अभी तक झारखंड के साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा जिले से ऐसी खबरें आती थीं कि सरकारी जमीन पर अवैध तरीके से मकान और मस्जिद बनाई जा रही हैं। अब इस तरह की खबर रामगढ़ से भी आई है। यहां वन विभाग और सीसीएल की जमीन को कब्जा कर कई मकान और मस्जिद बना दी गई है। हालांकि यह रातों-रात नहीं हुआ है बल्कि वर्षों से यह अवैध निर्माण जारी था लेकिन ना तो इस मामले पर सीसीएल प्रबंधन आगे आया और ना ही वन विभाग के अधिकारियों की नींद टूटी है। अब स्थिति यह है कि आसपास के क्षेत्र में धीरे-धीरे जनसांख्यिकी बदलाव भी देखने को मिलने लगा है।
एक जानकारी के अनुसार पिछले 10 से 12 वर्ष में जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत बारूघुटु उत्तरी पंचायत के परेज में कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा वन विभाग से लीज पर ली गई भूमि और कुछ वन भूमि का अतिक्रमण कर कई मकान बन चुके हैं। धीरे-धीरे यही लोग अब सीसीएल की भूमि पर अतिक्रमण करते करते शहर की ओर जब आने लगे तब ग्रामीणों ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। इसके बाद मांडू प्रक्षेत्र के रेंजर विनोदानंद राय ने स्थल की जांच की। इस जांच में पता चला कि जिस भूमि पर दर्जनों मकान, तालाब और मस्जिद बना दी गई है उसे सीसीएल ने वर्ष 1980 में वन विभाग से अधिग्रहण किया था। इसके साथ ही वन भूमि और गैरमजरूआ यानी सरकारी जमीन भी शामिल है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस जगह पर बहुत सारे नए लोग बसते जा रहे हैं। जिससे अचानक यहां की आबादी में बढ़ोतरी हुई है। इस जगह को लोग अब रहमत नगर के नाम से जानते हैं जहां सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोग अपने घर बनाकर रह रहे हैं। इतना ही नहीं, इस क्षेत्र में आपराधिक मामलों में भी बेतहाशा वृद्धि हुई है।
इन सब में एक और आश्चर्य की बात यह देखने को मिल रही है कि सीसीएल द्वारा अधिग्रहित वन विभाग और सरकारी भूमि पर भी सरकार द्वारा आंगनबाड़ी और पीसीसी पथ का निर्माण किया जा चुका है। जबकि सीसीएल की जमीन पर किसी भी तरह की सरकारी योजना को लागू करने से पहले सीसीएल से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना पड़ता है लेकिन यहां ऐसा नहीं किया गया है।
कहीं ना कहीं इस पूरे प्रकरण में सीसीएल अधिकारियों की भी लापरवाही साफ तौर पर देखी जा सकती है । सीसीएल के एक अधिकारी कमलेश कुमार सिन्हा के अनुसार अब तक छानबीन ही नहीं हुई है इसलिए वे कुछ कह नहीं सकते। अब आश्चर्य वाली बात यह है कि पिछले 10 साल तक इस जगह पर अवैध निर्माण होता रहा , सरकारी योजनाएं आती रहीं और उसके बाद भी सीसीएल के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
इस मामले में मांडू प्रक्षेत्र के रेंजर विनोदानंद राय के ने भी माना कि सीसीएल और वन भूमि की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है और उन्होंने इस मामले पर पत्र लिखकर अविलंब अतिक्रमण मुक्त कराने का निर्देश भी दिया है।
बता दें कि कोई सरकारी योजना किसी क्षेत्र में आती है तो उसमें स्थानीय नेताओं और सरकारी अधिकारियों की सहमति होती है। अब यह भी सवाल उठता है कि आखिर किन के इशारे पर सारी प्रक्रियाओं को दरकिनार कर उस जगह पर सरकारी कार्य किए गए और लोगों की सुविधाओं के लिए तालाब आंगनबाड़ी केंद्र और पीसीसी पथ का निर्माण किया गया?
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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