नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उप-राज्यपाल और मुख्यमंत्री को सलाह दी है कि वो एक साथ बैठ कर दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति करने के लिए नाम तय करें। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि उप-राज्यपाल और मुख्यमंत्री हमें डीईआरसी के अध्यक्ष पद के लिए नाम दें।
कोर्ट ने कहा कि दोनों संवैधानिक पदों पर बैठ हैं, लड़ाई छोड़ कर राजनीति से ऊपर उठें। क्या सभी चीजें सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा। इसके पहले 4 जुलाई को कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस उमेश कुमार की डीईआरसी के अध्यक्ष के तौर पर शपथ लेने पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र सरकार और उप-राज्यपाल को नोटिस जारी किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 जून को जारी केंद्र सरकार की अधिसूचना पर भी रोक लगाते हुए अगली सुनवाई तक पद ग्रहण करने पर रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्र सरकार के रवैए पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि केंद्र अध्यादेश ले आया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी करेंगे। सिंघवी ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर और नियुक्ति के लिए अध्यादेश ले आई और उप-राज्यपाल ने उसके तहत नियुक्ति कर दी।
यह सही नहीं है, क्योंकि दिल्ली का प्रशासन दिल्ली सरकार को चलाना है। सिंघवी ने कहा था कि दिल्ली सरकार वोटरों के लिए जिम्मेदार है, लेकिन उसके पास कदम उठाने का अधिकार नहीं है। सिंघवी ने कहा दिल्ली सरकार ने 200 यूनिट दिल्ली की जनता को फ्री बिजली देने का स्कीम चलाई, उपराज्यपाल द्वारा स्कीम को बंद कर दिया गया।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अभिषेक मनु सिंघवी की दलील का विरोध करते हुए कहा था कि मीडिया रिपोर्ट पर भरोसा न कर तथ्यों पर दलील देनी चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि वह कानून के सवाल पर सुनवाई करेगा जिसमें कोर्ट यह तय करेगा कि डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार को है या उप-राज्यपाल का।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
टिप्पणियाँ