उत्तराखंड में चमोली जिले के सुदूर हिमालय स्तिथ श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे के कपाट आज श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। गुरुदारे में पंज प्यारों की अगुवाई में शब्द कीर्तन के साथ पवित्र श्री गुरुग्रंथ साहिब स्थापित किया गया और गुरुवाणी के साथ अरदास की गई। इस पावन पलों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी साक्षी बने और बोले सो निहाल सतश्री अकाल के जय घोष भी संगत द्वारा लगाए गए।
आज सुबह करीब 10 बजे गुरुघर के द्वार खुले। इस दौरान बीएसएफ के जवान और अधिकारी भी मौजूद रहे। इस रेजीमेंट के जवानों द्वारा पिछले एक माह से अपने हाथों में बेलचे लेकर, गुरुद्वारे की राह में जमी बर्फ हटाने की कार सेवा की। श्री हेमकुंड साहिब वो स्थान है, जिसका जिक्र दशम गुरु श्री गोबिंद सिंह महाराज द्वारा लिखी अपने विचित्र नाटक में किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिमालय में एक सरोवर किनारे पांच ऊंची बर्फीली चोटियों के बीच वो स्थान है, जहां उन्होंने पूर्व जन्म में तपस्या की थी।
श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस बार यात्रा में छोटे बच्चों और 60 साल से ऊपर के श्रद्धालुओं के जाने पर रोक लगाई है। ऐसा इसलिए किया गया है कि गुरुद्वारे के आसपास ऑक्सीजन की कमी रहती है और कोविड के बाद लोगों में प्रतिरोधक क्षमता की कमी देखी जाती रही है। फिलहाल अभी रोज करीब ढाई हजार तीर्थ यात्रियों के जाने की व्यवस्था की गई है। धीरे-धीरे यात्री संख्या में इजाफा किया जाएगा।
कमेटी अध्यक्ष नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि दिन में 12 बजे तक ही गुरुद्वारा परिसर में श्रद्धालुओं के रुकने की व्यवस्था है। हवा का कम दबाव की वजह से हमने ऐसी व्यवस्था बनाई है। आने वाले श्रद्धालु भी अपना मेडिकल चेकअप करवा कर आएं। यदि डॉक्टर उन्हें इसकी इजाजत देता है कि वो ऑक्सीजन की कमी वाले क्षेत्रों में जा सकते हैं तो उनका गुरु घर में स्वागत है।
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