भोपाल। ईसाई संस्था ‘आधारशिला’ में गैर ईसाई बच्चों, खासकर हिन्दू बच्चों को बाइबिल पढ़ाई जा रही थी और उनकी धार्मिक मान्यताओं के विरुद्ध जाकर उन्हें रोजमर्रा के क्रियाकलाप सिखाए जा रहे थे, तो वहीं गंगा जमुना का हिजाब विवाद कन्वर्जन के कुचक्र तक जा पहुंचा। अब फिर एक स्कूल की शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) तक पहुंची है। इस बार विवाद का विषय बना है संस्थान द्वारा जारी विज्ञापन।
स्कूल द्वारा जारी इस विज्ञापन से साफ दिखाई दे रहा है कि यह विशेष धर्म के बच्चों को केंद्रित करके बनाया और प्रसारित किया गया है। स्कूल का नाम है अल फलाह यूनिक। इस स्कूल को लेकर एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के प्रधान निजी सचिव की ओर से कलेक्टर दमोह को नोटिस दिया गया है। भेजे गए इस पत्र में पांच बिन्दुओं के तहत जिला कलेक्टर से जानकारी मांगी गई है और सात दिन के भीतर सभी बिन्दुओं की जानकारी साक्ष्यों के साथ एनसीपीसीआर को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
हो रहा है आरटीई एक्ट का सीधा उल्लंघन
एनसीपीसीआर ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग की ओर से आए इस पत्र में लिखा है, ”अलफ़लाह यूनिक स्कूल, दमोह द्वारा अपने स्कूल में प्रवेश के लिए जो विज्ञापन दिए गए हैं, उसके अवलोकन से यह प्रतीत होता है कि उक्त स्कूल द्वारा निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट) 2009 के विभिन्न धाराओं का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया जा रहा है।”
विज्ञापन में सरकारी नियमों की ऐसी उड़ी धज्जियां
नोटिस में अल फ़लाह यूनिक स्कूल के दिए गए विज्ञापन के बिंदु संख्या दो के अनुसार दाखिला लेने के लिए बच्चों को टेस्ट देना जरूरी होगा, लिखा हुआ है जोकि निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 13 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। वहीं, विज्ञापन के बिंदु संख्या तीन का जिक्र करते हुए बताया गया है कि पहली जमात के लिए बच्चों की उम्र पांच से सात साल व दूसरी जमात के लिए छह से आठ साल होनी चाहिए, लिखा गया है जोकि निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 4 का उल्लंघन प्रतीत होता है।
यह भी बताया गया है कि उक्त विज्ञापन के बिंदु संख्या सात के अनुसार- “कुल उपलब्ध सीट का 20% गरीब बच्चों के लिए रिज़र्व हैं। क्या ये सीट RTE Act, 2009 की धारा 12(i)(c) के तहत दाखिले के लिए है? उक्त विज्ञापन के अवलोकन से यह प्रतीत होता है कि उक्त स्कूल इस्लामिक शिक्षा दे रहा है। क्या उक्त स्कूल में केवल मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं या इस स्कूल में गैर मुस्लिम बच्चे भी पढ़ रहे हैं? यदि यहाँ गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ रहे हैं तो उनकी संख्या कितनी है? रिपोर्ट के साथ स्कूल का Affiliation Certificate भी प्रेषित करें।”
एनसीपीसीआर के पास पहुंची थी शिकायत
इस संबंध में जब राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया, ”दमोह में संचालित हो रहे अल फ़लाह यूनिक स्कूल की हमारे पास शिकायत आई थी, जिसमें विज्ञापन भी भेजा गया, उक्त विज्ञापन की जो भाषा है और जो उसमें दर्शाया गया है, वह अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई एक्ट) 2009 की विभिन्न धाराओं का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करता हुआ दिखाई दिया है, इसीलिए ही कलेक्टर दमोह को एनसीपीसीआर की ओर से पत्र भेजा गया है। आयोग ने यह जानकारी जिला कलेक्टर से संपूर्ण प्रकरण की जांच करवाकर उनका स्पष्टीकरण आवश्यक दस्तावेजों के साथ सात दिनों के भीतर प्रेषित करने के लिए कहा है।”
जिला शिक्षा अधिकारी को नहीं मालूम दमोह में इस नाम का कोई स्कूल हो रहा संचालित
दमोह शिक्षा अधिकारी एसके नेमा का कहना है कि शासकीय अभिलेख में इस प्रकार का कोई अल फ़लाह यूनिक स्कूल नाम से कोई विद्यालय या मदरसा का संचालन होता नहीं पाया गया है। न ही इस नाम से कोई मान्यता लेने का प्रयास किसी ने किया है। वहीं, दूसरी ओर आईबी की रिपोर्ट के बारे में जानकारी लगी है, जिसमें बताया गया था कि यह स्कूल संचालित हो रहा है। इसके साथ ही यहां पर दारुल उल्म आला हजरत रजा-ए-मुस्तफा, रजा नगर मंडी, दमोह एवं आला हजरत हाई स्कूल रजा नगर, दमोह में ही इस नाम से उक्त फ़लाह यूनिक स्कूल संचालित किए जाने की जानकारी मिली है।
इस संचालित होने वाले स्कूल को लेकर जानकारी मिली है कि यह विद्यालय ख्वाजा गरीब नवाज शिक्षा एवं समाज समिति के माध्यम से चलाया जा रहा है। इसमें जो संपर्क नंबर दिया गया है वह किसी इरफान का है। जिस पर जब बात की गई तो उसने स्वीकारा कि हां, यह शुरू हुआ था लेकिन अभी जो हालात दमोह में हैं, उसे देखते हुए कुछ दिन के लिए बंद कर दिया गया है।
इस नाम के सबसे ज्यादा शिक्षा संस्थान चल रहे पाकिस्तान, यूके में
अल फ़लाह यूनिक स्कूल के नाम से ज्यादातर विद्यालय एवं कॉलेज तथा अन्य शिक्षण संस्थान पाकिस्तान और यूके में हैं। जहां मोहम्मद अली जिन्नाह के बड़े-बड़े फोटो लगे हुए हैं। वहीं भारत में विशेषकर हरियाणा, हैदराबाद-तेलंगाना, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब जैसे कई राज्यों भी इस नाम से स्कूल और कॉलेज चल रहे हैं।
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