भोपाल। मध्य प्रदेश पुलिस क्राइम ब्रांच ने आयुर्वेदिक उपचार के नाम पर बुजुर्गों को ठगी का शिकार बनाने वाले गिरोह के चार आरोपियों को राजस्थान से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। एक बुजुर्ग पीड़ित परिवार को तो 42 लाख की राशि भी पुलिस ने सजगता और तत्परता दिखाते हुए वापस दिलवाकर उनके चेहरे से गायब हुई मुस्कान को लौटाया है।
मो. इमरान, जावेद, शेरू और खलील ठग होटल तथा रेस्तरां के आसपास घूमते थे और ऐसे बुजुर्ग जिनको चलने में दिक्कत होती है, उन्हें टारगेट करते। बाद में डॉक्टर बनकर उपचार के नाम पर पीड़ित को अपने झांसे में लेकर उनसे रुपए वसूलना शुरू कर देते थे। जब लगता था कि अब सामने वाला कंगाल हो चुका है या आगे और रुपए नहीं दे पाएगा तो उसे उसके हाल पर छोड़ अपना नया शिकार ढूढने तुरंत अलग-अलग स्थानों पर निकल जाते थे।
बुजुर्ग दंपत्ति को इस तरह फंसाया था जाल में
इस मामले में एक बुजुर्ग फरियादी राकेश मोहन विरमानी निवासी बावड़िया कलां भोपाल ने लिखित शिकायत में बताया कि उनकी पत्नी को डीप वेन थ्रोम्बोसिस नाम की बीमारी है, जिसमें पैरों में दर्द होता है व सूजन रहती है। उनका कई जगह उपचार करवाया गया, लेकिन आराम नहीं मिला। चार फरवरी 2023 को जब वे अपनी पत्नी के साथ एमपी नगर में आए थे, तब उनकी पत्नी बीमारी के कारण ठीक से चल नहीं पा रही थी, तब वहां खड़े एक युवक ने बताया कि उनकी पत्नी का उपचार मुम्बई के पटेल डॉक्टर से करवाएं। युवक ने उन्हें डॉ. पटेल का मोबाइल नंबर देकर कहा कि डॉक्टर अभी भोपाल में ही हैं। उस युवक ने अपना नाम राजीव बताया। कॉल करने पर डॉ. पटेल छह फरवरी को अपने असिस्टेंट के साथ मेरे घर आए। समस्या पूछने के पश्चात डॉ. पटेल ने पत्नी के बांये घुटने पर चाकू से कट लगाया और कुप्पीनुमा वस्तु से कटवाली जगह से कुछ समय मुंह से खींचा।
उन्होंने सफेद-पीले रंग का पदार्थ दिखाया और कहा कि यह पदार्थ जहर है, जिसके कारण खून की सप्लाई नहीं हो रही है और पैरों में सूजन आती है। उन्होंने कहा यह प्रक्रिया बहुत खतरनाक है और यह प्रक्रिया करने के वे प्रति गतिविधि 6000 रुपये चार्ज करेंगे। मरता क्या नहीं करता जैसा कहा गया है, ठीक हो जाने की उम्मीद में इस बुजुर्ग दंपत्ति ने उनकी अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के लिए अपनी स्वीकृति दे दी। फिर डॉ. पटेल बना मो. शेरू ने 152 बार और बाद में 202 बार यह प्रक्रिया अपनाई।
थेरेपी के नाम पर दिया 354 बार धोखा
इस प्रकार 354 बार थेरेपी करने का दिखावा कर बुजुर्ग दंपत्ति से 21 लाख 54 हजार रुपये फीस के रूप में लिए। इसके बाद उन्होंने तेल और दवाई आदि के लिए समय-समय पर थोड़े-थोड़े कर लगभग 21 लाख रुपये और मांगे। फिर डॉ. पटेल का कॉल आया कि वे आराम नहीं मिलने की स्थिति में जल्द भोपाल आकर पूरे पैसे वापस कर देंगे। इसके बाद से ही डॉ. पटेल, राजीव और उनकी कंपनी संजीवनी आयुर्वेदिक का फोन स्विच ऑफ आने लगा। ऐसे में स्वभाविक है कि बुजुर्ग दंपत्ति को अपने साथ ठगी होना महसूस हुआ और फिर वे इस की शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंचे। जहां उन्होंने बताया कि डॉ. पटेल ने अपने साथियों के साथ मुझसे कुल 42 लाख 73 हजार रुपये की ठगी की है।
आखिर में बुजुर्ग फरियादी पहुंचा मदद मांगने पुलिस के पास
