कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ने के समाचारों के बीच आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यहां से लाई गई बाघिन को राजा जी टाइगर रिजर्व में छोड़ा। राजा जी टाइगर रिजर्व में बाघ-बाघिन की संख्या में इजाफा हो, इस प्रोजेक्ट पर एनटीसीए और उत्तराखंड के वन्यजीव विशेषज्ञ काम कर रहे हैं।
इस अवसर पर सीएम धामी ने कहा कि राजा जी टाइगर रिजर्व का एरिया कई जिलों से जुड़ा हुआ है और इसका एक क्षेत्र कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है, यहां कुछ वन क्षेत्र में बाघ हैं कुछ में नहीं, जहां नहीं हैं वहां बाघों के संरक्षण का काम शुरू किया गया है। ये यहां के हैबिटेट और हमारे आर्थिक चक्र के लिए एक सार्थक प्रयास है। हमने आज एक बाघिन को यहां लाकर एक नया घर दिया है। पहले भी यहां कॉर्बेट से बाघ और बाघिन लाए गए हैं। ऐसा करके हम यहां विलुप्त हो रहे इस राष्ट्रीय पशु, जिसको हम माता दुर्गा की सवारी भी कहते हैं, उसे संरक्षित कर सकेंगे। इन बाघों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राजा जी पार्क प्रशासन की है।
उल्लेखनीय है उत्तराखंड में बाघों की संख्या नई गिनती के अनुसार 501 तक हो जाने का अनुमान है, जिनमें कॉर्बेट टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में घनत्व की दृष्टि से देश में सबसे ज्यादा बाघ हैं, जिनकी संख्या 250 के करीब है, जबकि राजा जी टाइगर रिजर्व में 50 बाघ हैं। अभी केंद्र ने आधिकारिक रूप से आंकड़े जारी नहीं किए हैं।
पिछले दो साल में राजा जी पार्क के मोतीचूर रेंज में पांच बाघ लाए गए हैं, जिनमें से तीन नर और दो मादा हैं। आज एक और मादा यहां, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ रेंज से लाकर छोड़ी गई हैं। राजा जी टाइगर रिजर्व और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ फॉरेस्ट डिवीजन की सीमाएं आपस में लगभग मिली हुई हैं और यहां दोनों जंगलों का प्राकृतिक वास भी एक जैसा है। दोनों पार्कों के बीच दो हाईवे गुजरते हैं, जो बाघों के इधर उधर जाने में बाधा उत्पन्न करते रहे हैं।
टाइगर को किया रेस्क्यू
कालागढ़ कॉर्बेट फॉरेस्ट डिवीजन में एक बाघ बीमार और कमजोर अवस्था में मिला है, जिसे इलाज के लिए कॉर्बेट पार्क के डॉक्टर्स का दल उसे रेस्क्यू सेंटर लाए हैं। बाघ के शरीर पर घाव का इन्फेक्शन हुआ है।
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