कोलकाता। पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव हिंसा की भेंट चढ़ गया। कई लोगों की मौत हुई, मतपेटियां जला दी गईं तो कहीं मतपेटियां नालियों में पड़ी मिलीं। फायरिंग, बमबाजी सब हुई। ये सब तब हुआ जब कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को कई बार निर्देश दिया था कि वह यह सुनिश्चित करे कि पंचायत चुनाव में हिंसा न होने पाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पंचायत चुनाव में जमकर हिंसा हुई। कलकत्ता हाईकोर्ट तक फिर शिकायत पहुंची। कोर्ट की रजिस्ट्री को चुनाव में हिंसा से संबंधित 44 ईमेल मिलीं। कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाया और राज्य चुनाव आयोग से जवाब तलब किया। इस पर अब राज्य चुनाव आयोग नें सभी जिला अधिकारियों को पत्र भेजा है। इसमें कहा है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करने वालों का भविष्य कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा।
हाई कोर्ट ने बुधवार को चुनाव हिंसा से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि परिणाम भले ही सामने आए हैं लेकिन हमारे निर्णय पर जीत और हार का फैसला निश्चित होगा। शनिवार को पता चला है कि आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। जिला अधिकारियों से कहा गया है कि वह हाई कोर्ट के रुख के बारे में विजयी उम्मीदवारों को सूचित करें। कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस शिवगणनम की खंडपीठ के आदेश का जिक्र करते हुए आयोग ने पत्र में लिखा है कि जिलाधिकारी जल्द से जल्द जीते हुए सभी उम्मीदवारों को इस बारे में जानकारी दे दें कि उनकी जीत के बारे में भले ही आयोग का प्रमाण पत्र मिल गया हो लेकिन अंतिम फैसला हाई कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगा।
गौरतलब है कि इस बार पंचायत चुनाव में भारी हिंसा हुई। भाजपा की ओर से कहा गया कि चालीस से अधिक लोगों की हत्या हुई है और ये राज्य प्रायोजित हत्याएं हैं। वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि इतनी मौतें नहीं हुई हैं।
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