बुजुर्ग फरियादी राकेश मोहन विरमानी की रिपोर्ट पर पुलिस ने धारा 420 के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया। वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच थाना प्रभारी अनूप कुमार उईके, टीम के साथ राजस्थान के जोधपुर पहुंचे। विवेचना के दौरान गिरफ्तार आरोपी की निशानदेही पर क्राइम ब्रांच भोपाल की 10 सदस्यीय टीम कोटा जाकर एक सप्ताह तक वहां रुकी रही और आरोपियों के संबंध में गोपनीय रूप से पता लगाती रही। जिसके बाद पुलिस ने गैंग के तीन और सदस्यों मोहम्मद इमरान पुत्र मोहम्मद जमीर उम्र 32 साल निवासी सागोद, कोटा और अंता, कोटा निवासी मो. जावेद पुत्र ईशाक उम्र 47 साल तथा खलील पुत्र अब्दुल जब्बार उम्र 36 साल को गिरफ्तार करने में सफलता पाई। इनके अलावा पुलिस ने इनके अन्य सहयोगी विशाल पिता मेघदान, सावरलाल जाट पिता हनुमान सहाय (27 वर्ष) को भी पकड़ा है। पुलिस द्वारा आरोपी से घटना के संबंध में पूछताछ करने पर उसने अन्य आरोपियों के साथ जुर्म करना स्वीकार किया है, जिन्हें अब पुलिस रिमांड पर लेकर विस्तृत पूछताछ की जा रही है।
आरोपी इस तरह देते हैं वारदात को अंजाम
आरोपियों ने पुलिस की पूछताछ में अब तक बताया है कि उनके गैंग में 7-8 लोग हैं, जो भोपाल के सूखीसेवनिया आउटर क्षेत्र में झोपड़ी बनाकर रुके थे। मो.इमरान, मो.जावेद और खलील होटल तथा रेस्तरां के आसपास घूमते हैं और ऐसे बुजुर्ग जिनको चलने में दिक्कत होती है, उन्हें टारगेट करते हैं। बाद में मो. शेरू डॉक्टर बनकर उपचार के नाम पर पीड़ित को अपने झांसे में लेता और उससे रुपए वसूलना शुरू कर देता है। रुपए आते ही सभी आपस में बांट लेते हैं।
पीड़ित को न्याय मिले, यही पुलिस की प्रतिबद्धता – पुलिस कमिश्नर
इस संबंध में पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशन में प्रदेश में अपराध एवं अपराधियों पर नियंत्रण के लिए मध्य प्रदेश पुलिस निरंतर और सक्रियतापूर्वक कार्य कर रही है। 42 लाख रुपये की सायबर धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने एक बुजुर्ग दंपत्ति की जीवनभर की कमाई आरोपियों से वापस करवाई है। क्राइम ब्रांच सहित पूरी पुलिस टीम ने पूरे मनोयोग से अपराधियों की धरपकड़ करने का काम किया। लगभग 20 दिनों तक एमपी पुलिस की टीम राजस्थान में रही। अलग-अलग स्थानों पर पहुंचकर आरोपियों की पहचान की गई और गैंग के सदस्यों को पकड़ा गया। पुलिस की पूरी टीम को 30 हजार रुपये की राशि से पुरस्कृत कर सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पीड़ित को न्याय दिलाना ही पुलिस की प्रतिबद्धता है।
मप्र पुलिस का मैं जीवन भर ऋणी रहूंगा – फरियादी
संपूर्ण राशि वापस मिलने पर फरियादी राकेश मोहन विरमानी ने कहा कि उनके लिए यह एक स्वप्न के पूरा होने जैसी स्थिति है। उन्होंने कहा कि क्राइम ब्रांच की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। वे लगभग निराशा के गर्त में डूब चुके थे क्योंकि जितनी भी राशि थी, वह उनके प्रॉविडेंट फंड और ग्रेच्युटी की थी और उसी के मासिक ब्याज से उनका घर चलता था। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस का मैं जीवनभर ऋणी रहूंगा क्योंकि यही राशि मुझे बढ़ती उम्र में काम आएगी। उन्होंने डीजीपी सुधीर सक्सेना, कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र और मध्य प्रदेश पुलिस की टीम के सभी लोगों का आभार भी व्यक्त किया।
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