विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि देशद्रोह कानून समय की मांग है। हमने कानून के उपयोग को लेकर जांच की और देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इसकी बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि कश्मीर से केरल और पंजाब से उत्तर पूर्व तक अगर आप देखेंगे, तो पाएंगे कि यह देश की अखंडता के लिए बेहद जरूरी है।
‘समान नागरिक संहिता पर भारी प्रतिक्रिया मिली’
वहीं उन्होंने समान नागरिक संहिता पर कहा कि हमें समान नागरिक संहिता पर भारी प्रतिक्रिया मिली है। कल तक हमें 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिली हैं। यूसीसी कोई नई बात नहीं है। यह मुद्दा पहले भी उठ चुका है। हम सभी हितधारकों और संगठनों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने का प्रयास कर रहे हैं।
’14 जून को सार्वजनिक नोटिस जारी हुआ था’
दरअसल, ऋतुराज अवस्थी के अगुवाई वाले विधि आयोग ने समान नागिरक संहिता के लिए फिर से राय मांगी है। आयोग ने 14 जून को सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। उन्होंने कहा कि नोटिस के संचार के बाद हमें समान नागरिक संहिता पर भारी प्रतिक्रिया मिली है। कल तक हमें 8.5 लाख प्रतिक्रियाएं मिल चुकी हैं।
इससे पहले भी मांगी जा चुकी है राय
इससे पहले 21वें विधि आयोग ने यूसीसी पर लोगों और हितधारकों से 7 अक्तूबर 2016 को राय मांगी थी। 19 मार्च 2018 और 27 मार्च 2018 को फिर से यह दोहराते हुए राय मांगी गई थी। इसके बाद 31 अगस्त 2018 को विधि आयोग ने नागरिक कानून के सुधार के लिए अनुरोध किया था। क्योंकि पिछली राय को तीन साल से ज्यादा का समय बीत चुका है। ऐसे में विषय की गंभीरता और अदालत के आदेशों को देखते हुए 22वें विधि आयोग ने इस विषय पर दोबारा राय लेने का निर्णय लिया।
पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता का किया समर्थन
वहीं उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता का समर्थन किया और कहा कि देश को “दो कानूनों” के साथ नहीं चलाया जा सकता है जब भारत का संविधान सभी के लिए समानता की बात करता है। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा था कि परिवार के अलग-अलग सदस्यों पर अलग-अलग नियम कैसे लागू हो सकते हैं ?
पीएम मोदी ने पूछा सवाल
पीएम मोदी ने भोपाल में भाजपा के “मेरा बूथ” के तहत पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि क्या एक परिवार चलेगा अगर लोगों के लिए दो अलग-अलग नियम हों ? तो एक देश कैसे चलेगा ? हमारा संविधान भी सभी लोगों को समान अधिकारों की गारंटी देता है।
क्या है समान नागरिक संहिता ?
समान नागरिक संहिता का अर्थ है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, फिर वह चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो। समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी धर्मों का एक कानून होगा। शादी, तलाक, बच्चे को गोद लेने समेत प्रॉपर्टी में बंटवारा इन सबका सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा।
टिप्पणियाँ