पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान को कहा है कि मुझे भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से नियमों के अनुसार जवाब मांगा है और कहा है कि संविधान के अनुसार यह जवाब दिया जाना जरूरी है।
गत माह 19-20 जून को सरकार द्वारा बुलाए गए विधानसभा के विशेष सत्र पर राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने पिछली चिट्ठी में सरकार के सेशन और उसमें पास किए 4 बिलों को गैर कानूनी कहा था। वह मेरा ओपिनियन नहीं, बल्कि विशेषज्ञों की राय थी। राज्यपाल ने ये बात इसलिए कही क्योंकि एक दिन पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा था कि गवर्नर को सेशन के कानूनी या गैरकानूनी होने के बारे में पता न होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
आज लिखे पत्र में गवर्नर ने आगे लिखा कि विधानसभा में मेरे जिन पत्रों को आप लव लेटर्स कह रहे थे, उनका जल्दी जवाब दें। संविधान के मुताबिक सरकार राज्यपाल के पत्रों का जवाब देने के लिए बाध्य है। मेरे पत्रों का उत्तर न देना संविधान के आर्टिकल 167 का उल्लंघन है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में लिखा कि मेरे पास भ्रष्टाचार की कई शिकायतें आ रही हैं। इसलिए जल्द से जल्द मेरे पत्रों का जवाब दें, अन्यथा इसे संविधान का उल्लंघन माना जाएगा।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को अपने पत्र में लिखा है कि वह दोबारा फिर से आपको याद करवा रहे हैं मेरे आपको भेजे गए पत्र जिन्हें आप लव लेटर कहते हैं उनका कोई जवाब नहीं आया है। आपके ध्यान में लाना चाहता हूं कि संविधान के अनुसार राज्यपाल ने जो भी सूचना मांगी है उसके प्रति मुख्यमंत्री जवाबदेह है। मांगी की गई सूचना को उपलब्ध न करवाना संविधान के आर्टिकल 167 का साफ-साफ उल्लंघन है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिखा है कि आपने राज्यपाल की विधानसभा में आलोचना की है, जो लोगों को पसंद नहीं आई, क्योंकि मुख्यमंत्री को विधानसभा में अपने पद के अनुसार ऐसी बयानबाजी करना शोभा नहीं देता। राज्यपाल ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि वह इस बात को अपने ध्यान में रखें कि मैं बतौर राज्यपाल एक संवैधानिक व्यवस्था हूं जिसे राष्ट्रपति ने नियुक्त किया है। मुझे यह सुनिश्चित करने का कर्तव्य सौंपा गया है कि निष्पक्ष, ईमानदार प्रशासन हो और यह नजर रखूं कि भ्रष्टाचार मुक्त सरकार हो। अंत में राज्यपाल ने लिखा है कि पिछले दिनों के दौरान उनके पास पास भ्रष्टाचार को लेकर कई शिकायतें आई हैं। जिस पर मेरा आपसे अनुरोध है कि बिना देरी किए उनका मुझे जवाब भेज दें।
ज्ञात रहे कि पंजाब विधानसभा का विशेष सेशन 19 और 20 जून को बुलाया गया था और इसमें चार बिल पारित किए गए। इसके बाद मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से आग्रह किया था कि वह इन चारों बिलों को मंजूरी दे दें लेकिन गवर्नर ने इससे साफ इनकार करते हुए कह दिया कि वह अटॉर्नी जनरल समेत अन्य विधि विशेषज्ञों से सलाह ले रहे हैं कि इन बिलों पर अंतिम फैसला क्या लेना है? इसके बाद 15 जुलाई को मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखी कि चारों बिलों को तत्काल प्रभाव से अपनी सहमति देने का कष्ट करें। मुख्यमंत्री के पत्र का जवाब देते हुए राज्यपाल ने लिखा था, ‘मेरे पास यह मानने के कई आधार हैं कि विधानसभा सत्र, जिसमें चार बिल पास किए गए, वह कानून और कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन था।
ज्ञात रहे कि विधानसभा के विशेष सत्र में द सिख गुरुद्वारा संशोधन बिल- 2023 पारित किया, इसके तहत अमृतसर स्थित गोल्डन टैंपल में होने वाली गुरबाणी का दुनियाभर में मुफ्त प्रसारण किया जाएगा। अभी तक गुरबाणी के प्रसारण का अधिकार सिर्फ निजी चैनल के पास था। ये बिल पास करने के दौरान कांग्रेस और भाजपा के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे, जबकि अकाली दल ने बिल का विरोध किया। ये बिल खुद मुख्यमंत्री ने सदन में पेश किया।
दूसरे बिल में पंजाब पुलिस (संशोधन) बिल- 2023 के तहत अब पंजाब सरकार पंजाब पुलिस का महानिदेशक अपनी मर्जी से नियुक्त कर सकेगी। सरकार इसके लिए एक कमेटी बनाएगी जिसमें पूर्व चीफ जस्टिस या पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज चेयरमैन होंगे। कमेटी डीजीपी के लिए तीन अफसरों का पैनल बनाएगी। ये बिल खुद मुख्यमंत्री ने सदन में पेश किया।
तीसरे बिल पंजाब यूनिवर्सिटी लॉ अमेंडमेंट बिल- 2023, के जरिये पंजाब सरकार की ओर से संचालित यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर नियुक्त करने का अधिकार मुख्यमंत्री को दिया गया। इससे पहले यह अधिकार गवर्नर के पास था। यह बिल शिक्षामंत्री हरजोत बैंस ने सदन में पेश किया था। राज्यपाल ने विशेष सत्र की वैधानिकता पर ही सवाल उठाए हुए हैं।
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