अफगानिस्तान में आने वाले दिनों में कुपोषण और भुखमरी से हजारों बच्चों की मौत हो सकती है। तालिबानी शासन में अफगानिस्तान की आधी से ज्यादा आबादी बड़े खाद्य संकट का सामना कर रही है। जनता भूख से तड़प रही है और खाने के लिए अफगान के लोग अपने बच्चों तक को बेचने पर मजबूर हो रहे हैं।
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान उन सात देशों में से एक है, जो खाद्य संकट के भयावह स्तर का सामना कर रहा है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार सात खाद्य संकटग्रस्त देशों में अफगानिस्तान, बुर्किना फासो, हैती, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान और यमन शामिल हैं।
2017 में ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस के आंकड़ों की रिपोर्टिंग शुरू करने के बाद से इन देशों में खाद्य संकट का सामना करने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक बढ़ी है।
यूनिसेफ ने यह भी चेतावनी दी है कि देश में व्यापक मानवीय संकट के बीच वित्त सहयोग की कमी के कारण अफगानिस्तान महत्वपूर्ण खाद्य सहायता की कमी का सामना कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) में पोषण प्रमुख मेलानी गैल्विन ने ट्वीट पर एक वीडियो संदेश में दावा किया कि ‘इस साल अकेले केवल अफगानिस्तान में गंभीर कुपोषण से हजारों कमजोर बच्चों की मौत हो सकती है।
गैल्विन ने आगे कहा कि देश भर में कुपोषण और हेल्थ वर्कर के इलाज के लिए वैश्विक खाद्य संगठन को 21 मिलियन अमरिकी डॉलर के तत्काल फंडिंग गैप का सामना कर रहा है।
संगठन को रेडी-टू-यूज चिकित्सीय भोजन (आरयूटीएफ) की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। आरयूटीएफ को एक आवश्यक रेडीमेड फूड सप्लीमेंट माना जाता है जो कुपोषण से पीड़ित बच्चों को ठीक करने के लिए दिया जाता है। वर्षों के संघर्ष, गरीबी और गंभीर अर्थव्यवस्था के कारण लोगों की भूख से मरने की स्थिति पैदा हो रही है।
यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अफगानिस्तान दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकटों में से एक है। 15 मिलियन से अधिक बच्चों सहित 28 मिलियन से अधिक लोगों को इस साल मानवीय और संरक्षण सहायता की आवश्यकता है।
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