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आपातकाल 25 जून: वह यातनाओं और तानाशाही का दौर था

आपातकाल वाले दिन हमारी शाखा नहीं लगी थी। पता करने पर जानकारी हुई कि देश में आपातकाल लगा दिया गया है।

by WEB DESK
Jun 25, 2023, 03:46 pm IST
in भारत, दिल्ली
 चंद्र छाबड़ा, दिल्ली

 चंद्र छाबड़ा, दिल्ली

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मेरी दिनचर्या शाखा में जाने से शुरू होती थी। आपातकाल वाले दिन हमारी शाखा नहीं लगी थी। पता करने पर जानकारी हुई कि देश में आपातकाल लगा दिया गया है।

उस समय मेरी उम्र 18 साल की थी। इस दौरान घर पर न रहकर छह महीने इधर-उधर रहे। हमारे पड़ोस में एक कांग्रेसी रहता था, जिसके कारण हमारे घर पर जब चाहे छापा पड़ जाता था, क्योंकि वह मुखबिरी करता था।

सत्याग्रहियों पर इतना अत्याचार किया जाता था कि उसकी कोई हद ही नहीं थी। बर्फ पर लिटाकर मार- पिटाई की जाती थी। इंदिरा गांधी की तानाशाही इतनी थी कि अच्छे- अच्छे नेताओं को रातोंरात घर से उठाकर जेल में ठूंस दिया गया।

आखिरकार पुलिस ने एक दिन पकड़ लिया। जेल के अंदर बहुत यातनाएं दी गईं। मेरी उंगली को चार-चार घंटे कुर्सी के नीचे दबाकर रखा जाता था। उंगली में पेंसिल फंसाकर दबाया जाता था, जिसके कारण आज भी मेरे हाथ की सभी उंगलियां कटी-फटी हैं।

सत्याग्रहियों पर इतना अत्याचार किया जाता था कि उसकी कोई हद ही नहीं थी। बर्फ पर लिटाकर मार- पिटाई की जाती थी। इंदिरा गांधी की तानाशाही इतनी थी कि अच्छे- अच्छे नेताओं को रातोंरात घर से उठाकर जेल में ठूंस दिया गया। कांग्रेसियों के अत्याचार के कारण कइयों के मकान, दुकान और परिवार टूट गए। कई लोग बेघर हो गये।

Topics: सत्याग्रहियों पर इतना अत्याचारroutine branchso much torture on satyagrahisit was a period of torture and dictatorshipEmergencyदिनचर्या शाखाआपात्काल
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