उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन और बढ़ती मुस्लिम आबादी कैसे और कहां-कहां बढ़ रही है? इस बारे में एक सर्वे रिपोर्ट सामने आई है। उक्त रिपोर्ट में करीब 10 लाख लोगों की एक बड़ी संख्या अवैध कब्जेदारों के रूप में चिन्हित हुई है, जिनमें 90 फीसदी गैर हिंदू आबादी है।
जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड में 23 नदियों के किनारे वन विभाग की जमीन और ग्राम सभाओं की जमीन पर पिछले 15 सालों से अवैध कब्जे हुए है और वन विभाग आंखे बन्द किए सोया रहा। जानकारी के मुताबिक कुमायूं मंडल क्षेत्र के वन प्रभाग से गुजरने वाली नदियों में शारदा, नंधौर, दाबका, कोसी, गौला, कैलाश आदि नदियों के किनारे अवैध रूप से मानव बस्तियां बस गई हैं और इनमें करीब चार लाख अवैध रूप से आबादी की बसावट ने जनसंख्या असंतुलन पैदा कर दिया है। इन लोगों के आधार कार्ड, बैंक खाते, वोटर लिस्ट में नाम आदि दर्ज करने का काम योजनाबद्ध तरीके से शुरू हुआ और इसमें स्थानीय नेताओं की मिलीभगत भी सामने आ रही है। खास तौर पर नदी बेल्ट में कांग्रेस को अपने वोट बैंक नजर आए, इसलिए उसके स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने ये काम बखूबी अंजाम दिया है।
गढ़वाल में कुमायूं की अपेक्षा ज्यादा हालात खराब है, विशेषकर पछुवा देहरादून में मुस्लिम आबादी के बढ़ने की एक बड़ी वजह खनन का अवैध कारोबार भी बताया गया है। देहरादून जिले में कालसी, जमुना, टोंस, शीतला, सुखरो, आसन, रिस्पना, पौंनधई, स्वर्णा, चोरखाला, जाखन, मालदेवता का बरसाती नाला, सहस्रधारा काली राव, आसन नदी में मिलने वाले बरसाती नाले में खनन की वजह से करीब 6 लाख लोग इन नदियों के किनारे बस्ती बनाकर बस गए हैं। ये अवैध कब्जेदार सहारनपुर, मुज्जफरनगर, पीलीभीत, मुरादाबाद आदि जिलों से आए ज्यादातर मुस्लिम हैं।
कुछ हिंदू पीलीभीत, बरेली जिले के भी हैं। इनके यहां रहनुमा पहले से ही मौजूद हैं, जो उन्हें राशन कार्ड, आधार कार्ड वोटर कार्ड बनवाने में मददगार रहते हैं। ये रहनुमा कहीं-कहीं जनसंख्या असंतुलन की वजह से ग्राम प्रधान, जिला पंचायत सदस्य भी बन गए हैं और इन्होंने ग्राम सभा की जमीनों पर कब्जे कर मुस्लिम आबादी को बैठा दिया है। सेलाकोई, सहसपुर आदि ग्राम सभाओं में ऐसी ही गंभीर जानकारियां सामने आई हैं। इन्ही मुस्लिम कब्जेदारों ने नदी, वन भूमि पर अवैध रूप से मस्जिदें, मदरसे, ईदगाह, मजारें खड़ी कर दी हैं।
हरिद्वार वन प्रभाग से गुजरने वाली आस्था की प्रतीक गंगा किनारे सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी ने वन और नदी श्रेणी की जमीन पर अवैध कब्जे किए और यहां मस्जिदें, मजारें तक बना डाली, तीर्थ नगरी हरिद्वार को गंगा किनारे से ही मुस्लिम आबादी ने योजनाबद्ध तरीके से घेरा है। ये आबादी नदी में खनन के काम के लिए आई और यहीं सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बस गई हैं। मुस्लिम आबादी ने देहरादून चोरखाला, बिंदाल, रिस्पना नदियों पूरा कब्जा कर लिया गया है। ये वो बस्तियां हैं, जिन्हें हरीश रावत कांग्रेस सरकार रेगुलराइज करना चाहती थी। उन्हीं की सरकार ने यहां उनके वोट भी बनवाए। पछुवा देहरादून नेपाली फार्म में राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे बड़ी संख्या में मुस्लिम कबाड़ी भी आ आए हैं, जिनकी संख्या हजारों में हो चुकी है।
पौड़ी लैंसडाउन वन प्रभाग में खो नदी, मालन नदी, किनारे भी मुस्लिम आबादी ने नजीबाबाद, बिजनौर नगीना आदि इलाकों से आकर अवैध रूप से बसावट कर ली है। जानकारी के मुताबिक देहरादून, रामनगर, कालाढूंगी में फलों के बगीचे और खेतों में सब्जी लगाने वाले बटाईदार भी बड़ी संख्या में मुस्लिम हैं। हल्द्वानी, रुद्रपुर किच्छा में नदियों के किनारे बिहार से आए मुस्लिम भी बहुत ज्यादा संख्या में अवैध रूप से बस गए हैं, जिनका पेशा राज मिस्त्री, मजदूरी, प्लंबर गिरी करना है। ये लोग स्थाई रूप से कैसे यहां बसते चले गए ये बड़ा सवाल है।
वन विभाग का आंकड़ा
एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में 65 फीसदी जंगल है। इसमें से 11861 हेक्टेयर जमीन अवैध कब्जे में चिन्हित हुई है। जानकारी मिलीं है कि ये भूमि नदी किनारे के अलावा है। यानी जंगलात की हजारों हेक्टेयर भूमि जनसंख्या असंतुलन के षड्यंत्र की भेंट चढ़ गई और वन महकमा सोया रहा।
और भी एक है बड़ी वजह
उत्तराखंड सरकार में पिछले 15 सालों से वन विभाग में कांग्रेस या कांग्रेस विचारधारा के मंत्रियों का ही वर्चस्व रहा है। पहले बीजेपी की सरकार में हरक सिंह रावत फिर अबकी सरकार में सुबोध उनियाल वन मंत्री हैं। इन दोनों के कार्यकाल में वन विभाग भी गुटबाजी का शिकार रहा है। कोई प्रभावी नीति नहीं बनी। जिसकी वजह से अवैध निर्माण और कब्जों की घटनाएं चरम पर पहुंच गईं।
एक्शन मोड में सीएम धामी
उत्तराखंड में बढ़ती मुस्लिम आबादी की समस्या के जड़ में पहुंचने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने तेज तर्रार आईएफएस अधिकारी डॉ पराग मधुकर धकाते की नियुक्ति की है। उनके नेतृत्व में वन भूमि पर अवैध मजारें तोड़कर उक्त स्थान को अतिक्रमण मुक्त कराने का अभियान शुरू हो चुका है। हाल जिले में अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए भी स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गई है। सीएम धामी उत्तराखंड में जमीनों की खरीद फरोख्त के लिए बाहरी लोगों के सत्यापन पर भी जोर दे रहे हैं। भू- कानून में भी बदलाव के संकेत सरकार की तरफ से दिए जा रहे हैं।
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