बेबस पीड़िताएं, बेखौफ दरिंदे
July 14, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

बेबस पीड़िताएं, बेखौफ दरिंदे

अजमेर में 1992 में सैकड़ों लड़कियों के साथ रेप हुआ। उन्हें ब्लैकमेल किया गया, परंतु आरोपी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रसूख वाले थे। 31 वर्ष बीतने के बावजूद न्याय तो नहीं मिला, लेकिन इस विषय पर बनी फिल्म अजमेर-92 का पोस्टर जारी होने पर हंगामा हो गया

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Jun 6, 2023, 07:02 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अजमेर शरीफ रेप एवं ब्लैकमेलिंग कांड एक खुला घाव है। ये लड़कियां जब किशोरावस्था में थीं तो बार-बार रेप की शिकार हुईं और इनमें से कुछ का पूरा जीवन पुलिस-कचहरी के चक्कर काटते बीत गया और उन्हें अब बुढ़ापे तक भी न्याय नहीं मिल सका है।

नब्बे के दशक के अजमेर सेक्स और ब्लैकमेलिंग कांड पर बनी ‘अजमेर 92’ इस वर्ष 14 जुलाई को रिलीज होने जा रही है। इस फिल्म का पोस्टर जारी हो चुका है। पोस्टर में 250 छात्राओं की अश्लील तस्वीरें बांटने, 28 परिवारों के लापता होने, हत्याओं-आत्महत्याओं की खबरों को दर्शाया गया है।

फिल्म के निर्देशक पुष्पेंद्र सिंह और निमार्ता उमेश कुमार हैं। इस फिल्म रिलीज होने की खबर आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर हंगामा बरपा हुआ है। अजमेर शरीफ रेप एवं ब्लैकमेलिंग कांड एक खुला घाव है। ये लड़कियां जब किशोरावस्था में थीं तो बार-बार रेप की शिकार हुईं और इनमें से कुछ का पूरा जीवन पुलिस-कचहरी के चक्कर काटते बीत गया और उन्हें अब बुढ़ापे तक भी न्याय नहीं मिल सका है। अजमेर का अश्लील तस्वीर ब्लैकमेलिंग मामला 1990 से चल रहा था। लेकिन खुलासा तब हुआ जब फरवरी-मार्च 1992 में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। अप्रैल में तस्वीर साफ हुई कि स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाली सैकड़ों हिंदू छात्राओं को अपने जाल में फंसा कर एक गिरोह अश्लील हरकतें करता है और उनकी निर्वस्त्र तस्वीरें खींचता है। यह गिरोह ब्लैकमेल की गयी लड़कियों के जरिए अन्य लड़कियों को फंसाता था।

ऐसे शुरू हुआ कांड
इसमें आरोपियों ने एक व्यवसायी के बेटे से दोस्ती की। उसके साथ कुकर्म किया और उसकी तस्वीरें उतारीं। व्यवसायी के बेटे को ब्लैकमेल कर उसकी गर्लफ्रेंड को पोल्ट्री फॉर्म पर लेकर आये। उससे बलात्कार किया, उसकी निर्वस्त्र तस्वीरें उतारीं। फिर उसे अपनी सहेलियों को वहां लाने के लिए मजबूर किया। अब आरोपी वहां आने वाली हर लड़की का बलात्कार करते और निर्वस्त्र तस्वीरें खींचते। तस्वीरों से ब्लैकमेल कर लड़कियों को अलग-अलग ठिकानों पर बुलाया जाने लगा। छात्राओं को फॉर्म तक ले जाने के लिए कॉलेज के बाहर हमेशा एक फिएट गाड़ी खड़ी रहती थी। कुछ छात्राएं परेशान होकर पुलिस तक पहुंचीं। जांच हुई तो अजमेर शहर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, संयुक्त सचिव और कुछ रईसजादों के नाम सामने आये। इस पूरे कांड के मास्टरमाइंड अजमेर दरगाह के खादिम परिवार से संबंधित अजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारुक चिश्ती, नफीस चिश्ती और अनवर चिश्ती थे।

अजमेर का अश्लील तस्वीर ब्लैकमेलिंग मामला 1990 से चल रहा था। लेकिन खुलासा तब हुआ जब फरवरी-मार्च 1992 में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। अप्रैल में तस्वीर साफ हुई कि स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाली सैकड़ों हिंदू छात्राओं को अपने जाल में फंसा कर एक गिरोह अश्लील हरकतें करता है और उनकी निर्वस्त्र तस्वीरें खींचता है। यह गिरोह ब्लैकमेल की गयी लड़कियों के जरिए अन्य लड़कियों को फंसाता था।

