हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कश्मीरी हिन्दुओं ने गांदरबल जिले के तुलमुला पहुंच कर मां क्षीर भवानी मंदिर में पूजा-अर्चना कर क्षीर भवानी मेला बड़ी धूमधाम से मनाया और मां से घाटी में शांति के लिए प्रार्थना की। कई वर्षों से कश्मीर घाटी में वापिसी की आस लगाये हजारों श्रद्धालु मां के दरबार में पहुंचे और मां से सब ठीक कर देने की प्रार्थना की। ज्येष्ठ अष्टमी पर मां क्षीर भवानी मेला तुलमुला में बड़े हर्षाेल्लास से मनाया जाता है जिसमें जम्मू-कश्मीर में रहने वाले कश्मीरी हिन्दुओं के अलावा विस्थापन के चलते अन्य राज्यों व देश-विदेश में चले गये कश्मीरी हिन्दू श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस मौके पर कश्मीरी हिन्दुओं ने मां के दरबार में विशेष पूजा-अर्चना कर घाटी में शांति के लिए प्रार्थना की व हवन में आहुतियां भी डालीं।
देश सहित जम्मू कश्मीर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से माता खीर भवानी मेले में पहुंचे कश्मीरी पंडितों और श्रद्धालुओं के जयकारों से रविवार को तुलमुला गूंज उठा।
इस अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को ज्येष्ठ अष्टमी की बधाई दी और कहा कि यह अष्टमी विशेष रूप से कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए अहम होती है। उन्होंने माता क्षीर भवानी से सभी के लिए सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की। उपराज्यपाल ने कहा कि माता क्षीर भवानी मंदिर में दुनिया भर के भक्तों का जमावड़ा और उत्सव हमारी आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और एक पुण्य जीवन जीने की प्रेरणा है। माता क्षीर भवानी का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती भी माता के दरबार पहुंचीं और कश्मीरी हिन्दुओं को मेले की बधाई व शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि मेला आध्यात्मिकता, संस्कृति और सांप्रदायिक सद्भाव के अद्वितीय सम्मेलन का प्रतिनिधित्व है। मुफ्ती ने कहा कि उन्होंने घाटी में कश्मीरी पंडितों की गरिमापूर्ण वापसी के लिए प्रार्थना की है ताकि एक बार फिर हिंदू-मुस्लिम-कश्मीरी पंडित कश्मीर में भाईचारे के साथ रह सकें।
उन्होंने प्रशासन से श्रद्धालुओं के आराम और सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था के साथ मेला क्षीर भवानी के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने का भी आग्रह किय।
इसी के साथ साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक खीर भवानी मेला शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा व अन्य व्यवस्था को लेकर व्यापक इंतजाम किए थे।
ऐसा माना जाता है कि मंदिर के नीचे बहने वाले पवित्र झरने के पानी का रंग घाटी की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है। हालांकि, अधिकांश रंगों का कोई विशेष महत्व नहीं होता है लेकिन पानी का काला या गहरा रंग कश्मीर के लिए अशुभ समय का संकेत माना जाता है। इस साल झरने का पानी साफ और दूधिया सफेद था जो कश्मीर घाटी के लिए अच्छा संकेत है।
वहीं जो श्रद्धालु कश्मीर नहीं जा सके उन्होंने जम्मू में हजारों की संख्या में जानीपुर के भगवती नगर में स्थित क्षीर भवानी मंदिर में मां रागन्या देवी की पूजा-अर्चना की। इस मंदिर का निर्माण तुलमुल्ला में मूल मंदिर आधार पर करवाया गया है।
सौजन्य – सिंडिकेट फीड
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