दमोह के गंगा जमुना स्कूल में हिंदू लड़कियों को हिजाब पहनाया गया। केजी फर्स्ट के बच्चों को पढ़ाया जा रहा था-‘5 पिलर्स आफ इस्लाम।’ हिंदू लड़कियों के लिए प्रवेश फॉर्म पर हिजाब वाला पासपोर्ट साइज फोटो लगाना अनिवार्य था।
मध्य प्रदेश के दमोह में एक शिक्षण संस्थान है- ‘गंगा जमुना स्कूल।’ इसकी ऐसी हरकतें सामने आ रही हैं, जो यह बताने के लिए काफी हैं कि राज्य में कुछ तत्व शिक्षा की आड़ में कन्वर्जन करा रहे हैं। यही नहीं, इन तत्वों ने भारत की संप्रभुता को भी चुनौती दी है। गंगा जमुना स्कूल में हिंदू लड़कियों को हिजाब पहनाया गया। केजी फर्स्ट के बच्चों को पढ़ाया जा रहा था-‘5 पिलर्स आफ इस्लाम।’ हिंदू लड़कियों के लिए प्रवेश फॉर्म पर हिजाब वाला पासपोर्ट साइज फोटो लगाना अनिवार्य था।
यह भी पता चला है कि स्कूल में हिंदू बच्चों के लिए भी जुम्मे की नमाज जरूरी थी। वहीं, स्कूल संचालकों ने भारत के नक्शे से छेड़छाड़ करते हुए आधा भारत ही गायब कर दिया। राज्य बाल आयोग के माध्यम से जो तथ्य बाहर आ रहे हैं, वे चौंकाने वाले हैं। इस मामले को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने गंभीरता से लिया और सरकार को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके बाद प्रबंधक और संचालकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई। अब शासन ने विद्यालय की मान्यता रद्द कर दी है।
इस विद्यालय ने तीसरा बड़ा अक्षम्म अपराध किया है, वह है देश की संप्रभुता को चुनौती देना। इसने भारत के नक्शे से सीधे तौर पर छेड़छाड़ की है। नक्शे को आधा हरा दिखाना और ऊपर से उसके भाग को गायब कर देना, यह बताने के लिए पर्याप्त है कि स्कूल प्रशासन के मंसूबे बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं। इस शिक्षण संस्थान के कुछ अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की बात सामने आने से मामला और संगीन हो गया है।
कक्षा छह में पढ़ने वाली गायत्री (परिवर्तित नाम) ने बताया कि स्कूल में उसे जो प्रार्थना याद कराई गई है, वह कुछ इस प्रकार से है-
‘‘ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि…अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु…सुब्हानल्लाही वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इलल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौल वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम…ला इलाह इल्लल्लाहु वह्दहु ला शरीक लहू लहुल मुल्कू व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु वहुवा हय्युल ला यमूतु अबदन अबदा जूल जलालि वल इकराम बियदिहि-हिल खैर वहुवा अला कुल्ली शैइन कदीर…’’
ये तारीफें अल्लाह ताला के लिए हैं, जो तमाम जहान को पालने वाला है, निहायत रहम करने वाला है, जो इंसान के दिल का मालिक है। अब इसके बारे में किसी मुसलमान से पूछा जाए तो वह बता देगा कि यह ‘कलमा’ है। स्कूल में जो गीत गाया जाता है, उसकी अंतिम पंक्ति का अर्थ है- ‘मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको, नेक जो राह हो उस राह पे चलाना मुझ को।’ यानी सिर्फ अल्लाह ही बुराई से बचाएंगे और कोई नहीं। यह मुसलमान बच्चों के लिए तो ठीक है, लेकिन गैर-मुसलमान बच्चों को यह बताना, कहां तक ठीक है? इस पर समाज को विचार करना चाहिए।
देश की संप्रभुता को चुनौती
इस विद्यालय ने तीसरा बड़ा अक्षम्म अपराध किया है, वह है देश की संप्रभुता को चुनौती देना। इसने भारत के नक्शे से सीधे तौर पर छेड़छाड़ की है। नक्शे को आधा हरा दिखाना और ऊपर से उसके भाग को गायब कर देना, यह बताने के लिए पर्याप्त है कि स्कूल प्रशासन के मंसूबे बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं। इस शिक्षण संस्थान के कुछ अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की बात सामने आने से मामला और संगीन हो गया है।
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