एक अखबार ने इन तस्वीरों के साथ समाचार प्रकाशित कर दिया जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। आरोपियों ने लड़कियों की निर्वस्त्र तस्वीरें के निगेटिव साफ करने के लिए जिस लैब को रील दी थी, वहां से तस्वीरें लीक हो गयीं। शहर भर में इन तस्वीरों की जेरॉक्स कॉपियां बंटने लगीं। तस्वीरें मिलने पर कई अन्य लोगों ने लड़कियों को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। इसी बीच, कॉलेज की छह लड़कियों ने एक-एक कर आत्महत्या कर ली। आरोपी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत ताकतवर थे। कई लड़कियां भी बड़े घरानों से थीं। इस कारण पुलिस कार्रवाई बहुत धीमी रही।

 

दूसरा पहलू यह था कि आरोपी अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह के खादिम परिवार के मुस्लिम थे और पीड़ित लड़कियां हिंदू। लिहाजा सांप्रदायिक तनाव के भय की आड़ में पुलिस ने चुस्ती नहीं दिखाई। कानून का भय समाप्त होते हुए मुस्लिम लड़कों ने लड़कियों को और ज्यादा प्रताड़ित करना शुरू किया। जांच-पड़ताल और कार्रवाई के दौरान 32 लड़कियों ने तो बयान दे दिया, परंतु बहुत सी लड़कियों ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।

पुलिस की धीमी गति के कारण मुलजिमों और अन्य लोगों को लंबा वक्त मिला कि वह अपने विरुद्ध साक्ष्य समाप्त कर दें, गवाहों को धमका सकें और जिन लोगों को शहर छोड़कर निकलना था, वह निकल जाएं। कई पीड़िताओं ने आत्महत्या कर ली, कई परिवार रातों-रात शहर छोड़ गये। एक अखबार के संपादक की हत्या कर दी गयी। 30 मई, 1992 को यह मामला सीबी-सीआईडी को सौंपा गया।

जुड़े रहे राजनीतिक तार

अजमेर ब्लैकमेल मामले में वांछित आरोपी शम्सुद्दीन उर्फ माराडोना की गिरफ्तारी से राजनीतिक गलियारों के तार जुड़े होने के संकेत मिले। सीबी-सीआईडी माराडोना को आबूरोड से गिरफ्तार कर जयपुर लेकर आयी थी। तत्कालीन डीएसपी रोहित महाजन (सीआईडी-सीबी) और इंस्पेक्टर मोहन सिंह मधुर के सामने की गयी पूछताछ में उसने कबूल किया कि युवा कांग्रेस नेता नफीस ने उसे ड्राइवर की नौकरी दी थी। उसका काम पीड़ितों को स्कूल, कॉलेज या किसी तय जगह से फंसाकर फार्म हाउस और पोल्ट्री फार्म में पहुंचाना था। उसने यह भी स्वीकार किया था कि फारुक चिश्ती, ललित जडवाल, राजकुमार जयपाल और रघु शर्मा जैसे यूथ कांग्रेस नेता इस जघन्य अपराध में शामिल थे।

पूछताछ के दौरान उसने आगे बताया कि नफीस रेशमा (बदला हुआ नाम) नाम की पीड़िता के साथ जोधपुर सर्किट हाउस में तत्कालीन राज्य कपड़ा मंत्री (और फिलहाल मुख्यमंत्री) अशोक गहलोत से मिलने के लिए सफेद एंबेसडर कार में आया करता था, जिसे वह डिग्गी चौक एरिया से किराये पर लेता था। प्रताप सिंह खाचरियावास, नरपत सिंह राजवी, सुरेंद्र सिंह शेखावत जैसे जनप्रतिनिधियों ने राजनेताओं के शामिल होने पर सवाल उठाया और इसकी सीबीआई जांच की मांग की। अखबारों ने खुलेआम दावा किया कि अशोक गहलोत बगैर किसी प्रोटोकॉल के निजी रूप से अजमेर आये और वहां के तत्कालीन एसपी एम.एम. धवन से मिले थे।

समय-समय पर विभिन्न राजनेताओं ने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के इस घटना में शामिल होने की बात उठायी, लेकिन कोई वरिष्ठ राजनेता पूछताछ के घेरे में नहीं आया। हाल में कालीचरण सर्राफ ने रघु शर्मा के शामिल होने की बात कही। लेकिन जांच अधिकारियों ने आज तक अशोक गहलोत से यह पूछताछ भी नहीं की कि रेशमा को क्यों और किस कारण जोधपुर लाया गया था।

