हाल के वर्षों में सरकार ने ‘‘उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना’’, ‘‘रुपए में भुगतान आधारित अन्तरराष्ट्रीय व्यापार’’ जैसे विविध निर्णयों के बाद अब 3 जुलाई, 2023 को वैश्विक प्रतिभूति व्यापार के केंद्र का सिंगापुर से गुजरात में गांधीनगर के ‘गिफ्ट सिटी’ में स्थानान्तरण भी एक अभूतपूर्व निर्णय है।
विश्व में फैलती आर्थिक मंदी, बढ़ती महंगाई और खाद्य सामग्री के बढ़ते अभावों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था आज विकास के कीर्तिमानों के साथ विश्व में सर्वाधिक द्रुत गति से आगे बढ़ रही है। अमेरिका, यूरोप व चीन सहित विश्व के विकसित व विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाएं आज बेहाल हैं। हाल के वर्षों में सरकार ने ‘‘उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना’’, ‘‘रुपए में भुगतान आधारित अन्तरराष्ट्रीय व्यापार’’ जैसे विविध निर्णयों के बाद अब 3 जुलाई, 2023 को वैश्विक प्रतिभूति व्यापार के केंद्र का सिंगापुर से गुजरात में गांधीनगर के ‘गिफ्ट सिटी’ में स्थानान्तरण भी एक अभूतपूर्व निर्णय है।
वस्तु-सेवा कर प्राप्ति का कीर्तिमान
आर्थिक गतिविधियों में द्रुत वृद्धि के परिणामस्वरूप ही जून 2023 में वस्तु-सेवा कर (जीएसटी) 12 प्रतिशत वार्षिक से बढ़कर 1.61 लाख करोड़ रुपए हो गया है। जीएसटी राजस्व लगातार 16 महीनों से 1.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा है। इसलिए ‘एस एण्ड पी’ सहित कई आर्थिक पूर्वानुमान एजेन्सियों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब रॉकेट की गति से बढ़ेगी।
वैश्विक आर्थिक मंदी का प्रसार
विश्व बैंक के आर्थिक आउटलुक प्रतिवेदन के अनुसार विकसित देशों को उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की पिछले वर्ष की वृद्धि दर 2.6 प्रतिशत से घटकर 2023 में 0.7 प्रतिशत हो जाएगी और 2024 में और भी कम रहेगी। अमेरिका में जहां 2023 में अर्थव्यवस्था 1.1 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, 2024 में विकास की दर धीमी होकर 0.8 प्रतिशत होने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण पिछले डेढ़ साल में ब्याज दरों में तेज वृद्धि का निरंतर प्रभाव है। यूरोजोन में, आर्थिक वृद्धि 2023 में धीमी होकर 0.4 प्रतिशत होने का अनुमान है जो 2022 में 3.5 प्रतिशत थी।
कम आय वाले विकासशील देशों के सामने भी आने वाली राजकोषीय नीतियों की समस्याओं का आकलन किया गया है। ये देश भी आज अत्यन्त कठिनाई के दौर में है। ब्याज दरों में वृद्धि ने वहां भी सार्वजनिक वित्त की स्थिति की समस्या को बढ़ा दिया है, जो पिछले एक दशक से बिगड़ती जा रही थी। सार्वजनिक ऋण का औसत स्तर उनके सकल घरेलू उत्पाद का 70 प्रतिशत हो गया है और ब्याज भुगतान का अनुपात बढ़ रहा है।
आज भारत की अर्थव्यवस्था 37.5 खरब डालर से ऊपर निकल गई है। मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान हमारी अर्थव्यवस्था ने 6.1 प्रतिशत की वृद्धि की।
यूरोप भी मंदी से बेहाल
इंग्लैण्ड एवं पूरे यूरोपीय संघ के सभी देश आज भयावह मंदी झेल रहे हैं। जर्मनी करीब 4.30 ट्रिलियन (43 खरब) डॉलर की जीडीपी वाली यूरोप की सबसे बड़ी और विश्व की चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था में मार्च, 2023 की तिमाही में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। इससे पहले भी दिसंबर, 2022 की तिमाही में भी जीडीपी में 0.50 प्रतिशत घाटा था।
अमेरिकी आर्थिक संकट
अमेरिका भी इन दिनों कई आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है और 1 जून, 2023 के पहले तो उस पर दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा था। वह तो जैसे-तैसे अमेरिकी संसद ने ऋण सीमा बढ़ा दी और यह खतरा टल गया। अप्रैल माह में अमेरिका में खुदरा महंगाई 4.9 प्रतिशत रही है। इसके चलते अब फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को रिकार्ड 5 प्रतिशत के उच्च स्तर पर रखे हुए हैं जो 2 साल पहले शून्य के पास थी। ब्याज दरों से अमेरिकी अर्थव्यवस्था और भी मंदी में फंस जाएगी।
