देहरादून: विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित पहली सोशल मीडिया कॉन्क्लेव में अलग-अलग वक्ताओं ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और उसके माध्यम से भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने के बारे में अपने विचार रखे।
सोशल मीडिया कॉन्क्लेव में कॉर्पोरेट जगत, प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षाविद, लेखक, पत्रकार, व्लॉगर, सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर शामिल हुए। कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीतिक शास्त्र के विभागाध्यक्ष संगीत रागी ने कहा कि देश के पास अकूत ज्ञान का भंडार है। जरूरत है इस तरह के विषय पर कंटेंट तैयार करने की और नई पीढ़ी के बीच में सोशल मीडिया के माध्यम से ले जाने की। वहीं कॉर्पोरेट जगत का प्रतिनिधित्व कर रहे जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात का उद्धरण करते हुए कहा कि सकारात्मक सोच के साथ संदेश को रखना सोशल मीडिया में सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।
कार्यक्रम में उपस्थित रहे पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने सोशल मीडिया का तुलनात्मक खाका खींचा। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया किस तरह पुलिस विभाग के लिए मजबूत प्लेटफार्म बन गया है। कॉन्क्लेव में जहाँ लेखिका सोनाली मिश्रा ने कल्चरल जेनोसाइड से बचने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कैसे करना, उस ओर विचार रखे तो वही वरिष्ठ पत्रकार अनुपम त्रिवेदी ने इसी माध्यम से स्व-संस्कृति की ब्रांडिंग करने की वकालत की ।
वक्ताओं ने भारतीय संस्कृति के संदर्भ में सोशल मीडिया की बदलती भूमिका को एक गेम चेंजर माना। चाहे उत्तराखंड की ब्रांडिंग हो या डेमोग्राफिक असंतुलन पर ध्यान खींचना हो, ऐसे विषयों पर सोशल मीडिया किस तरह प्रभाव छोड़ रहा है, इस पर भी कॉन्क्लेव में चर्चा हुई।
कॉन्क्लेव में सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स अखिलेश डिमरी, नवीन सिंघल, विजय आर्यन, दीपक कंडवाल, मनोज इष्टवाल, और जितेंद्र मुदालियार ने भी विचार रखे। इस दौरान आईएफएस अधिकारी पराग मधुकर धकाते मौजूद रहे।
सोशल मीडिया कॉन्क्लेव का संचालन विश्व संवाद केंद्र से जुड़े हिमांशु अग्रवाल और निखिलेश शांडिल्य ने किया । कॉन्क्लेव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रान्त प्रचार प्रमुख संजय जी, पाञ्चजन्य से दिनेश मानसेरा, शिवम अग्रवाल, परितोष सेठ, दिनेश उपमन्यु, विशाल जिंदल, और महेंद्र सिंह साथ साथ सैकड़ो सोशल मीडिया कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे।
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