देहरादून : पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत अपने ही द्वारा बनाए गए एक वीडियो के वायरल हो जाने से एक बार फिर से विवादो में फंस गए हैं। वीडियो में श्री रावत जंगल की जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को संरक्षण देने की बात करते सुनाई दे रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक एक वायरल वीडियो में पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत, ऋषिकेश में वन विभाग द्वारा आईडीपीएल की जमीन को वापस लिए जाने के विरोध में चल रहे आंदोलन में भाग लेने के बाद अपनी कार में बैठे-बैठे स्पीकर ऑन करके ऋषिकेश के विधायक और नगर विकास मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल को सलाह देते दिख रहे हैं कि उन्होंने कैसे कालागढ़ में वन विभाग कॉर्बेट टाइगर रिजर्व की जमीन को खाली कराने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को लटकाया, श्री रावत बार-बार श्री अग्रवाल को ये सलाह दे रहे हैं कि मैंने इस बारे में मंत्रियों की समिति बना दी और फिर उसकी बैठक ही लटकाते रहे।
उल्लेखनीय है उत्तराखंड में दस हजार हेक्टेयर से ज्यादा वन विभाग की जमीन अतिक्रमण की चपेट में है, जिसमें कई हजार लोग अवैध रूप से बसे हुए हैं। कालागढ़ टाइगर रिजर्व का अतिक्रमण भी इसलिए नहीं हटाया गया कि यहां बिजनौर धामपुर के लोगों ने कब्जा किया हुआ है और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति ने इसे संरक्षण दिया, हरक सिंह रावत कोटद्वार से अपनी राजनीति करते रहे हैं और यहां अवैध रूप से काबिज लोगों को संरक्षण देते रहे हैं।
कालागढ़ में अवैध कब्जे रामगंगा जल विद्युत परियोजना के खत्म हो जाने के बाद लीज पर प्रोजेक्ट के लिए दी गई वन विभाग यानि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ फॉरेस्ट डिविजन को वापस होनी थी ऐसा सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश था, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन ने बहुत सारी जमीन वापस भी ली लेकिन आज भी यहां सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर लोगों के कब्जे हैं, जबकि यहां से कोई कारोबार नहीं होता। इसी तरह का मामला आईडीपीएल की ऋषिकेश जमीन का है जिसकी लीज खत्म हो गई है और वन विभाग अपनी ये जमीन वापस लेना चाहता है। यहां करीब पन्द्रह सौ परिवार कब्जा कर बैठे हुए हैं। जिन्हें संरक्षण देने के लिए कांग्रेस के नेता हरक सिंह रावत सामने आए हैं।
“पाञ्चजन्य” ने पिछले दिनों इस बात का खुलासा भी किया था कि हजारों एकड़ वनजमीन पर मुस्लिम गुज्जर ने कब्जे किए हुए हैं। ये बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं है। वन विभाग के जीपीएस सर्वे के मुताबिक एक-एक वन गुर्जर परिवार ने दस से पिचत्तर हेक्टेयर सरकारी वन भूमि पर कब्जा किया हुआ है और इन्हे राजनीतिक ही नहीं प्रशासनिक संरक्षण भी प्राप्त है। अरबों रुपये की सरकारी संपत्ति को वापिस लेने के लिए कई प्रयास इसलिए विफल हो जा रहे हैं कि इस मामले में कई सफेदपोश बेनकाब हो जाएंगे।
ऐसी भी जानकारी मिली है कि कांग्रेस से जुड़े पूर्व वन मंत्रियों ने वन विभाग की जमीनों पर कथित रूप से अवैध कब्जे कर अपने रिजॉर्ट तक बनाए हुए हैं और इनपर कार्रवाई करने का साहस वन अधिकारी नहीं जुटा पा रहे हैं। नदियों के किनारे हजारों की संख्या में अवैध कब्जे हो चुके हैं। काबिज लोग उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज की समस्या खड़ी कर चुके हैं।
बहरहाल, हरक सिंह रावत के वीडियो वायरल हो जाने के बाद सरकार में मंत्री पदों पर आसीन होकर कार्य करने की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। उत्तराखंड में सत्तर प्रतिशत जमीन पर वन हैं,वन विभाग के कानून इतने सख्त हैं कि कोई बाहरी व्यक्ति बिना इनकी इजाजत के जंगल में प्रवेश नहीं लें सकता है, फिर इनकी जमीन पर अतिक्रमण कैसे और क्यों हो रहे है ? इस पर सवाल उठने लाजमी है।
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