मुख्य रूप से मोबाइल फोन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद सम्मिलित हैं। साथ ही इसमें आटोमोबाइल और आटो घटकों फार्मा, कपड़ा, खाद्य उत्पाद, उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल सहित कुल 14 क्षेत्र सम्मिलित हैं। पीएलआई योजना में व्यय की तुलना में इससे बढ़े उत्पादन से प्राप्त राजस्व कहीं अधिक है। इससे यह स्पष्ट है कि आने वाले दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था ही आर्थिक जगत में विश्व का नेतृत्व करेगी।
चीन में गिरावट का दौर
चीन के ताजा आंकड़े भी निराशाजनक हैं। मई में मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई गिरकर पांच महीने के निचले स्तर 48.8 पर आ गया था। कारखानों की गतिविधियां मई के दौरान पांच महीने में सबसे कम रहीं। जून, 2023 को समाप्त तिमाही में चीन की अर्थव्यवस्था में संकुचन हुआ है।
भारत की विकास दर सर्वोच्य
आज भारत की अर्थव्यवस्था 3.75 ट्रिलियन डालर (37.5 खरब डालर) से ऊपर निकल गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान आशा से कहीं बेहतर 6.1 प्रतिशत की वृद्धि का प्रदर्शन किया है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही है। यह विश्व की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में सर्वोच्च है। एनएसओ ने दूसरी तिमाही यानी अप्रैल-जून 2023 में आर्थिक वृद्धि दर 13.1 प्रतिशत रहने का अनुमान दिया है, जो अत्यन्त उत्साहवर्द्धक है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक्स फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में सकारात्मक स्नोबॉल इफेक्ट की बात कही है। इसका अर्थ है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब बढ़ती ही जाएगी। सरकार ने देश में विनिर्माण को बढ़ाने पर सर्वाधिक बल दिया है और पीएलआई स्कीम से विनिर्माण बढ़ रहा है, इससे निर्यात व रोजगार बढ़ रहा है।
रुपए का अन्तरराष्ट्रीयकरण
जुलाई, 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रान्तिकारी कदम उठाते हुए रुपए में विदेशी व्यापार की अनुमति दी थी। तब से अब तक सिंगापुर, रूस, इजराएल, मलेशिया सहित 18 देशों को 60 स्पेशल रुपया वोस्ट्रो खाता खोलने की अनुमति दी जा चुकी है। आने वाले वर्षों में अन्तरराष्ट्रीय व्यापार पटल पर भी भारतीय रुपए का ‘सिक्का’ चलेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था के संबंध में सकारात्मक स्नोबॉल इफेक्ट की बात कही है। इसका अर्थ है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब बढ़ती ही जाएगी। सरकार ने देश में विनिर्माण को बढ़ाने पर सर्वाधिक बल दिया है और पीएलआई स्कीम से विनिर्माण बढ़ रहा है, इससे निर्यात व रोजगार बढ़ रहा है।
सिंगापुर से भारत आया व्यापार
भारत में ही अब डेरिवेटिव कान्ट्रेक्ट्स का ग्लोबल ट्रेडिंग हब विकसित करने के लिए शेयर बाजारों से सम्बन्धित सिंगापुर के ‘‘एसजीएक्स निफ्टी’’ को अब ‘‘गिफ्ट निफ्टी’’ कर 3 जुलाई से डेरिवेटिव ट्रेडिंग का केंद्र भारत के गांधीनगर की गिफ्ट सिटी में कर दिया गया है। लगभग 7.58 अरब डॉलर के डेरिटवेटिव कॉन्ट्रेक्ट्स का कारोबार जो अब तक सिंगापुर में हो रहा था, अब भारत में शिफ्ट हुए निफ्टी के साथ सिंगापुर स्टाक एक्सचेंज से भारत का ‘‘एनएसई इंटरनेशनल एक्सचेंज’’ गांधीनगर, गुजरात में गिफ्ट सिटी में स्थानान्तरित हो जाएगा।
गिफ्ट सिटी अर्थात ‘‘गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी’’ एक संयुक्त उद्यम के रूप में गुजरात सरकार द्वारा प्रोन्नत एक व्यापारिक केन्द्र है जो भारत की पहली स्मार्ट सिटी और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना, 5 लाख नौकरियों व अरबों रू. व व्यापार भारत में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत 65,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश लाया है और 5,00,000 नौकरियां मिली हैं।
इससे निर्यात व्यापार भी बढ़ रहा है, जिसमें मुख्य रूप से मोबाइल फोन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद सम्मिलित हैं। साथ ही इसमें आटोमोबाइल और आटो घटकों फार्मा, कपड़ा, खाद्य उत्पाद, उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल सहित कुल 14 क्षेत्र सम्मिलित हैं। पीएलआई योजना में व्यय की तुलना में इससे बढ़े उत्पादन से प्राप्त राजस्व कहीं अधिक है। इससे यह स्पष्ट है कि आने वाले दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था ही आर्थिक जगत में विश्व का नेतृत्व करेगी।
टिप्पणियाँ