भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक बार फिर साफ हुआ है कि वहां सरकार और प्रशासन सिर्फ और सिर्फ नाम के लिए हैं, तूती तो कट्टरपंथी उन्मादियों और जमातों की ही बोलती है। इस सचाई का उजागर करती ऐसी घटना पंजाब प्रांत में देखने में आई है। वहां एक कट्टर इस्लामी जमात के फरमान से घबराकर पुलिस ने अहमदिया समुदाय की मस्जिद की मीनारें तोड़ डालीं। ध्यान रहे सुन्नी मुसलमान अहमदियाओं को मुसलमान नहीं मानते, उनकी जान के प्यासे बने रहते हैं। यहां तक कि उनकी मस्जिदें भी उन्हें फूटी आंख नहीं सुहातीं।
दरअसल तहरीक—ए—लब्बैक या TLP नाम की इस्लामी जमात की तरफ से प्रशासन को धमकाया गया था कि पुलिस ने कुछ नहीं किया तो कट्टरपंथी इस्लामी तत्व उस अहमदिया मस्जिद की तरफ कूच करेंगे और उन्हें खुद गिरा देंगे।
पड़ोसी देश के पंजाब प्रांत में कट्टरपंथी इस्लामी जमात TLP की तूती बोलती है। ऐसे गुट ने धमकी दी हो तो वहां के नेता उसे अनसुना करने के बारे में दो बार सोचते हैं। कोई उसका गुस्सा मोल नहीं लेना चाहता। पंजाब में कुछ समय पहले इस गुट ने कैसा उत्पात मचाया था, उसे कोई भूला नहीं है।
पाकिस्तान में आएदिन अहमदी समुदाय के हकों को कुचला जा रहा है। 2014 में पाकिस्तान में उस वक्त् के चीफ जस्टिस तसद्दुक हुसैन जिलानी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने ‘अल्पसंख्यकों के मजहबी स्थलों की सुरक्षा के लिए अलग से एक पुलिस दस्ता गटित करने का हुक्म दिया था, लेकिन उसे अनदेखा ही किया गया है।
पंजाब की पुलिस भला क्या करती। सुन्नी TLP को नाराज करना मुसीबत मोल लेना होता, इसलिए उसने अपने से उस देश में अल्पसंख्यक का दर्जा पाए अहमदियाओं की एक मस्जिद के मीनारों को तोड़ डाला। तहरीक-ए-लब्बैक की तरफ से मस्जिद के विरुद्ध ऐसा फरमान तीन दिन पहले ही जारी किया गया था और अगले ही दिन पुलिस ने ‘हुक्म की तामील’ कर दी।
दरअसल हुआ यूं कि, कट्टरपंथी सुन्नी जमात तहरीक-ए-लब्बैक ने धमकाया था कि पंजाब के झेलम जिले में जो अहमदियों ने मस्जिद बनाई हुई है उसकी मीनारें हटा दी जाएं। अगर प्रशासन ने ऐसा नहीं किया तो उसके लोग उस मस्जिद की तरफ कूच करके उस पर हमला बोलेंगे और खुद मीनारें गिरा देंगे। पुलिस को लगा कि इस ‘कूच’ से अफरातफरी मच सकती है और मामला बढ़ सकता है। दूध की जली पुलिस ने छाछ को फूंक—फूंककर पीने में ही गनीमत समझी।
TLP के फरमान के अनुसार, पुलिस खुद झेलम जिले में काला गुजरान नामक जगह पर बनी अहमदिया मस्जिद पर पहुंची और उस समुदाय के प्रतिनिधियों को बुलाकर बात की। हिमाकत ऐसी कि पुलिस ने अहमदिया प्रतिनिधियों से ही कहा कि अपनी मस्जिद की मीनारें गिरा दें नहीं तो बवाल खड़ा हो सकता है। पुलिस ने कानून का हवाला दिया कि मीनारें गैरकानूनी बनी हैं। लेकिन भला अहमदिया लोग अपनी मस्जिद पर खुद ही कुदाल कैसे चलाते, लिहाजा देर रात पुलिस वाले खुद उस मस्जिद पर जा पहुंचे और मीनारों तुड़वा दीं।
पंजाब प्रांत के एक अधिकारी का कहना था कि TLP के नेता असीम अश्फाक रिजवी ने जमात की तरफ से वह फरमान जारी किया था कि झेलम में अहमदी मस्जिदों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया गया है। पुलिस इस काम को पूरा करे नहीं तो वे करेंगे।
इस अधिकारी, अमीर महमूद ने यह भी बताया है कि असीम रिज़वी ने कई मौकों पर धमकाया था कि पुलिस ने अगर 10वें मुहर्रम (जुलाई के आखिर) तक झेलम में बनी अहमदी मस्जिदों को नहीं तोड़ा तो TLP वाले उन पर हमला बोलेंगे। महमूद ने अफसोस जताते हुए कहा कि पुलिस ने अहमदियों को तो सुरक्षा नहीं दी, लेकिन उसने नफरती और कट्टरपंथी तत्वों को खुश करने का काम किया है। उसने अहमदियों की मस्जिद की मीनारों को गिराकर ‘अमन’ लाने का काम किया है।
महमूद के अनुसार, अफसोस की बात है कि पाकिस्तान में आएदिन अहमदी समुदाय के हकों को कुचला जा रहा है। 2014 में पाकिस्तान में उस वक्त् के चीफ जस्टिस तसद्दुक हुसैन जिलानी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पीठ ने ‘अल्पसंख्यकों के मजहबी स्थलों की सुरक्षा के लिए अलग से एक पुलिस दस्ता गटित करने का हुक्म दिया था, लेकिन उसे अनदेखा ही किया गया है।
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