे उभरते क्षेत्रों, ई-कॉमर्स निर्यात को सुगम बनाने, निर्यात संवर्धन के लिए राज्यों तथा जिलों के साथ गठबंधन करने पर भी है। जिलों तक निर्यात विकेन्द्रीकरण और ई-कॉमर्स को बल देने वाले प्रस्तावों से निर्यात को अपूर्व बल मिलेगा। इस नीति में निर्यातकों के लिए पुराने लंबित प्राधिकरणों को बंद करने तथा नये सिरे से आरंभ करने के लिए एकमुश्त एमनेस्टी स्कीम लॉच करना भी प्रस्तावित है।
नयी विदेश व्यापार नीति-2023 मे ‘टाऊन्स आॅफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस स्कीम’ के माध्यम से नये शहरों से निर्यात को बढ़ावा देने तथा ‘स्टेटस होल्डर स्कीम’ के माध्यम से निर्यातकों को सम्मानित करने का भी प्रस्ताव है। इसमें लोकप्रिय अग्रिम प्राधिकरण तथा ईपीसीजी योजनाओं को युक्तिसंगत बनाने तथा भारत से वस्तु व्यापार को सक्षम बनाने के द्वारा निर्यात को प्रोत्साहन दिया गया है। अतएव, हमारे निर्यांतों में वृद्धि का यह दौर नयी नीति से और गति पकड़ेगा।
रुपये में व्यापार में 35 देशों की रुचि
जुलाई 2022 में रिजर्व बैंक द्वारा भारतीय रुपये में अन्तरराष्ट्रीय व्यापार भुगतान की अनुमति देने के बाद 35 देशों ने अन्तरराष्ट्रीय व्यापार का भुगतान भारतीय मुद्रा रुपये से करने में रुचि दिखायी है। इससे जहां एक ओर इन देशों से भारत का विदेश व्यापार और तेजी से बढ़ेगा, वहीं भारतीय रुपया अब डॉलर, पाउण्ड, यूरो आदि की तरह अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा बनने की दिशा में बढ़ेगा।
रूस और श्रीलंका के बाद चार अफ्रीकी देशों समेत कई देश भारत के साथ रुपये में कारोबार करने के लिए तैयार हैं। अभी तक भारत में 18 वोस्ट्रो खाते खोले जा चुके हैं जो दूसरे देशों के साथ रुपये में व्यापार करने के लिए अनिवार्य हैं। यही नहीं, जर्मनी व इस्राएल समेत 64 देश भारतीय रुपये में ट्रेड सेटलमेंट के लिए बातचीत कर रहे हैं। इनमें से 30 देशों के साथ भी भारत का रुपये में व्यापार प्रारम्भ हो जाने पर रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बन ही जाएगा।
भारत बनेगा विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था
विश्व में सर्वाधिक द्रुतगति से बढ़ने के साथ देश का विदेश व्यापार, महानुमाप उत्पादन आदि भी तेजी से बढ़ रहा है। अब भारत अमेरिका से भी आगे बढ़ जाएगा। गोल्डमैन सैश के अनुसार 2075 तक भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। तब तीसरे स्थान पर अमेरिका, चौथे स्थान पर यूरोप और पांचवें स्थान पर जापान होगा। गोल्डमैन सैश के पूर्वानुमान के अनुसार 2075 तक भारत की जीडीपी 52.5 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगी।
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