हिमाचल राज्य से लगी देहरादून जिले की सीमा जिसे पछुवा दून भी कहा जाता है, यहां पिछले महीने प्रशासन द्वारा हटाए गए अतिक्रमण पर अब फिर से प्रभावशाली लोग अवैध रूप से कब्जे करने लगे हैं।
आसन शक्ति नहर किनारे उत्तराखंड जल विद्युत निगम की जमीन है, जिसपर करीब 900 परिवारों ने अवैध रूप से मकान बना लिए थे, जिनमें ज्यादातर लोग बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर जिलों से आए मुस्लिम परिवार हैं। इन्हे निगम ने नोटिस देकर सरकारी जमीन खाली करने को कहा था और उसके बाद सीएम धामी के निर्देश पर यहां बुलडोजर चलाया गया और करीब 450 मकान गिरा दिए गए। इस अभियान का दूसरा चरण शुरू होना है, जिसमें शेष मकान गिराकर अरबों रुपए की ये सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराना है।
इसी बीच जानकारी मिली है कि जहां-जहां से प्रशासन ने अतिक्रमण हटाया था वहां उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने कोई तार बाड़ नहीं लगाया, जिसका नतीजा ये हुआ कि यहां से हटाए गए लोग फिर से यहां डेरा बसाने लगे। इस बारे में निगम ने जिला प्रशासन को सूचना दी है और एसएसपी देहरादून से भी इन अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पत्र लिखा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उच्च स्तरीय बैठक में अतिक्रमण हटाए जाने के विषय पर सभी डीएम और एसएसपी को निर्देशित किया है कि सरकार की एक-एक इंच जमीन खाली करवाई जाए। यदि कोई कब्जा नहीं छोड़ता है या दोबारा काबिज होता है तो उसपर कानूनी कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री स्पष्ट कह चुके हैं कि ये अभियान राजनीतिक दबाव में नहीं रुकना चाहिए।
पछुवा दून वो परगना है, जहां बड़ी संख्या में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से मदरसे, मस्जिदें, मजारें और अन्य धार्मिक स्थल बना दिए गए हैं। उनको लेकर प्रशासन को अपनी सख्त नीति बनानी है। इस विषय में एमडीडीए, समाज कल्याण विभाग, पीडब्ल्यूडी, वन और सिंचाई विभाग को मिलकर काम करना है। ये वही क्षेत्र है, जहां सबसे ज्यादा जनसंख्या असंतुलन पैदा हो गया है।
बहरहाल देहरादून पुलिस-प्रशासन के आगे सरकार की जमीन पर कब्जा करने वाले दबंग प्रवृति के लोग चुनौती दे रहे हैं। यहां एक बड़ा नेक्सेस है जोकि सरकारी जमीन को कब्जाने के लिए षड्यंत्र करता रहा है, जिसे तोड़ना और उस पर काबू करना धामी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती भी है।
टिप्पणियाँ