इस्लामाबाद। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अजीज ने फिर से जहर उगला है। बोला कि जो लोग कुरान का सम्मान नहीं करते हैं उनके खिलाफ जिहाद छेड़ो। प्रतिबंध की परवाह न करते हुए गुरुवार को वह लाल मस्जिद में ईद-उल-अजहा की नमाज का नेतृत्व करने में सफल रहा। पुलिस और इस्लामाबाद प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। नमाज के बाद से वह वह भूमिगत हो गया है।
लाल मस्जिद से महज डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर आईएसआई का मुख्यालय है। इस मस्जिद के पास ही विदेश मंत्रालय, पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट और कई देशों के दूतावास हैं। बेखौफ मौलाना ने मंगलवार को ऐलान किया था कि वह गुरुवार को हर हाल में लाल मस्जिद में सामूहिक नमाज का नेतृत्व करेगा।
पुलिस की विशेष शाखा के अनुसार, मौलाना सुबह करीब 5:25 बजे लाल मस्जिद पहुंचा और करीब 350 लोगों की मौजूदगी में 5:30 बजे खुतबा शुरू किया और सुबह 6 बजे से कुछ मिनट पहले नमाज खत्म की। इस्लामाबाद के उपायुक्त इरफान नवाज ने इस पर पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। एक प्रशासनिक अधिकारी कहना है कि हम अपने स्तर पर क्या कर सकते हैं। उच्च अधिकारियों से मंजूरी मिलने के बाद ही कार्रवाई की जा सकती थी।
मौलाना आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत भी कई मामलों का सामना कर रहा है। लाल मस्जिद में अपनी तकरीर में मौलाना अजीज ने शरिया लागू करने की अपनी मांग दोहराई और उन लोगों और देशों के खिलाफ जिहाद छेड़ने का आह्वान किया जो कुरान का सम्मान नहीं करते। मौलाना अजीज ने कहा है कि 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके मस्जिद में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने को खारिज कर दिया था। साथ ही हुकूमत को लाल मस्जिद से सटे जामिया हफ्सा का पुनर्निर्माण करने का भी निर्देश दिया था।
उल्लेखनीय है कि मौलाना को 60 वर्ष की उम्र के बाद लाल मस्जिद के खतीब के रूप में बहाल किया गया था। दिसंबर 2014 में विवादास्पद तकरीर देने के बाद उसे मस्जिद से हटा दिया गया था। इस तकरीर में उसने आर्मी पब्लिक स्कूल पेशावर के अपराधियों का बचाव किया था।
मौलवी अजीज के खिलाफ पहला मामला इसी साल तीन अप्रैल और दूसरा 17 अप्रैल को दर्ज किया गया था। अब ताजा मामला लाल मस्जिद में सामूहिक नमाज का नेतृत्व करने के आरोप में दर्ज किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस्लामाबाद में लाल मस्जिद समेत कई अन्य मस्जिदों में सामूहिक नमाज पढ़ने पर सरकारी प्रतिबंध है।
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