भारत के कम्युनिस्ट पड़ोसी देश के गधे तेजी से घट रहे हैं। इतनी तेजी से बीते सात साल में ही उनकी आबादी आधी रह गई है। वहां के लोग और विशेषज्ञ भी हैरान हैं कि आखिर चीनी गधों को हो क्या रहा है? ये जा कहां रहे हैं?
कम्युनिस्ट चीन में गधों की तेजी से घटती आबादी चिंता की वजह बनती जा रही है। बड़ा दिमाग दौड़ाने के बाद वहां जो वजह समझ में आ रही है वह यह है कि चीन में गधों की खाल से ऐसी दवा बनती है जो बाजार में बहुत महंगी बिकती है। दरअसल यह दवा वहां पारंपरिक रूप से रक्तचाप संबंधी रोग को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
गधों की खाल से बनाई जाने वाली इस दवा ‘ईजाओ’ की बढ़ती मांग की वजह से संभवत: गधे मारे जा रहे हैं। रक्तचाप में इस दवा को इतना कारगर माना जाता है कि इसकी मांग की पूर्ति के लिए गधों के पर कहर बरपाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस वजह से गधों की तस्करी भी मुनाफे का सौदा होने की वजह से काफी बढ़ गई है।
गधा पालन वाले लोग भी परेशान हैं क्योंकि आएदिन इस जानवर की खाल बेचने वाले धड़ल्ले से इनकी चोरी कर रहे हैं। चोरी करने के बाद उन्हें कसाई के हवाले करके खाल खिंचवाई जाती है और फिर उस खाल को दवा बनाने वालों को मोटी कीमत पर बेचा जाता है।
निरीह प्राणी गधों की तेजी से घटती संख्या का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले सात साल में यह आठ लाख से घटकर चार लाख ही रह गई है। सूत्रों के अनुसार, गधों को बेहरमी से मारा जा रहा है। उसके बाद उनकी खाल खींची जाती है। उसे फिर आगे बेचा जाता है।
आकड़ों को देखें तो पड़ोसी चीन में तुर्काना काउंटी गधा पालन में सबसे आगे है। लेकिन हैरानी की बात है कि यह प्राणी सबसे ज्यादा यहीं कसाइयों के हत्थे चढ़ रहा है। गधा पालन वाले लोग भी परेशान हैं क्योंकि आएदिन इस जानवर की खाल बेचने वाले धड़ल्ले से इनकी चोरी कर रहे हैं। चोरी करने के बाद उन्हें कसाई के हवाले करके खाल खिंचवाई जाती है और फिर उस खाल को दवा बनाने वालों को मोटी कीमत पर बेचा जाता है। चीन में पारंपरिक चिकित्सा के नाम पर कई जानवरों को मार उनका सूप, चूर्ण, भस्म, घोल, गोली, सिरप आदि खूब बेचे जाते हैं।
तुर्काना काउंटी द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि देश के कुल गधों में से 30 प्रतिशत यहीं पाए जाते हैं। यहां के अनेक लोगों का कहना है कि रात के अंधेरे में चोर गधे चुरा रहे हैं। अफ्रीकी देश केन्या में गधे पालने वालों के संगठन की एक शाखा तुर्काना में भी है। इस काउंटी में इस संगठन के अध्यक्ष से मिली एक जानकारी दिलचस्प है। उनका कहना है कि गधों की चोरी और इनकी हत्या करने वाले डकैतों की एक खास नस्ल होती है। उनके अनुसार, वहां तो बदमाशों का एक पूरा सिंडिकेट ही है जो गधे चुरा कर शहर के बाहरी इलाके में चल रहे बूचड़खाने को गधों की खाल बेचा करता है।
स्थानीय प्रशासन ने कई ऐसे बूचड़खानों पर कड़ी कार्रवाई करने के बाद बहुतों को बंद करने का फरमान भी सुनाया है। लेकिन गधा चोरी में कमी नहीं आ रही है। इन्हें चुराकर, मारकर, खाल उतारकर, खालों को काउंटी से बहार भेजने का काला धंधा गुपचुप पर बड़े पैमाने पर जारी है।
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