अमेरिकी गुप्तचरी के लीक हुए दस्तावेजों ने कई देशों की सरकारों में कोहराम मचाया हुआ है। जो गोपनीय चीजें अब तक सबकी नजरों से दूर थीं, अब सामने आ रही हैं तो नेता मुंह छुपाए फिर रहे हैं। ताजा खुलासा पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार का हुआ है। उनके बयान के अनुसार, हिना नहीं चाहतीं कि अमेरिका की खातिर पड़ोसी इस्लामी देश चीन से दूरी बनाए।
सामने आई एक रिपोर्ट बताती है कि एक आंतरिक दस्तावेज में हिना की यह बात दर्ज है। इस दस्तावेज का शीर्षक है ‘मुश्किल की घड़ी: पाकिस्तान के पास विकल्प’। इसमें हिना कहती हैं कि चीन से दूरी पाकिस्तान को उन फायदों से हाथ धोने को मजबूर कर देगी जो उसे कम्युनिस्ट देश से मिल रहे हैं। इसलिए रब्बानी का कहना है कि ‘पाकिस्तान को पश्चिम को प्रसन्न करने का सोचना भी नहीं चाहिए’।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों अमेरिका से हैरान करने वाली खबर आई थी कि रक्षा मंत्रालय यानी पेंटागन से कई गुप्त और गोपनीय कागजात लीक हो गए हैं। अभी ये खबर उड़ी ही थी कि उनमें से कई सोशल मीडिया पर छा गए। उन लीक हुए दस्तावेजों में कई कार्यक्रमों, गोपनीय सरकारी बैठकों, नेताओं के बयानों, परियोजनाओं आदि को लेकर महत्वपूर्ण लोगों के विचार दबे हुए थे। लेकिन अब वे सब उजागर हो गए थे। ऐसे ही उजागर हुआ हिना रब्बानी का उक्त बयान। अब जब उनकी कही बातें सामने आ गई हैं तो अमेरिका के प्रति पाकिस्तान की नीति का भी खुलासा हो चला है। अब पाकिस्तान के सत्ता गलियारों में चर्चा है कि इस ‘खुलासे’ से होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई कैसे हो!
पाकिस्तान किस तरह चीन को खुश करने में लगा रहा है। सीपीईसी परियोजना से उसे अरबों रुपए के मुनाफे का ‘लॉलीपॉप’ चीनियों ने दिखा ही रखा है। इसके एवज में वह भारत के पड़ोस में रणनीतिक साजिशें रच रहा है, उसके एक बड़े हिस्से पर ‘परियोजना की आड़ में कब्जा जैसा करता जा रहा है’। इसलिए इस्लामी देश वर्तमान में उसके धुर विरोधी अमेरिका से नजदीकी दिखाने की जुर्रत कर भी नहीं सकता।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह बात किसी से छुपी नहीं है कि पाकिस्तान किस तरह चीन को खुश करने में लगा रहा है। सीपीईसी परियोजना से उसे अरबों रुपए के मुनाफे का ‘लॉलीपॉप’ चीनियों ने दिखा ही रखा है। इसके एवज में वह भारत के पड़ोस में रणनीतिक साजिशें रच रहा है, उसके एक बड़े हिस्से पर ‘परियोजना की आड़ में कब्जा जैसा करता जा रहा है’। इसलिए इस्लामी देश वर्तमान में उसके धुर विरोधी अमेरिका से नजदीकी दिखाने की जुर्रत कर भी नहीं सकता। हिना रब्बानी का उक्त बयान इसी स्थिति को पुख्ता रखने से जुड़ा है।
हिना का कहना था कि पाकिस्तान चीन तथा अमेरिका के बीच मध्यस्थ जैसा नहीं बना रह सकता है। दिक्कत यह है कि यदि पाकिस्तान अमेरिका की तरफ झुकाव दिखाता है तो फिर हमें चीन की तरफ से जो मोटा मुनाफा मिल रहा है उससे हाथ धोने पड़ेंगे।
हिना को कहां पता होगा कि उनकी यह आंतरिक दस्तावेज में दबी बात यूं सामने आएगी। ‘पश्चिम का खुश करने से बचने’ की उनकी ‘सलाह’ के क्या माने निकाले जाएंगे, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन यह जरूर है कि अमेरिका के मन में इस्लामी देश को लेकर जो खटास चल रही है वह जल्दी जाने वाली नहीं है। हालांकि अमेरिका यह भी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान पूरी तरह चीन की झोली में चला जाए और वहां अमेरिकी हितों पर सीधी चोट पड़े।
यहां हैरान करने वाली बात यह भी है कि पाकिस्तान के कई नेताओं की बातचीत के टेप तो लीक होकर सार्वजनिक हो चुके हैं, और उन पर हायतौबा भी खूब मची है। परन्तु हिना का गोपनीय दस्तावेजी बयान कैसे अमेरिका के हाथ लगा, यह अभी तक संदिग्ध बना हुआ है। सवाल यह भी सामने आ रहा है कि क्या पाकिस्तान के सत्ता अधिष्ठान में अमेरिकी हितचिंतक मौजूद हैं!
कैसे उस देश की बहुत ही गोपनीय चीजें बाहर जा रही हैं! अमेरिका के लीक हुए खुफिया दस्तावेजों में पाकिस्तान के कुछ अधिकारियों के नाम भी सामने आए हैं, लेकिन उन्होंने इस पर कैसी भी प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया।
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