रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत से अपने संबंधों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किस तरह की आत्मीयता रखते हैं, ये एक बार फिर सामने आया। पुतिन ने भारत और प्रधाानमंत्री मोदी की जमकर तारीफ करते हुए अपने संबंधों को और मजबूत करने के संकेत देकर दुनिया को भी एक
कूटनीतिक संदेश दिया है। दिलचस्प बात है कि प्रधानमंत्री मोदी के हाल के अमेरिका दौरे के संदर्भ में भारत और रूस संबंधों के भविष्य को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं।
उल्लेखनीय है कि कल मॉस्को में हुए एक कार्यक्रम में पुतिन ने भाषण दिया था। उसमें उन्होंने न सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी को एक शानदार मित्र बताया, बल्कि साथ ही उनकी शुरू की ‘मेक इन इंडिया’ योजना की दिल खोलकर प्रशंसा की है।
रूस के राष्ट्रपति ने खुलकर कहा कि नरेंद्र मोदी रूस के अच्छे मित्र हैं। कुछ साल पहले पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया योजना की शुरुआत की थी। बेशक, इस योजना ने भारत की अर्थव्यवस्था को और मज़बूती दी है। दिलचस्प बात है कि पुतिन के भाषण का वीडियो अंश रूसी सरकार के टेलीविज़न चैनल आरटी ने ट्विटर पर साझा किया है।
भारत आज रूस के लिए बहुत मायने रखता है। रूस—यूक्रेन युद्ध की वजह से पश्चिमी देशों के रूस पर प्रतिबंधों के बीच भारत ऐसा देश है जिसने रूस से तेल ज्यादा ख़रीदना शुरू कर दिया। साफ है कि इससे रूस को आर्थिक दृष्टि से काफी मदद पहुंची है।
पुतिन के कल के भाषण के संदर्भ में विशेषज्ञों का मानना है कि साफ है कि भारत आज रूस के लिए बहुत मायने रखता है। रूस—यूक्रेन युद्ध की वजह से पश्चिमी देशों के रूस पर प्रतिबंधों के बीच भारत ऐसा देश है जिसने रूस से तेल ज्यादा ख़रीदना शुरू कर दिया। साफ है कि इससे रूस को आर्थिक दृष्टि से काफी मदद पहुंची है। अभी 28 जून को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा था कि दुनिया आज अनेक चुनौतियां झेल रही है। इस सबके बाद भी भारत और रूस के संबंध स्थिर बने हुए हैं।
भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि अनेक तरह की चुनौतियों के बाद भी हमारे और रूस के संबंध अपनी जगह कायम हैं। रूस—भारत मित्रता को केवल रक्षा में निर्भरता के संदर्भ में न देखा जाए।हमारे संबंध इससे बहुत आगे के हैं। भारत और रूस आज आर्थिक सहयोग में भी आगे बढ़ रहे हैं। दोनों देशों के बीच रक्षा, तेल, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग बना हुआ है।
इतिहास की बात करें तो रूस भारत का भरोसेमंद साझीदार बना रहा है। लेकिन पहले के समय में अमेरिका अधिकांशत: भारत के मुकाबले पाकिस्तान पर ज्यादा ध्यान देता आ रहा था। लेकिन अब वक्त बदला है। भारत और अमेरिका सहज रणनीतिक साझीदार के तौर पर आगे आए हैं।
रूस—यूक्रेन युुद्ध के बीच, पिछले साल मोदी ने पुतिन को सार्वजनिक रूप से स्पष्ट संदेश दिया था कि आज युद्ध का जमाना नहीं है। दुनिया को डेमोक्रेसी, डिप्लोमैसी और डायलॉग के माध्यम से एकजुट रखा जा सकता है। मोदी ने यह बात राष्ट्रपति पुतिन से मुलाक़ात के दौरान शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन के शिखर सम्मेलन में दी थी, जो उज़्बेकिस्तान के समरकंद में सम्पन्न हुआ था।
अभी मोदी के अमेरिका दौरे पर टिप्पणी करते हुए भारत में रूस के राजदूत डेनिस एलिपोव ने साफ किया था कि रूस भारत को उतना तेल देता रहेगा जितनी उसकी मांग होगी। एलिपोव ने बताया कि दोनों देश पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से नए भुगतान तंत्र पर भी काम कर रहे हैं। चीन और रूस के गहराते संबंधों के भारत पर असर के बारे में रूसी राजदूत का कहना था कि चीन का रूस में असर बढ़ रहा है, इस बारे में चिंतित होने की बजाय अच्छा रहेगा कि भारत के टिप्पणीकार रूस के बाज़ार में भारत के बढ़ने को बल दें।
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