उज्जैन । जब किसी को आत्मसाक्षात्कार हो जाए और वह मोक्ष प्राप्ति के लिए सनातन हिन्दू धर्म में घर वापिसी करे तब इस बात के मायने कई अर्थों में अहम हो जाते हैं।
ताजा मामला मध्य प्रदेश में महाकाल की नगरी उज्जैन से जुड़ा है, जहां चार युवाओं ने दो पीढ़ियों के बाद स्वयं के आस्था केंद्र को बदलते हुए पुन: मोक्ष की कामना से सनातन हिन्दू धर्म में वापसी की है। इस वापसी के समय उनका जो तर्क था, वह सुनने लायक था, उन्होंने कहा कि यदि हमारा सनातन धर्म में आना हो रहा है तो उसके पीछे सिर्फ मत या धर्म संबंधी कारण जिम्मेदार बिल्कुल भी नहीं है। इसका कारण आध्यात्मिक, स्व को जानने की जिज्ञासा और विज्ञान सम्मत रूप से आत्मतत्व के रहस्य को व्यावहारिक धरातल पर समझना भी है ।
उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म में ही चार पुरुषार्थों का वर्णन मिलता है । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष यानी कि मनुष्य जीवन में अंतिम जो परिणति देह से मुक्त होने पर है वह मोक्ष है। उसे आप पहले भी साध सकते हैं और चाहें तो इसके क्रम में ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चार आश्रमों की व्यवस्था को जीवन में जीते हुए इसे प्राप्त कर सकते हैं । सिर्फ सनातन धर्म में ही पुरुषार्थों और आश्रमों का समन्वय है ।
वास्तव में परिस्थितिवश पूर्वजों ने जो किया उसे आज हमने सुधारने का काम ही किया है। यह कहना है उन चार युवाओं का जिन्होंने संत समाज के सामने पुन: महाकाल की नगरी उज्जैन में घर वापसी करते हुए सनातन हिन्दू धर्म को आत्मसात किया है। डेनियल नए नाम में रवींद्र कुमार, पीटर अब प्रदीप कुमार, रमेश मसीह का नया नाम हो गया है अमलेश कुमार और हेमंत पाल से हेमंत प्रजापति के नाम से नई पहचान रखनेवाले इन चार युवाओं का मानना है कि सनातन धर्म में वापसी से मन को बहुत शांति मिल रही है। ये चारों लोग उत्तर प्रदेश के बलिया से चलकर शुद्धि के लिए उज्जैन आए हैं।
अपने गुरु के बारे में बताते हुए इन सभी ने कहा कि मौनतीर्थ में महामंडलेश्वर सुमनांदगिरिजी महाराज ने हमें इस बात का बोध कराया कि साधक जो होना चाहता है, जो बनना चाहता है, वह उसके इष्ट पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। इष्ट के गुण साधक को गहरे तक प्रभावित करते हैं। सनातन धर्म में देवताओं के स्वरूप इसी का परिचायक हैं। हाल ही में इन सभी ने महामंडलेश्वर स्वामी सुमनांदगिरिजी महाराज ने आश्रम में विधि पूर्वक पंचगव्य से शुद्धि करते हुए वेद मंत्रों के उच्व्चारण के बीच स्नान व प्रायश्चित कर्म के बाद सनातन हिन्दू धर्म में वापिसी के सकल्प को सिद्ध किया है। इनका कहना यह भी रहा कि वे अब आगे सनातन धर्म की वैज्ञानिकता और व्यवहारिकता से अपने परिवार के सभी सदस्यों को अवगत कराएंगे और न सिर्फ श्रद्धा बल्कि तथ्यों के आधार पर अपने सभी स्वजनों को वैदिक रीति से पुन: हिन्दू धर्म में आ जाने का आग्रह करेंगे।
आश्रम प्रबंधक चंचल श्रीवास्तव ने इस संबंध में और विस्तार से बताया, कहा कि मौनतीर्थ पीठ में जब इन चारों की घर वापिसी एवं सनातन धर्म में वापिसी की शुद्धि प्रक्रिया सम्पन्न की जा रही थी, उस समय धार्मिक क्रिया के दौरान सुधाकर पुरीजी महाराज, स्वामी सत्यानंदजी महाराज (कामाख्या असम) तथा श्याम पडियार महाराज मौजूद रहे । ये सभी बड़े संत हैं। विधि विधान से मंत्रोच्चार के साथ सनातन में वापिसी का अनुष्ठान संपन्न होने के बाद महामंडलेश्वर सुमनांदगिरिजी महाराज स्वामीजी ने चारों को नया नाम दिया, फिर सभी ने संतों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
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