अविश्वास का वातावरण
इन घटनाओं से पूरा अजमेर सहम कर रह गया था। उस समय कोई खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं था, कि कहीं वह जोश में आकर बोल दे, और फिर मामला उसके घर से भी जुड़ा निकल जाए। लोग अंदर से तनावग्रस्त थे। अविश्वास का यह दौर चार-पांच साल तक चला। अजमेर की लड़कियों से विवाह करने वाले पता लगाते थे कि कहीं लड़की इस कांड से जुड़ी तो नहीं है। लोग अजमेर में रिश्ते करने से बचने लगे। यह स्थिति पूरे संभाग में फैल गयी। जिन स्कूल-कॉलेजों के नाम सामने आ रहे थे, वहां पढ़ने वाली हर लड़की और उनके मोहल्लों की लड़कियां संदेह की नजर से देखी जाने लगीं। इस मामले को दर्ज हुए 31 वर्ष हो गये। अधिकांश पीड़िताओं की उम्र 50 वर्ष से ऊपर हो गई होगी।

उस समय अय्याशी के अड्डे के रूप में जेपी रिजॉर्ट का नाम आया था। उसके मालिक ने सारा रिकॉर्ड गुम हो जाने की बात कह कर उस प्रकरण को ही खत्म करवा दिया। फिलहाल इस समय कोई आरोपी जेल में नहीं है। बाद में गिरफ्तार किए गए आरोपी भी जमानत पर बाहर हैं। एक आरोपी, जिसकी गिरफ्तारी बाकी है, वह अब अमेरिका में बताया जाता है। जो महिलाएं तारीख पर अदालत आती थीं, वे भी अब लोकलाज से आना छोड़ चुकी हैं। मामले की फास्टट्रैक सुनवाई होनी थी, लेकिन 31 वर्ष बाद भी न्याय नहीं हो पाया। यह है अजमेर कांड का सच। पीड़िताएं जिंदा हैं, एक कटु याद के साथ, एक बेबसी के साथ। इन पीड़िताओं के साथ न सरकार खड़ी हुई और न समाज। इस वजह से दरिंदे आजाद परिंदे बने रहे।

Topics: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाहNafees Chishti and Anwar Chishtiअविश्वास का वातावरणhelpless victimsजमेर यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष फारुक चिश्तीfearless predatorsनफीस चिश्ती और अनवर चिश्तीअजमेर ब्लैकमेलAjmer sexblackmailing scandalPushpendra Singhअजमेर सेक्सproducer Umesh Kumarब्लैकमेलिंग कांडKhwaja Moinuddin Chishti Dargahपुष्पेंद्र सिंहatmosphere of mistrustनिमार्ता उमेश कुमारJamer Youth Congress President Farooq Chishti
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

छात्रावास में नाश्ते के दौरान इडली में मिली अधजली बीड़ी, जांच के आदेश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

नूंह में शोभायात्रा पर किया गया था पथराव (फाइल फोटो)

नूंह: ब्रज मंडल यात्रा से पहले इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद, 24 घंटे के लिए लगी पाबंदी

गजवा-ए-हिंद की सोच भर है ‘छांगुर’! : जलालुद्दीन से अनवर तक भरे पड़े हैं कन्वर्जन एजेंट

18 खातों में 68 करोड़ : छांगुर के खातों में भर-भर कर पैसा, ED को मिले बाहरी फंडिंग के सुराग

बालासोर कॉलेज की छात्रा ने यौन उत्पीड़न से तंग आकर खुद को लगाई आग: राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान

इंटरनेट के बिना PF बैलेंस कैसे देखें

EPF नियमों में बड़ा बदलाव: घर खरीदना, इलाज या शादी अब PF से पैसा निकालना हुआ आसान

Indian army drone strike in myanmar

म्यांमार में ULFA-I और NSCN-K के ठिकानों पर भारतीय सेना का बड़ा ड्रोन ऑपरेशन

PM Kisan Yojana

PM Kisan Yojana: इस दिन आपके खाते में आएगी 20वीं किस्त

FBI Anti Khalistan operation

कैलिफोर्निया में खालिस्तानी नेटवर्क पर FBI की कार्रवाई, NIA का वांछित आतंकी पकड़ा गया

Bihar Voter Verification EC Voter list

Bihar Voter Verification: EC का खुलासा, वोटर लिस्ट में बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के घुसपैठिए

प्रसार भारती और HAI के बीच समझौता, अब DD Sports और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर दिखेगा हैंडबॉल

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies