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स्वीडन में बार-बार क्यों जलाई जा रही है कुरान, बाइबिल जलाने की भी दे दी इजाजत! ये है बड़ी वजह

स्वीडन में कई बार जलाई गई है कुरान, बाइबिल जलाने की भी दे दी गई थी अनुमति

by एस. के. पांडेय
Jul 21, 2023, 09:35 pm IST
in विश्व
स्वीडन  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का खुलकर समर्थन करता है।

स्वीडन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का खुलकर समर्थन करता है।

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स्वीडन के स्टॉकहोम में बकरीद के दिन कुरान जलाने की घटना आपको याद होगी। सलवान मोमिक ने कुरान को जलाया था। वह इराकी शरणार्थी था। उसने पहले कुरान के पन्ने फाड़े फिर उसमें आग लगा दी। उसे कुरान जलाने की अनुमति वहां के कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने दी थी। सलवान मोमिक ने कहा था कि वह मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। उसने अभिव्यक्ति की आजादी के लिए ऐसा किया। कट्टरता के खिलाफ उसने कुरान जलाई है। सलवान ने बताया था कि उसे आईएसआईएस आतंकियों की वजह से इराक छोड़ना पड़ा। कुरान जलाने की घटना के बाद से मुस्लिम देश स्वीडन से नाराज हैं। इस्लामिक देशों ने स्वीडन की काफी आलोचना की थी। ये भी कहा था कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुरान जलाने की अनुमति न दी जाए। इसके बावजूद स्वीडन में कुरान जलाने की फिर अनुमति दी गई। इतना ही नहीं, बाइबिल जलाने की अनुमति भी स्वीडन ने दी थी।

बकरीद के बाद सलवान मोमिक ने फिर से कुरान जलाने की अनुमति मांगी थी। इस बार उसने इराक दूतावास के बाहर कुरान जलाने की बात कही थी। स्वीडन में उसे अनुमति दे दी गई। हालांकि इस बार उसने कुरान नहीं जलाई। स्वीडन में ये नए मामले नहीं थे। अप्रैल 2022 में भी कुरान जलाई गई थी। इसके बाद स्वीडन के कई शहरों में हिंसा भड़की थी, जिसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे। इसके बावजूद स्वीडन में कुरान जलाने की अनुमति दी गई और इस साल बकरीद के दिन सलवान मोमिक (37) ने कुरान के पन्ने फाड़े और उसमें आग लगा दी।

सलवान को जब दोबारा कुरान जलाने की अनुमति दी गई तो इराक में प्रदर्शन हुआ। इराकियों ने स्वीडन के दूतावास में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। स्वीडन के राजदूत को भी निष्कासित कर दिया। दूसरे मुस्लिम देशों ने भी स्वीडन की आलोचना की। लेकिन, यहां सवाल यह भी है कि इतने विरोध के बावजूद स्वीडन में इसकी इजाजत क्यों दी जाती है? इसके पीछे बड़ी वजह है।

अभिव्यक्ति की आजादी की नींव पर खड़ा है स्वीडन

स्वीडन में अभिव्यक्ति की आजादी की पूर्ण स्वतंत्रता है। वर्ष 1766 में स्वीडन प्रेस स्वतंत्रता कानून अपनाने वाला दुनिया का पहला देश बना था। स्वीडन में अभिव्यक्ति और प्रदर्शन की स्वतंत्रता को संविधान द्वारा संरक्षण दिया गया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर स्वीडन की नींव खड़ी है। लोकतंत्र के चार स्तंभों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी है। इसके साथ ही सूचना की स्वतंत्रता, प्रदर्शन की स्वतंत्रता और एकत्र होने की स्वतंत्रता स्वीडन के लोकतंत्र में केंद्रीय अधिकार हैं।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता सूचकांक में स्वीडन सर्वोच्च स्थान पर

व्यक्तिगत स्वतंत्रता सूचकांक में नीदरलैंड (9.28) के साथ स्वीडन की सर्वोच्च रैंकिंग (9.45) है। मानव स्वतंत्रता सूचकांक के अनुसार 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका 17वें स्थान पर था।

बाइबिल जलाने की भी अनुमति दी थी

स्वीडन अभिव्यक्ति की आजादी का खुलकर समर्थन करता है। हालांकि इसमें हिंसा को स्थान नहीं दिया गया है। अभिव्यक्ति की आजादी की वजह से ही स्वीडन में कुरान जलाने की अनुमति दी गई। इतना ही नहीं वहां कुरान जलाने की ही नहीं, बाइबिल को भी जलाने की अनुमति दी गई थी। हालांकि जिसे अनुमति दी गई थी, उसने बाइबिल नहीं जलाई।

(लेखक विदेश मामलों के जानकार हैं)

Topics: freedom of speechअभिव्यक्ति की आजादीस्वीडनस्वीडन कुरान आगSweden Quran firesalwan momikकुरानसलवान मोमिकswedenquranबाइबिलbible
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